होली पर निबंध हिन्दी में
भारत त्यौहारों का देश है और होली भारत के मुख्य त्योहार में से एक है। होली को रंगों का त्यौहार कहा जाता है। होली प्रेम और सद्भावना का त्यौहार है जो लोगों के जीवन में नई उमंग, उत्साह से भर देता है।
होली के दिन सभी लोग गिले शिकवे भूला कर एक दूसरे को गले लगते हैं और एक दूसरे को अबीर, गुलाल लगाते हैं। होली के बारे में मान्यता है कि इस दिन बुरी और नकारात्मक शक्ति का नाश होता है और सकारात्मकता का संचार होता है।
होली कहां मनाई जाती है (Where is Holi Celebrated)
होली मुख्य रूप से भारत में मनाई जाती है। भारत में भी ब्रज मंडल वृन्दावन, नंदगांव, बरसाना, मथुरा की होली विश्व प्रसिद्ध है जिसे देखने के लिए देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। बरसाना में लड्डूमार और लट्ठमार होली खेली है। भारत के साथ नेपाल में भी होली की धूम होती है।
लेकिन बहुत से भारत के बहुत से नागरिक विदेशों में रहते हैं इसलिए अब भारत के साथ साथ कनाडा, अमेरिका आदि देशों में भी होली मनाई जाती है।
होली को रंगों का त्यौहार क्यों कहते हैं (Why Holi festival is called festival of colours)
होली को रंगों का त्यौहार कहा जाता है। इसदिन लोग सब गिले शिकवे भूला कर एक दूसरे को रंग लगाते है। होली श्री राधा कृष्ण के प्रेम के प्रतीक रूप में मनाई जाती है। होली पर रंग लगाने की शुरुआत श्री कृष्ण ने की थीं। श्री कृष्ण का रंग सांवला था। वह अक्सर मां यशोदा से कहते थे कि राधा गोरी है और मैं काला क्यों हूं। एक दिन मां यशोदा ने कहा कि तुम ऐसा करो कि तुम राधा को भी उसी रंग से रंग दो। श्री कृष्ण अपने सखाओं संग बरसाने पहुंच गए और वहां जाकर राधा और उनकी सखियों पर रंग डाल दिया। राधा और उनकी सखियों ने भी श्री कृष्ण और उनके मित्रों पर रंग डाल दिया। तब से ही होली के दिन रंग डालने का प्रचलन शुरू हो गया।
होली क्यों मनाई जाती है (Why Holi is celebrated)
होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। होली के दिन होलिका दहन किया जाता है। माना जाता है कि होलिका दहन से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।
होली की कहानी (Story of Holi)
एक बार हिरण्यकश्यप नाम के एक असुर ने तपस्या करके ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त किया कि "मैं ना से अस्त्र से मरु ना शस्त्र से","ना किसी पशु से मरे ना मनुष्य से", "ना दिन में मरे ना रात में","ना घर के अंदर मरे ना घर के बाहर ।" उसने स्वयं को ही भगवान घोषित कर दिया और भगवान विष्णु की पूजा पर पाबंदी थी क्योंकि भगवान विष्णु वाराह अवतार लेकर उसके भाई हिरण्याक्ष का वध किया था।
लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद विष्णु जी के भक्त था। हिरण्यकश्यप ने बहुत प्रयास किए कि वह भगवान विष्णु भक्ति छोड़ दें। लेकिन जब प्रहलाद ने विष्णु भक्ति नही छोड़ी तो हिरण्यकश्यप ने बहुत बार प्रहलाद को मरवाने के प्रयास किये लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद हर बार बच जाता।
हिरण्यकश्यप की बहन होलिका जिसे वरदान प्राप्त था कि अग्नि में नहीं जलेगी। हिरण्यकश्यप ने उसे प्रह्लाद को अग्नि में लेकर बैठने को कहा था। जब होलिका उसे अग्नि में लेकर बैैैठी तो विष्णु भक्त प्रहलाद का अग्नि कुछ ना बिगाड़ पाई। होलिका जिसे ना जलने का वरदान प्राप्त था। अग्नि में जलकर भस्म हो गई। इसलिए इस दिन बुराई के नाश के प्रतीकात्मक रूप में होलिका दहन किया जाता है।
जहां पर होलिका दहन किया जाता है ।वहां पर विधिवत तरीके से पूजा अर्चना करके लकड़ी को रखकर शुभ मुहूर्त पर होलिका दहन किया जाता है।
होली कैसे मनाई जाती है (How Holi celebrated)
होली के दिन लोग सभी गिले शिकवे भूला कर एक अपने रिश्तेदारों और मित्रों के घर पर जाकर एक दूसरे को रंग गुलाल लगाते हैं और होली की शुभकामनाएं देते हैं। एक दूसरे को रंग लगाते हुए कहते हैं बुरा न मानो होली है। ब्रज मंडल में होली पर फाग लोकगीत गाने की परम्परा है। इसलिए फाग प्रतियोगिताओं के क्रार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
बच्चों को होली को लेकर एक अलग ही उत्साह होता है। वह होली से कुछ समय पहले ही गुब्बारें, रंग और पिचकारी की ख़रीद लेते हैं। आजकल मार्केट में बच्चों के लिए बहुत ही सुन्दर और आकर्षक पिचकारी उपलब्ध है। बहुत से लोग होली का भरपूर आनंद लेने के लिए ब्रज धाम चले जाते हैं और वहां पर वृन्दावन, नंदगांव, बरसाना और मथुरा नगरी में होली का भरपूर आनंद लेते हैं।
होली के पकवान (Famous Holi Sweets)
होली उमंग और उत्साह, उल्लास का त्यौहार है। किसी भी त्योहार का मजा मिठाई के बिना अधूरा है। वैसे तो हम त्यौहार के दिन अपनी पसंद का कुछ भी मीठा जरूर बनाते हैं। हलवा, खीर, पूड़ी। लेकिन होली पर गुझिया, मावे के पेड़े, घेवर विशेष रूप से प्रसिद्ध है। उसके साथ ही ठंडाई के बिना तो होली का मजा अधूरा है। कुछ लोग ठंडाई में भांग मिलाकर पीते हैं जो कि सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। माताएं होली पर मिठाई के साथ साथ नमकीन मठरी भी बनाती है।
होली पर क्या सावधानियां बरतनी चाहिए
होली मनाते समय कुछ सावधानियां अवश्य बरतनी चाहिए (precautions to take while playing Holi)
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होली मनाने के लिए केवल प्राकृतिक रंगों का प्रयोग करना चाहिए। लेकिन कुछ लोग गुलाल की जगह पेंट और ग्रीस का प्रयोग करते हैं जिससे सामने वाले को मानसिक और शारीरिक परेशानी का सामना करना पड़ता है।
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होली पर केमिकल वाले रंगों का इस्तेमाल ना करें। क्योंकि यह त्वचा के लिए हानिकारक होते हैं।
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होली के दिन ध्यान रखना चाहिए कि रंग आंखों में ना चला जाए। अगर ग़लती से किसी की आंखों में रंग चला जाता है तो उसे आंखों को अच्छे से पानी से धोना चाहिए।
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होली पर रास्ते में चलते लोगों पर गुब्बारे नहीं फैंकने चाहिए क्योंकि इससे कोई भी दुर्घटना का शिकार हो सकता है।
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कुछ लोग होली के दिन भांग और अन्य मादक पदार्थों का प्रयोग करते हैं जिससे उनके स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव हो सकता है। इसलिए मादक पदार्थों से दूर रहना चाहिए।
होली आपसी भाईचारे और सौहार्द का त्यौहार है। होली के रंग सबमें सकारात्मक ऊर्जा भर देते हैं। इसलिए होली पर सभी मन मुटाव मिटा कर हर्ष और उल्लास से इस त्यौहार का आंनद लेना चाहिए।
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