LORD KRISHNA STORIES IN HINDI

 LORD KRISHNA STORIES IN HINDI KRISHNA MOTIVATIONAL STORY IN HINDI श्री कृष्ण की कहानियां हिन्दी में जिह्वे सदैवम् भज सुंदरानी, नामानि कृष्णस्य मनोहरानी। 

 श्री कृष्ण की कहानियां हिन्दी में

श्री कृष्ण की कहानियां हमें ज्ञान प्रदान करती है। जीवन में सकारात्मकता लाती है। श्री कृष्ण की किसी कहानी में गूढ संदेश मिलता है तो किसी में वह नटखट रुप में नज़र आते हैं। लेकिन श्री कृष्ण का नाम किसी भी रूप में लिया जाए । उसका इस कलयुग में लाभ ही मिलता है।

 जिह्वे सदैवम् भज सुंदरानी,  
 नामानि कृष्णस्य मनोहरानी। 
 समस्त भक्तार्ति विनाशनानि,
गोविन्द दामोदर माधवेति॥

 हे जिह्वा! तू सदैव श्री कृष्ण के इन मनोहर नामों- गोविन्द, दामोदर, माधव का जाप कर, जो अपने भक्तों की समस्त बाधाओं का विनाश करने वाले हैं। 

 इस आर्टिकल में पढ़ें श्री कृष्ण की लीलाओं की भावपूर्ण कहानियां 

कृष्ण और उनकी गुरु दक्षिणा की कहानी 

Lord Krishna story in hindi: श्री कृष्ण ने जब कंस का वध कर दिया तो उन्होंने राज्य अपने नाना उग्रसेन को सौंप दिया। अपने माता पिता देवकी और वसुदेव जी को कंस की कैद से मुक्त करवाया।

जैसे सभी बच्चे शिक्षा ग्रहण करने के लिए गुरुकुल जाते हैं। वैसे ही वासुदेव जी ने श्री कृष्ण और बलराम जी को शिक्षा ग्रहण करने के लिए हैं ऋषि सांदीपनि के आश्रम में भेज दिया। श्री कृष्ण ने 64 दिनों में 64 विद्याएं सीख ली। ऋषि सांदीपनि श्री कृष्ण की अद्भुत क्षमता के बारे में जानते थे। 

जब गुरु दक्षिणा का समय आया तो सांदीपनि ऋषि और उनकी पत्नी ने श्री कृष्ण से समुद्र में डुब चुके अपने पुत्र को वापस लाने के लिए कहा। श्री कृष्ण और बलराम गुरु की आज्ञा पाकर समुद्र के पास गए और अपने गुरु के पुत्र को वापस लौटाने के लिए कहा। 

समुद्र देव कहने लगे कि," आपके गुरु का पुत्र मेरे पास नहीं है। समुद्र में एक शंखाचूर नाम का दैत्य रहता है सम्भवतः उसने आपके गुरु पुत्र को चुराया हो सकता है।"

श्री कृष्ण ने शंखाचूर का वध कर दिया लेकिन उन्हें वहां पर गुरु पुत्र वहां नहीं मिला। शंखाचूर के शरीर से उन्हें एक शंख प्राप्त हुआ। उसके पश्चात श्री कृष्ण और बलराम यमलोक पहुंचे और वहां जाकर उन्होंने शंख बजाया। शंखाचूर के शरीर से प्राप्त होने वाले शंख का नाम पांचजन्य पड़ा।

शंख की ध्वनि सुनकर यमराज श्री कृष्ण के पास पहुंचे और उनके आगमन का कारण पूछा। श्री कृष्ण बोले मेरे गुरु ऋषि सांदीपनि का पुत्र पुर्व जन्म के पापों के कारण यमलोक में है। लेकिन आप उसे मेरे साथ जाने की आज्ञा दे। यमराज के गुरु के पुत्र को श्री कृष्ण को सौंप दिया। 

श्री कृष्ण और बलराम जी अपने गुरु के पुत्र को साथ लेकर अपने गुरु के पास पहुंचे और अपनी गुरु दक्षिणा के रूप में गुरु पुत्र को उन्हें सौंप दिया। गुरु ने दोनों को आशीर्वाद दिया। ऋषि सांदीपनि कहने लगे कि," तुम ने अपने कर्तव्य को बखूबी निभाया है पूरे ब्रह्मांड में तुम्हारा यश होगा।" 

श्री कृष्ण, सुदामा और माया की कथा 

Krishna and sudama story in hindi:एक बार सुदामा श्री कृष्ण से बोले मुझे आपकी माया देखनी है। श्री कृष्ण उस समय चुप रहे। 

एक दिन श्री कृष्ण और सुदामा दोनों नदी पर स्नान करने के लिए गए। सुदामा ने देखा कि श्री कृष्ण स्नान करने के पश्चात वस्त्र पहन रहे हैं। सुदामा ने सोचा कि एक डुबकी ओर लगा लेता हूं। 

सुदामा अब की बार जब डुबकी लगाकर बाहर आए तो श्री कृष्ण जा चुके थे और अचानक नदी में भयंकर बाढ आ गई थी। सुदामा नदी के जल के साथ बहें जा रहे थे। सुदामा बहते हुए जब एक किनारे पर पहुंचे। वहां वह नगर के अंदर चले गए। तभी अचानक एक हथिनी ने उन्हें माला पहना दी। नगर के लोग कहने लगे कि,"अब आप इस नगर के राजा बन गए हैं।" 

उस नगर का नियम था कि हथिनी जिसके माला पहनाती थी वहीं नगर का राजा बन जाता था। सुदामा नगर के राजा बन गए। उनकी शादी एक सुंदर कन्या से दो गई उसके दो बच्चे बच्चे हुए। सब कुछ सही चल रहा था कि एक दिन अचानक उनकी पत्नी का देहांत हो गया। सुदामा उनके गम में शोकातुर होकर रो रहे थे। 

उसी समय नगर वासियों ने कहा कि महाराज आपको भी अपनी पत्नी के साथ चिंता पर जलना होगा। ऐसा इस नगर का नियम है। अब सुदामा के पत्नी के मरने का शोक भूल कर अपनी जान कैसे बचाएं इस चिंता में पड़ गए।

सुदामा बोले भाई मै तो इस नगर का नहीं हूं इसलिए रह नियम मुझ पर कैसे लागू हो सकता है। लेकिन कोई भी उनकी इस दलील से सहमत नहीं हुआ। सुदामा को लगा कि अब तो मरना ही पड़ेगा। सुदामा बोले भइया मरने से पहले मैं एक बार नदी पार स्नान करना चाहता हूं। अंतिम इच्छा जानकर उनकी यह बात मान ली गई। लेकिन हथियार बंद लोगों को उनके साथ भेजा गया कि कहीं यह वहां से भाग ना जाए। 

सुदामा ने नदी में डुबकी लगाई और जैसे ही डुबकी लगाकर बाहर निकले श्री कृष्ण अपना पितांबर धारण कर रहे थे। सुदामा नदी से बाहर आकर श्री कृष्ण के गले लग कर रोए जा रहे हैं। वह श्री कृष्ण से पूछते हैं कि जो मैंने साथ पहले घटित हुआ वह सत्य है या फिर यह सत्य‌ है। श्री कृष्ण कहने लगे कि यह सब मेरी माया थी। मैं ही सच हूं, मेरे से भिन्न सब माया है। जो मुझ में ही सर्वत्र देखता है उसे मेरी माया स्पर्श नहीं कर सकती।  

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