गोपेश्वर महादेव मंदिर वृंदावन
GOPESHWAR MAHADEV MANDIR VRINDAVAN:भगवान शिव त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश में से एक है। श्री कृष्ण ने जब द्वापर युग में महारास आरंभ किया तो उनकी बांसुरी की धुन सुनकर महादेव महारास में प्रवेश पाने के लिए लालायित हो उठे। उसके लिए भोलेनाथ को स्त्री वेश धारण करना पड़ा था। गोपेश्वर महादेव भगवान शिव का एक मंदिर ऐसा है जहां पर उनकी गोपी रूप में पूजा की जाती है। जहां पर संध्या के समय भगवान शिव का गोपी वेश में श्रृंगार किया जाता है।
भगवान शिव के गोपी वेश धारण करने की कथा
रास पूर्णिमा के दिन श्री कृष्ण ने गोपियों संग महारास किया था। जब महरास में श्री कृष्ण ने बांसुरी बजाई तो भगवान शिव का ध्यान भंग हो गया। भगवान शिव अपने आराध्य के दर्शनों के लिए वृन्दावन के महारास पर पहुंच गए।
मां पार्वती को तो प्रवेश मिल गया लेकिन द्वार पर भगवान शि/ व को रोक दिया गया। द्वार पर खड़ी सखियां कहने लगी कि श्री कृष्ण के अतिरिक्त किसी भी पुरुष को महारास में आने की अनुमति नहीं है। लेकिन भगवान शिव कहा मानने वाले थे।
भगवान शिव ने पूछा कोई तो उपाय होगा महारास में प्रवेश पाने का। द्वार पर खड़ी ललिता सखी बोल पड़ी। महाराज उपाय तो है लेकिन उसके लिए आपको स्त्री वेश धारण करना पड़ेगा। ललिता सखी बोली कि जाओ पहले मानसरोवर में स्नान करके आओ।
भगवान शिव ने तुरंत आज्ञा का पालन किया। ललिता सखी भगवान शिव का गोपी वेश में सुंदर श्रृंगार किया और युगल मंत्र की दीक्षा दी। अब भगवान शिव को महारास में प्रवेश मिल गया।
प्रभु मन ही मन आनंदित हो कर घूंघट ओढ़े महारास में शामिल होकर श्री राधा कृष्ण और गोपियों संग नृत्य करने लगे ।श्री कृष्ण जान गए कि भगवान शिव इस रास में वेश बदलकर आएं हैं। भगवान को ठिठोली सुझी। भगवान कहने लगे कि मैं सभी गोपियों के मुख को देखना चाहता हूं। इसलिए सभी एक पंक्ति बना कर खड़े हो जाओ। भगवान शिव सबसे अंत में खड़े हो गए। उन्हें लगा कि हजारों गोपियों में कान्हा मुझ तक कहां पहुंच पाएगा।
लेकिन श्री कृष्ण उनका खेल समझ गए और बोले कि मैं कतार के सबसे अंत में खड़ी गोपी से शुरूआत करूंगा। भोलेनाथ भाग कर सबसे पहले खड़े हो गए। सभी गोपियां हैरानी से देख रही थी कि यह कौन गोपी है जो श्री कृष्ण से शरमा कर भाग रही है। इसका डील डौल भी बाकी गोपियों से भिन्न है।
श्री कृष्ण सबसे आगे पहुंच गए और उन्होंने भगवान शिव का घुंघट हटा दिया और मुस्कुराते हुए बोले कि आओ गोपेश्वर महादेव आपका स्वागत है।
राधा रानी आश्चर्य से श्री कृष्ण की ओर देखने लगी। श्री कृष्ण कहने लगे कि राधे! भगवान शिव ने हमारी महारास में प्रवेश पाने के लिए ललिता सखी से राधा कृष्ण युगल मंत्र की दीक्षा ली है और सखी रूप धारण किया है।
यह सुनकर राधा मुस्कुराने लगी। उन्होंने उस समय भगवान शिव से वर मांगने के लिए कहा। भगवान शिव बोले कि मुझे वर चाहिए कि मुझे सदैव जहां पर वास मिले।
कहा जाता है कि तब से भोलेनाथ वृन्दावन के गोपेश्वर महादेव मंदिर में निवास करते हैं। मंदिर में भगवान शिव का श्रृंगार गोपी रूप में किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि श्री कृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था।
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