मां का जीवन में महत्व
MOTHER'S DAY SPECIAL:मां ब्रह्मांड में ईश्वर की सबसे अच्छी रचना है। मां शब्द अपने आप में ही परिपूर्ण है। मां शब्द नारी को पूर्णता का बोध करवाता है। मां का अस्तित्व हर एक के लिए बहुत मायने रखता है क्योंकि कोई भी बच्चा अपनी पहली सांस, पहला भोजन और अपने अस्तित्व के लिए जो भी जरूरी क्रियाएं होती है वह अपनी मां की कोख में ही करता है। इसलिए हम सब का यह शरीर हमारी मां की देन है। गर्भ से ही बच्चे का मां के साथ भावनात्मक जुड़ाव होता है। एक तरफ से बच्चे के लिए उसकी मां ही भगवान होती है।
कहते हैं कि भगवान हर जगह नहीं हो सकते इसलिए उन्होंने मां बनाई। एक मां अपने बच्चे को अनकंडीशनल प्यार करती है उस दिन से लेकर जब से मातृत्व का पहली बार एहसास होता है अपनी अंतिम सांस तक। मां बनने का एहसास बहुत ही सुखद होता है।
MAA PER LINES IN HINDI: मां अपने बच्चे की मार्गदर्शक , संरक्षक होती है।मां बिना किसी शिकायत के अपने बच्चे के सब काम करती है। अपने बच्चे की हर सुख सुविधा का ध्यान रखती है। एक बच्चे को अच्छे संस्कार देने की जिम्मेदारी हो या फिर उसके स्कूल के होम वर्क हो हर काम को बहुत तल्लीनता से करती है।
एक मां अपने बच्चे की पहली मित्र, स्कूल और शिक्षक होती है।जब कोई बच्चा छोटा होता है तो उसके लिए उसकी सारी दुनिया उसकी मां होती है। मां ही उसकी पहली शिक्षक होती है क्योंकि बच्चा स्कूल जाने से पहले जो भी सिखते है ज्यादातर अपनी मां से ही सिखते है।
मां का प्यार ऐसा होता है कि कई बार बच्चे शब्दों में अपनी बात नहीं कह पाते लेकिन एक मां उनकी भाषा समझ लेती है। छोटे बच्चे के होंठों पर ईश्वर का नाम उसकी मां होती है।
मां बच्चे की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकतीं हैं। स्वयं चाहे कष्ट सह ले लेकिन हर मां की धारणा होती है कि उसके बच्चे हर कष्ट से दूर रहें। किसी ने क्या खूब लिखा है कि," मेरी तकदीर में कोई ग़म ना होता.. अगर तकदीर लिखने का हक मेरी मां को होता।"
भारतीय संस्कृति में भी मां को बहुत महत्व दिया गया है। वेदों पुराणों ,उपनिषदों, धर्म ग्रंथों में मां की भूरि भूरि प्रशंसा की गई है। वेदों में मातृ शब्द का अर्थ है
नास्ति मातृसमा छाया
नास्ति मातृसमा गतिः।
नास्ति मातृसमं त्राणं
नास्ति मातृसमा प्रपा॥
भाव - मां के समान कोई छाया नहीं, कोई आश्रय नहीं, कोई सुरक्षा नहीं। मां के समान इस विश्व में कोई जीवन दाता नहीं।- महर्षि वेदव्यास "संकद पुराण"
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी ।
भाव- माँ और जन्म भूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है।
- श्री राम "रामायण"
माता गुरुतरा भूमेरू।
भाव- मांँ इस भूमि से कहीं अधिक भारी होती हैं।
- युधिष्ठिर यह यक्ष के प्रश्न के उत्तर में कहते हैं "महाभारत"
कहते हैं कि मां के पैरों के नीचे जन्नत होती है। मां ईश्वर की बनाई हुई सबसे खूबसूरत रचना है। हिंदू धर्म में मां को शक्ति के रूप में पूजा जाता है। मां का आशीर्वाद और भावनात्मक शक्ति बच्चों के लिए सुरक्षा कवच के समान होती है। मां संकट की घड़ी में भी बच्चों को सहज महसूस करवाती है कि मानो कुछ हुआ ही न हो। मां बच्चों के लिए सुरक्षा कवच के समान होती है। बच्चों के लिए वह दुनिया और समाज से भी भिड़ जाती है।
मां एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में समन्वय स्थापित करती है। मां के बिना परिवार में नीरसता, उदासी और अकेलेपन का माहौल बन जाता है। हम एक तरह से कह सकते हैं कि ईंट और पत्थर के मकान को मां घर बनाती है। बच्चों को पिता की डांट से बचाने के लिए बच्चों की ढाल बन जाती है और पिता की डांट का बच्चों को एक सार्थक अर्थ बतलाती है। उनका एक ही मंतव्य होता है कि पूरा परिवार सुख से इकट्ठा रहे।
किसी भी व्यक्ति के अस्तित्व में उसकी मां का योगदान अकल्पनीय होता है। मां हर क्षेत्र में उसका मार्गदर्शन करती है जैसे समाजिक मर्यादा में रहना, मानवीय संवेदनाओं को समझा, परिवार का प्यार और अनुशासन आदि हर क्षेत्र में मां बच्चे को राह दिखाती है।
मां को सम्मानित करने के लिए हर साल मई महीने के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है। 2024 में मदर्स-डे 12 मई को मनाया जाएगा। इस दिन मां को हमारे जीवन में दिए गए अकल्पनीय योगदान के लिए सम्मानित करने के लिए उनको फूल, ग्रिटिंग कार्ड और गिफ्ट देकर उनको स्पेशल फील करवाया जाता है।
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