BACHE KA MAN PADHAI ME LAGANE KE UPAY

Parenting tips in hindi BACHE KA MAN PADHAI ME KAISE LAGAYA TIPS TO HELPING CHILD FOCUS ON STUDIES IN HINDI

parenting tips:बच्चों का मन पढ़ाई में कैसे लगाएं 

हर एक माता-पिता अपने बच्चे के उज्जवल भविष्य को लेकर चिंतित होते हैं। पेरेंट्स अपने बच्चे को जीवन में उन्नति करते हुए देखना चाहते हैं। इसलिए उनका उद्देश्य होता है कि, बच्चे की अच्छे से अच्छे स्कूल में एडमिशन करवाना। 

इसके लिए वह अपने बच्चे की अच्छे से अच्छे स्कूल में एडमिशन करवाते भी हैं। लेकिन ज्यादातर माता-पिता की समस्या होती है कि बच्चे का मन पढ़ाई में कैसे लगाएं? 

पेरेंट्स के लिए टिप्स

सबसे पहले तो बच्चे को यह मत बोले कि चारों तरफ इतना कम्पिटीशन है जीवन में कामयाब कैसे होंगे। पढ़ाई-लिखाई बच्चे के लिए बहुत जरूरी है, लेकिन उसको नंबर गेम में मत फंसाएं।

 बच्चों को हमेशा बेस्ट देने के लिए प्रोत्साहित करना अच्छी बात है। लेकिन कम नंबर लाना किसी गुनाह से कम नहीं ऐसा मत फील करवाएं। हर बच्चा यूनीक होता हैं।

 ईश्वर ने हर बच्चे को अलग क्षमता दी है। कोई पढ़ाई-लिखाई में बढ़िया होता है तो दूसरा बच्चा खेल कूद में, किसी की ड्राइंग बेस्ट है तो कोई संगीत में माहिर होता है, किसी का दिमाग शतरंज में तेज़ है तो कोई डिबेट में परफेक्ट है। इसलिए सब बच्चों को एक पलड़े में नहीं तोलना चाहिए। इसलिए एक बच्चे की तुलना दूसरे बच्चों से मत करें।

पढ़ाई बच्चे के भविष्य के लिए बहुत जरूरी है इसलिए बच्चे को पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करने के कुछ सुझाव दिए जा रहे हैं 

PARENTING TIPS - CHILDREN TO FOCUS ON STUDIES

बच्चों की भरपूर सराहना करें 

ऐसी कौन सी भावना है जो किसी बच्चे, जवान और बूढ़े सभी को एक सुखद अहसास देती है। वह है किसी द्वारा हमारी की गई- प्रशंसा। जी हां! अगर आपको अपने बच्चे का मन पढ़ाई में लगाना है। उसके लिए वह पढ़ाई में थोड़ा सा भी बेहतर करता है तो उसकी दिल भर कर तारीफ करें। इससे उसको अगली बार उससे भी बढ़िया प्रदर्शन करने की इच्छा जाग्रत होगी। 

जब भी वह कोई टेस्ट पेपर आपको दिखाता है आप उसके कम नंबरों पर उसको डांटने की बजाए जितना उसने ठीक attempt किया है उसकी तारीफ करें। उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरे, उसकी पीठ थपथपाएं या फिर प्यार से गले लगाएं। उसके बाद उसको यह बताएं कि जो उसने गलत किया है उसको कैसे सुधारा जा सकता है जितना उसने ठीक किया है उससे उसने क्या सीखा?

ज्यादा मामलों में यह तरीका कारगर साबित होता है। क्योंकि इससे बच्चे के मन से यह भय खत्म हो जाता है कि कम नंबरों पर भी उसके पेरेंट्स उसको डांटते नहीं, बल्कि प्यार से समझाते है। 

बच्चे से टाइम टेबल सेट करवाएं

बच्चों को पढ़ाने का एक टाइम निश्चित होना चाहिए। जब तक बच्चे इस योग्य नहीं हो जाते, तब तक पेरेंट्स उसका टाइम टेबल बनाएं। लेकिन जब वह बड़े हो जाएं आप उन से ही टाइट टेबल बनवाएं। इससे उसको सीधा संदेश जाएगा कि यह समय पढ़ने का है, यह खेलने का है, यह फोन या फिर इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स चलाने का है। 

होमवर्क करवाने में मदद करें 

आप बच्चे का होमवर्क करवाने में मदद करें। समय निकाल कर बच्चों को स्वयं पढ़ाएं क्योंकि माता पिता ही बच्चे की पहली पाठशाला होते हैं। बच्चों को जिस विषय में परेशानी हो रही है उसे आसान करके खेल-खेल में सिखाएं। मुश्किल विषय के साथ कोई कहानी कनेक्ट कर दे जिससे बच्चे उसे आसानी से याद कर पाएंगे।

स्टडी रूम से डिस्ट्रैक्शन दूर रखे

बच्चा जिस जगह पर भी बैठ कर पढ़ाई करता है उस जगह पर उस समय टीवी या फिर किसी भी तरह का म्यूजिक मत चलाएं और जहां तक हो सके आप भी बच्चे के पास बैठ कर मोबाइल फोन मत चलाएं। क्योंकि बच्चे के स्टडी एरिया में जितनी कम डिस्ट्रैक्शन होगी बच्चा उतना अधिक एकाग्रता से पढ़ पाएंगा। बच्चों के मोबाइल फोन चलाने का एक समय निर्धारित कर दे।
वर्तमान समय में हमारे आसपास बहुत सी डिस्ट्रैक्शन मौजूद हैं। उस में एक बहुत बड़ा रोल मोबाइल और सोशल मीडिया का है। क्या बच्चे, क्या जवान सभी इससे प्रभावित हैं। यह भी बच्चों का पढ़ाई में मन न लगने का एक महत्वपूर्ण कारण बन गया है। इसलिए इस डिस्ट्रैक्शन को पढ़ते समय बच्चे से दूर ही रखें। 

बच्चों को कामयाब लोगों की कहानियां सुनाएं 

ऐसा माना जाता है कि कहानियां बच्चे के मन पर गहन प्रभाव छोड़ती है।  इसलिए माता-पिता को चाहिए कि वह अपने बच्चों को सफल लोगों की कहानियां सुनाएं। ताकि वह जीवन में अपने रोल मॉडल निर्धारित कर सके। आप उनको मशहूर वैज्ञानिकों, डाक्टर, वकील, शिक्षक की कहानियां स्वयं पढ़कर उनको रोचक तरीके से सुनाएं जिससे बच्चे के दिमाग में संदेश जाएगा कि जीवन में यह सब लोग पढ़कर कामयाब हुए हैं। 

बच्चे में अपने प्रति विश्वास स्थापित करे

बचपन में माता-पिता ही बच्चे के रोल मॉडल होते हैं। इसलिए बच्चे को यह विश्वास दिलाएं कि कम अंक आने पर भी हम तुम्हारे साथ है लेकिन जिस विषय में तुम्हारे अंक कम आएं हैं उसे कैसे सुधारा जा सकता है यह विस्तार से बताएं। इसका फायदा यह होगा कि बच्चा आप पर विश्वास करेगा और उसको पढ़ाई से संबंधित जो भी समस्या होगी वह खुल कर आपको बता सकेगा।  बच्चे से उसके शिक्षकों और उनके सहपाठियों के बारे में बात करें ताकि उन्हें कहीं कोई समस्या है तो आप उसे समझा सके। अपने विचार बच्चों पर मत थोपे कि मैंने बोला तुम को वैसे ही करना पड़ेगा बल्कि समझे कि जीवन में वह क्या करना चाहता है। 

बच्चों के सीखने के पैटर्न को समझे

हर बच्चे का किसी भी चीज को अब्जर्व करने का तरीका अलग होता है। कई बच्चे एक बार में ही किसी विषय को याद कर लेते हैं लेकिन कुछ बच्चे स्लो होते हैं । इसलिए उनको बार-बार समझाना पड़ता है। इसलिए आपका बच्चा कौन से पैटर्न से अपना पाठ याद करता है उसे समझे। 
कुछ बच्चे बोलकर याद करते हैं, तो कुछ लिखकर, कुछ बच्चे समझ कर मन में याद करते हैं। इसलिए अपने बच्चे के स्टडी पैटर्न को समझे। उसको प्रेशराइज मत करें बल्कि नर्मी से उसे स्लैब्स याद करवाएं। 

बच्चों के साथ नकारात्मक शब्दों का प्रयोग ना करें 

बच्चे का मन अगर पढ़ाई में कम लगता है तो अक्सर पेरेंट्स कहते हुए सुने जा सकते हैं कि तू जिंदगी में कुछ नहीं कर पाएगा, तुम तो बहुत निक्कमे हो, ऐसे शब्दों का बच्चों के साथ प्रयोग ना करें। क्योंकि शब्दों का हमारे दिलो-दिमाग पर गहरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे शब्दों के कारण बच्चे जिद्दी और गुस्से वाले हो सकते हैं। नकारात्मक शब्दों की जगह उन्हें समझाएं कि पढ़ कर तुम जीवन में बहुत ऊंचे मुकाम तक पहुंच सकते हो। 

बच्चों की diet पर ध्यान दे

पेरेंट्स बच्चों की diet का पूरा ध्यान दें क्योंकि बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण बच्चे बार-बार संक्रमित हो जाते हैं। जिसका असर उनकी पढ़ाई पर भी पड़ता है।

 बच्चों का पेट थोड़ा सा भोजन करने के बाद ही भर जाता है इसलिए उन्हें कम डाइट में प्रचुर मात्रा में पोषक तत्वों से युक्त भोजन देना मां बाप के लिए एक चुनौती होता है। इसलिए उनकी डाइट में हरी सब्जियां, सूखे मेवे, फल , दलिया, डेयरी प्रोडक्ट्स, सलाह शामिल करें जिससे उनका इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत रहे। 

बच्चों का मन पढ़ाई में लगाना बहुत जरूरी है लेकिन उनकी खेलकूद के साथ कोई समझौता ना करें। स्वयं भी उनके साथ समय निकाल कर खेलें और खेल-खेल में उनको पढ़ाई की एक्टिविटी करवा सकते हैं। आजकल बच्चों के लिए ऐसे गेजेट्स उपलब्ध है जिससे वह खेल-खेल में ही बहुत कुछ आसानी से सीख जाते हैं। 

बच्चों के पढ़ाई में मन ना लगने के कई और कारण भी हो सकते हैं

बच्चों की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती है।
बच्चों की नींद पूरी ना होना।
बच्चे का थकान महसूस करना।
बच्चों को किसी तरह का मानसिक तनाव होना। इसलिए बच्चों को ध्यान से अब्जर्व करें और अगर बच्चे को इन में से कोई समस्या है तो उसका समाधान पहले करें। 

बच्चों का पढ़ाई में मन कैसे लगाएं? यह चिंता हर एक पेरेंट्स की जायज है। लेकिन सबसे पहले, आपका बच्चा आपके लिए हर एक चीज़ से ज्यादा महत्वपूर्ण है। यह एहसास करवाना उसे बहुत जरूरी है। इसलिए अपनी बातों से या फिर अपने gesture से बच्चों को यह विश्वास दिलाएं कि नंबर कम या ज्यादा जैसे भी आएं आप उनके साथ है। इसलिए बच्चे पढ़कर सीख रहे हैं यह जरूरी होना चाहिए ना कि नंबर कितने आएं हैं।

इसलिए बच्चों को यह सिखाएं कि पढ़ाई करके तुम जो ज्ञान अर्जित करोगे वह जीवन भर तुम्हारे काम आएगा। उनको बताएं कि पढ़ कर तुम कोई भी काम हार्ड वर्क के साथ स्मार्ट तरीके से कैसे कर सकते हो। पढ़ाई से उसके ज्ञान में वृद्धि होगी और वह आत्मविश्वास के साथ अपनी बात को दूसरों के सामने रख पाएंगा। 

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