MAHABHARAT STORY OF AKSHAY PATARA DRAUPADI SHRI KRISHNA

Mahabharata ki Akshay patara story in hindi shri krishna Draupadi aur Durvasa Rishi ki katha draupadi yudhishthir ko akshy patra kisne diya

अक्षय पात्र द्रौपदी, श्री कृष्ण और दुर्वासा ऋषि की कथा 

महाभारत के वन पर्व में एक कथा(Mahabharata story in hindi) आती है जब युधिष्ठिर जुए में अपना राजपाट को हार जाते हैं तो उनको 12 साल का वनवास और एक साल का अज्ञातवास होता है। 

जब पांचों पांडव ने द्रौपदी के संग वन की ओर प्रस्थान किया तो उनके साथ उनके पुरोहित धौम्य ऋषि और अनेकों ब्राह्मण उसके साथ वन की ओर चल पड़े। युधिष्ठिर और द्रौपदी इस बात को लेकर चिंतित हो गए कि इतने ब्राह्मणों के भोजन की व्यवस्था कैसे करेंगे?

AKSHAY PATRA STORY IN HINDI: युधिष्ठिर को उनके पुरोहित धौम्य ऋषि ने सलाह दी कि आप सूर्य देव की उपासना करे। धौम्य ऋषि के कहने पर युधिष्ठिर ने सूर्य देव की उपासना की और सूर्य देव ने युधिष्ठिर के तप से प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिए। सूर्य देव ने उनके तप का कारण पूछा। युधिष्ठिर कहने लगे कि, "प्रभु मैं वन में कैसे इतने लोगों के भोजन का प्रबंध करूं। मुझे उसका उपाय बताएं। सूर्य देव ने उन्हें अक्षय पात्र प्रदान किया।

अक्षय पात्र की विशेषता: सूर्य देव  कहने लगे कि इस में चार प्रकार की भोजन सामग्री तब तक अक्षय रहेगी जब तक द्रौपदी भोजन को परोसती रहेगी और स्वयं भोजन नहीं करेगी। अक्षय पात्र की विशेषता थी कि जब तक द्रौपदी भोजन नहीं कर लेती थी तब तक उसका भोजन समाप्त नहीं होता था। इसलिए द्रौपदी सभी को भोजन करवाने के पश्चात ही स्वयं भोजन करती थी। माना जाता है कि युधिष्ठिर को जिस दिन अक्षय पात्र मिला था वह अक्षय तृतीया का ही दिन था।

श्री कृष्ण ने अक्षय पात्र से अन्न का एक दाना खाकर बचाई की द्रौपदी की लाज

DRAUPADI KI KAHANI:जब पांडव वनवास में थे तो दुर्योधन ने दुर्वासा ऋषि और उनके  शिष्यों की बहुत आदर सम्मान किया। दुर्योधन के आदर सत्कार से प्रसन्न होकर दुर्वासा ऋषि ने उसे वर मांगने के लिए कहा। दुर्योधन कहने लगा कि ,"मैं चाहता हूं कि आप पांडवों को भी आपके आदर सत्कार का अवसर प्रदान करें ।जिसे दुर्वासा ऋषि ने स्वीकार कर लिया।

दुर्योधन की सोच शुरू से षड्यंत्र कारी थी और वह दुर्वासा ऋषि के क्रोधी स्वभाव के बारे में जानता था। उसे लगा कि वन में पांडव उनका उचित सम्मान नहीं कर पाएंगे और वह दुर्वासा ऋषि के क्रोध का शिकार हो जाएंगे और दुर्वासा ऋषि उन्हें कोई श्राप दे देंगे।

दुर्वासा ऋषि वन में अपने शिष्यों सहित पांडवों के निवास पर पहुंचे पांडवों ने उनका आदर सत्कार किया और उन्हें भोजन का निमंत्रण दिया। दुर्वासा ऋषि ने उसे स्वीकार कर लिया। वह कहने लगे कि ,"तुम भोजन तैयार करो मैं शिष्यों सहित नदी पर स्नान करके आता हूं। इतना कहकर दुर्वासा ऋषि नदी पर स्नान करने चले गए।"

पांडवों के लिए इतने साधुओं की भोजन कराना चिंता का विषय बन गया क्योंकि द्रौपदी ने अक्षय पात्र में से भोजन कर लिया था। इसलिए उससे भोजन प्राप्त नहीं किया जा सकता था।

द्रौपदी ने दीनों की लाज रखने वाले श्री कृष्ण का स्मरण किया कि," केशव जैसे पहले आपने मेरी लाज रखी थी, वैसे मेरी लाज रखना। द्रोपदी की पुकार पर श्रीकृष्ण तुरंत वहां पहुंच गए और उन्होंने द्रोपदी से भोजन मांगा।"द्रौपदी कहने लगी कि," माधव क्यों मेरा उपहार उड़ा रहे हो? 

श्री कृष्ण कहने लगे कि," तुम्हारे पास तो अक्षय पात्र हैं।" द्रोपदी बोली कि ," माधव एक दुविधा है कि  मैंने  उस अक्षय पात्र से भोजन कर लिया है इसलिए अब उससे भोजन नहीं मिल सकता। श्री कृष्ण बोले कि," द्रौपदी तुम मुझे अक्षय पात्र दिखाओ। " जब द्रोपदी ने श्री कृष्ण को अक्षय पात्र दिया तो उस अक्षय  पात्र में उनका एक अन्न का दाना चिपका था। जैसे ही श्री कृष्ण ने उसे खाया उनमें संतुष्टि के भाव आ गया कि जैसे कि एक दाने ने उनका पेट भर गया है। श्री कृष्ण तो स्वयं जगन्नाथ थे इसलिए मानो समस्त सृष्टि का पेट भर गया हो।

दुर्वासा ऋषि और उनके शिष्यों को भी ऐसा आभास हुआ उनका पेट बहुत ज्यादा भर गया है। वह साधुओं साहित वहां से ही चले गए और पांडवों के निवास पर नहीं गए। क्योंकि उन्हें लगा अगर पांडवों के पास गए तो भोजन खाने से मना करने पर पांडवों को अच्छा नहीं लगेगा। इस तरह से उस दिन श्री कृष्ण ने अक्षय पात्र से अन्न का एक दाना खाने से मानो पूरी सृष्टि तृप्त हो गई।

FAQ

1.प्रश्न- द्रौपदी को अक्षय पात्र कहां से प्राप्त हुआ?
उत्तर - अक्षय पात्र सूर्य देव ने द्रौपदी के पति युधिष्ठिर को दिया था।

2.प्रश्न - अक्षय पात्र की क्या विशेषता थी?
उत्तर - अक्षय पात्र की विशेषता थी कि जब तक द्रौपदी स्वयं भोजन ग्रहण नहीं कर लेती थी तब तक उसका भोजन क्षय नहीं होता था।

3.प्रश्न - अक्षय पात्र की कथा का वर्णन कौन से ग्रंथ में है?
उत्तर - अक्षय पात्र की कथा का वर्णन महाभारत के वन पर्व में आता है।  

4 प्रश्न - अक्षय पात्र का अक्षय तृतीया से क्या संबंध है? 
उत्तर - माना जाता है कि सूर्य देव ने अक्षय तृतीया के दिन ही अक्षय पात्र युधिष्ठिर को दिया था।
 
5 प्रश्न - युधिष्ठिर को अक्षय पात्र किसने दिया था? 
उत्तर - युधिष्ठिर के तप से प्रसन्न होकर सूर्य देव ने युधिष्ठिर को अक्षय पात्र दिया था।

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