बच्चों के लिए हनुमान जी की कहानियां
Hanuman story:हनुमान जी भगवान श्री राम के परम भक्त माने जाते हैं। हनुमान जी में अतुलित बल था। वें भगवान शिव भगवान शिव के 11 वें रुद्र अवतार माने जाता है। उनके पिता का नाम वानर राज केसरी और माता का नाम अंजना था।
हनुमान जी बच्चों में सबसे लोकप्रिय देवता माने जाते हैं। हनुमान जी की कहानियां बच्चों को बहुत Fascinating लगती है। इस आर्टिकल में पढ़ें हनुमान जी की रोचक कहानियां बच्चों के लिए
हनुमान जी का नाम हनुमान कैसे पड़ा
Hanuman story for kids: हनुमान जी बचपन में बहुत शरारती थे। उनके पास बचपन से ही असीम शक्तियां थी। एक बार हनुमान जी को भूख लगी तो उन्होंने आसमान में चमकते सूर्य को फल समझ लिया। वह अपनी शक्ति से उड़ कर सूर्य के पास पहुंच गए और उन्होंने पकड़ कर सूर्य देव को अपने मुंह में रख लिया।
हनुमान जी के ऐसा करने से चारों ओर अंधकार हो गया। जब इंद्रदेव को पता चला तो उन्होंने हनुमान जी की ठोड़ी पर प्रहार किया। इंद्रदेव के प्रहार से हनुमान जी बेहोश हो गए।
इंद्रदेव द्वारा हनुमान को मारने के कारण पवन देव क्रोधित हो गए। वह हनुमान जी को लेकर एक गुफा में चले गए और उन्होंने हवा का संचार रोक दिया। जिससे सभी प्राणी बिना हवा के तड़पने लगे। ब्रह्मा जी तुरंत वहां पहुंचे। ब्रह्मा जी ने हनुमान जी में जीवन का संचार किया। वायु देव ने ब्रह्मा जी के कहने पर पुनः वायु का संचार कर दिया।
इंद्रदेव के प्रहार के कारण हनुमान जी की ठुड्डी टूट गई थी। ठुड्डी को संस्कृत में हनु कहते हैं इसलिए हनुमान जी का नाम हनुमान पड़ा। हनुमान जी को सभी देवताओं ने वरदान दिया था जिससे हनुमान जी के पास असीम शक्तियां हो गई।
हनुमान जी का अपनी शक्तियों को भूल जाना
Hanuman story for kids: हनुमान जी के पास अद्भुत शक्तियां थी। वह बचपन में बहुत ही शरारती थे। सभी ऋषि-मुनियों को बहुत तंग करते। किसी का सामना उठाकर फेंक देते तो किसी का सामना नदी में बहा देते। उनके इस शरारती स्वभाव से सभी बहुत तंग थे। एक बार अंगिरा और भृंग वंश के ऋषि तप कर रहे थे। हनुमान जी की शरारतों के कारण उनकी तपस्या भंग हो गई।
उन्होंने हनुमान जी को श्राप दिया कि तुम अपनी शक्तियां भूल जाओगे। लेकिन जब उचित समय पर तुम को कोई तुम्हारी शक्तियों का स्मरण करवाएगा तो तुम को तुम्हारी सारी शक्तियां याद आ जाएगी।
हनुमान जी को उनकी शक्तियों का स्मरण जाम्बवान् जी ने तब करवाया था जब सीता माता की खोज करने समुद्र लांघकर कर लंका जाना था। जाम्बवान् जी हनुमान जी को उनकी शक्तियां याद करवाते ।
रामचरितमानस में तुलसीदास जी लिखते जाम्बवान् हनुमान जी से कहते हैं कि -
जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं॥
राम काज लगि तव अवतारा।
सुनतहिं भयउ पर्बताकारा॥
हे तात! संसार में ऐसा कौन सा कार्य है जो तुम नहीं कर सकते। श्री राम के कार्य के लिए ही तुम्हारा अवतार हुआ है। हनुमान जी ने इतना सुनते ही अपना शरीर पर्वत के समान विशालकाय बना लिया।
जाम्बवान् जी के स्मरण करवाते ही हनुमान जी को अपनी शक्तियां याद आ गई।
हनुमान जी की इस कहानी से सीख मिलती है कि कई बार हमें हमारा क्या सामर्थ्य है हम नहीं जानते लेकिन अगर कोई अच्छा शिक्षक मिल जाए तो हम अपना बेस्ट दे सकते हैं।
हनुमान जी और सुरसा की कहानी
Hanuman and Sursa story for kids in hindi:हनुमान जी जब सीता माता की खोज के लिए समुद्र लांघकर लंका जा रहे थे तो देवताओं ने सुरसा नाम की नाग माता को हनुमान जी की परीक्षा लेने भेजा। वें जानना चाहते थे कि क्या यह वानर रावण जैसे बलशाली राक्षस का सामना कर पाएगा?
सुरसा हनुमान जी को देखकर कहने लगी कि," आज देवताओं ने मुझे बहुत अच्छा भोजन दिया है। मैं तुम्हें खाऊंगी।"
हनुमान जी कहा- मैं अपने प्रभु श्री राम के कार्य के लिए सीता माता को खोजने जा रहा हूं। आप आज मुझे जाने दे। जैसे ही मैं देवी सीता को खोज लूंगा और उसकी खबर श्री राम को दे दूंगा तब आप मुझे खा लेना।"
सुरसा ने हनुमान जी की बात नहीं मानी। वह कहने लगी कि मुझे ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त है कि मेरे मार्ग से मेरे मुंह से निकले बिना कोई नहीं जा सकता। उसने हनुमान जी को खाने के लिए अपना मुंह बहुत बड़ा कर लिया।
हनुमान जी ने जब सुरसा को ऐसा करते देखा तो उन्होंने अपना शरीर दुगुना कर लिया। यह देख सुरसा ने अपना मुंह और बड़ा कर लिया। उधर हनुमान जी भी अपना शरीर उससे दुगुना बढ़ाते गए। जैसे ही सुरसा ने अपना मुंह सौ योजन बढ़ाया हनुमान जी बिल्कुल छोटे रुप में आ गए।
हनुमान जी सुरसा के मुंह के अंदर गए और जल्दी से बाहर आ गए। हनुमान जी कहने लगे कि, माता मैंने ब्रह्मा जी को आपको दिए वरदान के अनुसार आपके मुंह से होकर बाहर आ गया हूं। अब आप मुझे जाने की आज्ञा दे।
हनुमान जी की चतुराई और बुद्धि देखकर नाग माता सुरसा बहुत प्रसन्न हुई। उन्होंने हनुमान जी को आशीष दिया और कहा कि मुझे पूर्ण विश्वास है कि तुम प्रभु श्री राम का कार्य अवश्य करोगे।
हनुमान जी और सिहिंका राक्षसी की कहानी
Hanuman and Sinhika story for kids in hindi:हनुमान जी को सुरसा के पश्चात समुद्र पार करते समय एक राक्षसी और मिली। वह समुद्र के ऊपर उड़ने वाले पक्षियों की परछाई को पकड़ कर लेती जिससे वह उड़ नहीं पाते। वह राक्षसी उन्हें पकड़ कर नीचे ले आती और खा जाती थी।
यह ही चतुराई उसने हनुमान जी के साथ करने की सोची। जब हनुमान जी समुद्र के ऊपर से गुजर रहे थे तो उसने उनकी परछाई पकड़ ली। हनुमान जी विस्मित हो गए कि वह आगे क्यों नहीं बढ़ पा रहे।
वह राक्षसी हनुमान जी को भी नीचे ले आई। वह कहने लगी कि हर रोज मुझे खाने के लिए केवल पक्षी मिलते हैं। आज मैं पहली बार उड़ने वाले वानर का भोजन करूंगी। लेकिन वह हनुमान जी की शक्तियों से अनभिज्ञ थी।
उसने जैसे ही हनुमान जी को खाने के लिए अपने मुंह में डाला हनुमान जी ने अपनी शक्ति का प्रयोग कर उसके मुंह पर प्रहार कर उसका वध कर दिया। हनुमान जी उसके सिर से बाहर आ गए। इस तरह हनुमान जी ने समुद्र पर उड़ने वाले पक्षियों को खाने वाली सिंहिका राक्षसी का वध कर दिया।
हनुमान जी का संजीवनी बूटी लाना
Hanuman ji ki story: लंका युद्ध के समय लक्ष्मण जी और रावण के पुत्र मेघनाथ का युद्ध हो रहा था। मेघनाद ने वीर घातिनी शक्ति चला दी।जिससे लक्ष्मण जी मूर्च्छित हो गए। लक्ष्मण जी को मूर्च्छित देखकर श्री राम बहुत व्यथित हो गए। तभी हनुमान जी सुषेण वैद्य को उसके घर सहित उठा लाए।
उन्होंने हनुमान जी को संजीवनी बूटी लाने के लिए कहा। हनुमान जी उड़कर उस पर्वत पर पहुंच गए। लेकिन वह संजीवनी बूटी को पहचान नहीं पाए, इसलिए पूरा पर्वत ही उखाड़ कर लें आएं।
उधर प्रभु श्री राम अपने भाई लक्ष्मण जी की ऐसी दशा देखकर बहुत विकल हो रहे थे। उसी समय हनुमान जी वहां आ गए। सुषेण वैद्य ने लक्ष्मण जी को औषधि दी जिससे लक्ष्मण जी में पुनः चेतना आ गई। श्री राम हनुमान जी का आभार प्रकट करने लगे।
हनुमान जी की इस कहानी से सीख मिलती है कि अगर हम किसी कार्य को करने का दृढ़ संकल्प कर लें तो कोई भी बाधा हमारा मार्ग नहीं रोक सकती।
हनुमान जी ने अपने शरीर पर सिंदूर क्यों लगाया
Hanuman story in hindi: एक बार हनुमान जी ने सीता माता को मांग में सिंदूर लगाते देखा। उन्होंने सीता माता से इसका कारण पूछा।
सीता माता कहने लगी कि," हनुमान हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि जो स्त्री मांग में सिंदूर लगाती है उसके पति की दीर्घायु होती है। श्री राम की लम्बी आयु की कामना से मैं मांग में सिंदूर लगाती हूं।"
हनुमान जी मन में विचार करने लगे कि यह तो बहुत बढ़िया बात है। हनुमान जी पूरे शरीर पर सिंदूर लगाकर श्री राम के दरबार में आ गए। सभी दरबारी उनको देखकर हंसने लगी।
श्री राम ने पूछा कि हनुमान तुम ने अपने पूरे शरीर पर सिंदूर क्यों लगाया है?
हनुमान जी कहने लगे कि," प्रभु! सीता माता ने मुझे बताया था कि उनके मांग में सिंदूर लगाने से आपकी दीर्घायु होगी। मैंने सोचा कि अगर मांग में सिंदूर लगाने से आपकी आयु बढ़ती है तो क्यों ना मैं अपने पूरे शरीर पर ही सिंदूर लगा हूं ताकि प्रभु आप अमर हो जाए।"
हनुमान जी की ऐसी भक्ति देखकर श्री राम बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने हनुमान जी को गले लगा लिया।
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