पेरेंट्स डे कब क्यों और कैसे मनाया जाता है
पेरेंट्स बच्चे के मार्गदर्शक, संरक्षक और जन्म दाता होते हैं। पेरेंट्स, बिना किसी शिकायत के बच्चे की परवरिश करते हैं। उन्हें अच्छी शिक्षा, संस्कार और बेहतरीन जीवन देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
माता-पिता की भूमिका बच्चे की हर गतिविधि के साथ बदलती रहती है। एक माता- पिता बचपन में बच्चों का पहला स्कूल भी होते है , मित्र भी होते है और शिक्षक भी होते है।
बच्चे जब बड़े होते हैं तो माता-पिता को उनके मित्र बनकर समझाना पड़ता है। जब वह अपने करियर को चुन रहे होते हैं या फिर किसी मुश्किल में होते हैं तो उनका मार्गदर्शक बनना पड़ता है। इस तरह पेरेंटिंग एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। पेरेंट्स डे का उद्देश्य पेरेंट्स के हमारे लिए दिए गए त्याग और समर्पण के लिए सम्मानित करना होता है।
PARENTS DAY KAB MANAYA JATA HAI
पेरेंट्स डे हर साल जुलाई के चौथे रविवार को मनाया जाता है। 2023 में पेरेंट्स 23 जुलाई को पड़ रहा है।
PARENTS DAY HISTORY
पेरेंट्स डे की शुरुआत 8 मई 1973 को दक्षिण कोरिया में हुई थी। लेकिन अमेरिका में इस दिन को अधिकारिक तौर पर मनाने की घोषणा 1994 में की गई। तब से जुलाई के चौथे रविवार को पेरेंट्स डे मनाया जाता है। अलग-अलग देशों में पेरेंट्स डे अलग-अलग दिन मनाया जाता है।
SIGNIFICANCE OF PARENTS' DAY
Parents Day मनाने का उद्देश्य बच्चों और पेरेंट्स के मध्य संबंधों को मजबूत करना और पारिवारिक संबंधों को बढ़ावा देना है। पेरेंट्स किसी भी परिवार का आधार स्तम्भ होते हैं। इसदिन पेरेंट्स के अपने बच्चों के जीवन में दिए गए अकल्पनीय योगदान, प्यार और समर्पण के प्रति सम्मानित करना और पेरेंट्स के प्रति सम्मान को जागृत करना है।
PARENTS DAY KAISE MANAYA JATA HAI
पेरेंट्स डे के दिन बच्चे अपने पेरेंट्स को फूल, ग्रिटिंग और उपहार देते हैं। इसदिन आप अपने पेरेंट्स के साथ समय बिताएं। उनको आभार व्यक्त करें उनका आपके जीवन में क्या महत्त्व है। लेकिन इसका अर्थ यह बिल्कुल भी नहीं है कि केवल पेरेंट्स डे के दिन ही मात- पिता का सम्मान करना है बल्कि हमें अपने माता-पिता जो कि बचपन और जवानी में हमारे रोल मॉडल होते हैं उनका हमारे जीवन को एक निर्धारित दिशा प्रदान करने के लिए सदैव धन्यवाद कहते रहना चाहिए।
भारत में माता पिता को सम्मानित करने के लिए 14 फरवरी को मातृ पितृ पूजन दिवस भी मनाया जाता है।
PARENTS DAY QUOTES IN SANSKRIT
1. सर्वतीर्थमयी माता सर्वदेवमयः पिता ।
मातरं पितरं तस्मात् सर्वयत्नेन पूजयेत् ॥
भाव- माता का स्थान सभी मनुष्यों के लिए सम्पूर्ण तीर्थों के सामान है, तथा पिता समस्त देवताओं का स्वरूप है। इसलिए सभी मनुष्यों का यह परम कर्तव्य है कि वह माता पिता का आदर और सत्कार और सेवा करें।
2. पित्रोश्च पूजनं कृत्वा प्रक्रान्तिं च करोति यः ।
तस्य वै पृथिवीजन्यफलं भवति निश्चितम् ।।
भावार्थ - जो पुत्र माता- पिता का पूजन करके उनकी प्रदक्षिणा करता है, उसे निश्चित रूप से पृथ्वी परिक्रमा जनित(समान) फल प्राप्त हो जाता है ।
3. अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः।
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम्।।
भावार्थ - जो बच्चा नित्य माता-पिता और गुरुजनों को प्रणाम और उनकी सेवा करता है, उसकी आयु, विद्या, यश और बल चारों वृद्धि होती हैं।
4. मातृ देवो भव पितृ देवो भव् आचार्य देवो भव, अतिथि देवो भव्
भावार्थ - माता, पिता, गुरु और अतिथि को देवता स्वरूप मानकर पूजते हैं।
5. माता गुरुतरा भूमेः पिता चोच्चतरं च खात्।
भावार्थ - माता पृथ्वी से भारी है। पिता आकाश से भी ऊंचा है।
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