GOVARDHAN PUJA KATHA AARTI IN HINDI

GOVARDHAN PUJA KATHA KAHANI SIGNIFICANCE AARTI IN HINDI GOVARDHAN PUJA MANTRA IN SANSKRIT

Kartik month: गोवर्धन पूजा की कथा 

गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण की एक प्रसिद्ध लीला से जुड़ा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। इस त्योहार को कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है।

गोवर्धन पूजा का पर्व भगवान श्री कृष्ण ने द्वापर युग में शुरू किया था।  गोवर्धन पूजा के पीछे मुख्य कारण यह है कि भगवान कृष्ण ने ब्रजवासियों को इंद्र के अभिमान को तोड़ने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा अंगुली पर उठाया था। 

 GOVERDHAN PUJA KI KATHA 

एक बार श्री कृष्ण ने वृन्दावन में सभी को पूजा की तैयारी करते देखा। उन्होंने पूछा कि यह किस देवता की पूजा की तैयारी चल रही है। नंद बाबा ने कहा कि इंद्र देव की क्योंकि उनके कारण बारिश होती है।

लेकिन श्री कृष्ण ने बृज वासियों को इंद्र की पूजा छोड़कर गोवर्धन पूजा करने के लिए कहा। श्री कृष्ण का मानना था गोवर्धन पर्वत के कारण ही उनके पशुओं को चारा मिलता है, जिसे खाकर वें दूध देते हैं। गोवर्धन पर्वत ही बादलों को रोककर बारिश करवाता है, जिसके कारण अच्छी फसल होती है। श्री कृष्ण का कहना मानकर बृज बासी गोवर्धन पर्वत की पूजा के लिए तैयार हो गए।

जब इंद्र देव को इस बात का पता चला तो वह क्रोधित हो गए। उन्होंने मूसलाधार बारिश करनी शुरू कर दी। जिस में सब कुछ बहने लगा। श्रीकृष्ण ने तब गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया। सभी ब्रज वासियों को उसके नीचे आने को कहा। इस तरह श्री कृष्ण ने उसकी रक्षा की। इंद्र को अपनी ग़लती का एहसास हुआ और उसने माफी मांगी।‌‌ 

 श्री कृष्ण ने लगातार 7 दिन अन्न जल ग्रहण नहीं किया।। इंद्र देव के क्षमा मांगने के बाद जब श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को पुनः स्थापित किया तो श्री कृष्ण का अन्न जल के बिना रहना माँ यशौदा और ब्रज वासियों के लिए बहुत कष्ट प्रद था।

इस लिए उन्होंने सातवें दिन के अंत में हर दिन के आठ पहर (7×8=56) के हिसाब से 56 व्यंजन बना कर श्री कृष्ण को भोग लगाया। तब से ही श्री कृष्ण को छप्पन भोग चढ़ाने और अन्नकूट की परम्परा शुरू हुई।

गोवर्धन पूजा का महत्व 

 गोवर्धन पर्वत को प्रकृति का प्रतीक माना जाता है। गोवर्धन पूजा के माध्यम से, लोग प्रकृति की पूजा करते हैं और इसके प्रति अपनी आस्था व्यक्त करते हैं।

गाय की पूजा-  गोवर्धन पूजा के दौरान, गाय की भी पूजा की जाती है। गाय को हिंदू धर्म में एक पवित्र जानवर माना जाता है। गोवर्धन पूजा के माध्यम से, लोग गाय के प्रति अपनी आस्था व्यक्त करते हैं।

भगवान कृष्ण की पूजा- गोवर्धन पूजा के माध्यम से, लोग भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं। भगवान कृष्ण को हिंदू धर्म में एक प्रमुख देवता माना जाता है। गोवर्धन पूजा के माध्यम से, लोग भगवान कृष्ण के प्रति अपनी आस्था व्यक्त करते हैं।

गोवर्धन पूजा के दिन, लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं। इसके बाद, लोग गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं। परिक्रमा के बाद, लोग गाय को और खेती के काम में आने वाले पशुओं की पूजा की जाती है उनको भोजन और फल चढ़ाते हैं। 

इस दिन गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाकर , ग्वाल बाल और पेड़ पौधों की भी आकृति बनाई जाती है और श्री कृष्ण की मूर्ति रखी जाती है। श्री कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है और उनको धूप, दीप‌ और नैवेद्य अर्पित किया जाता है इसके अलावा, लोग इस दिन तर-तरह के पकवान बनाते हैं और प्रसाद के रूप में भगवान कृष्ण को अर्पित करते हैं।  

गोवर्धन पूजा मंत्र 

गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक।
विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव।।

GOVARDHAN MAHARAJ JI KI AARTI

श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,

तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े,

तोपे चढ़े दूध की धार।

तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

तेरी सात कोस की परिकम्मा,

और चकलेश्वर विश्राम

तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

तेरे गले में कण्ठा साज रहेओ,

ठोड़ी पे हीरा लाल।

तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

तेरे कानन कुण्डल चमक रहेओ,

तेरी झाँकी बनी विशाल।

तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

गिरिराज धरण प्रभु तेरी शरण।

करो भक्त का बेड़ा पार

तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ। 

गोवर्धन पूजा एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है जो लोगों को प्रकृति, गाय और भगवान कृष्ण के प्रति अपनी आस्था व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है। 

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