MORAL STORY MANN KE HARE HAR HAI MAAN KE JEETE JEET

must read Moral story MAAN KE HARE HAR HAI MAAN KE JEETE JEET Michelle Phillips good moral motivational inspirational story in hindi for kids students for class 7,8,9 ,10 th class.

मन के सारे हार है मन के जीते जीत- मुहावरे का अर्थ है हम किसी विपत्ति के आने क्या धारणा बनाते हैं ? अगर सोचेंगे कि हम हार निश्चित है तो हार सकते हैं लेकिन अगर मन में जीतने का दृढ़ निश्चय कर ले तो हमारी जीत निश्चित हो जाती है।

 मन के सारे हार है मन के जीते जीत पर Moral story of Swimmer Michael Phelps 

माइकल फेल्प्स अमेरिका के विश्व प्रसिद्ध तैराक है। माइकल फेल्प्स "फ्लाइंग फिश" के नाम से प्रसिद्ध है। माइकल फेल्प्स विश्व के सर्वश्रेष्ठ तैराक के रूप में प्रसिद्ध है। माइकल फेल्प्स ओलंपिक में 28 पदक जीतने वाले एक मात्र खिलाड़ी हैं। उनमें से भी 23 गोल्ड मेडल है इसलिए सबसे अधिक गोल्ड मेडल जीतने का रिकॉर्ड भी माइकल फेल्प्स के नाम पर दर्ज है। ओलंपिक में 8 स्वर्ण पदक जीतने का भी कीर्तिमान भी उनके नाम पर दर्ज है।

माइकल फेल्प्स का जन्म 30 जून 1985 में अमेरिका के बाल्टीमोर के मैरीलैंड में हुआ था। वह बहनों के साथ सात साल की आयु में तैराकी सिखने जाते थे। शुरू में वह तैराकी शौक के लिए करते थे लेकिन समय के साथ तैराकी करना उनके लिए जुनून बन गया।

मार्क स्पिट्ज ने 1972 के ओलंपिक गेम्स में 7 गोल्ड मेडल जीतकर विश्व रिकॉर्ड बनाया था और माइकल फेल्प्स ने 2008 में बीजिंग ओलंपिक में 8 पदक जीतकर उनके 36 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा।

माइकल फेल्प्स ने 2004 के ओलंपिक में घोषणा कर दी थी कि वह 2008 के ओलंपिक में 8 स्वर्ण पदक जीतेंगे। उन की इस घोषणा के पश्चात उनके विरोधियों और मीडिया में उनका बहुत मजाक उड़ाया गया। इस घोषणा के पश्चात उन्होंने कठिन पेरेक्टिस शुरू कर दी। 

लेकिन नियति शायद उनका इम्तिहान लेना चाहती थी। ओलंपिक के दो साल पहले एक दुर्घटना में उनके दाहिने हाथ में फ्रैक्चर हो गया और डाॅक्टरों ने उन्हे अगले एक साल तक तैराकी नहीं कर सकते।  माइकल फेल्प्स कहने लगे कि," अब मैं पीछे नहीं हट सकता क्योंकि मैंने तो ओलंपिक में 8 स्वर्ण पदक लाने की घोषणा कर दी है।" 

उन्होंने निश्चय किया कि वह अपने हाथों की बजाय पैरों से तैराकी की प्रेक्टिस करेंगे। एक साल तक वह लगातार पैरों से अभ्यास करते रहे। जब उन्होंने पैरों के साथ-साथ हाथों से भी तैराकी करनी शुरू की तो उनकी स्पीड अनबिटेबल हो चुकी थी।

बीजिंग ओलंपिक 2008 में उन्होंने इतना बेहतरीन प्रदर्शन किया कि उन्होंने 7 गोल्ड मेडल जीत लिये। लेकिन यहां पर भी उनकी किस्मत उनका इम्तिहान लेना चाहती थी।

जब वह 200 मीटर के बटरफ्लाई इवेंट में जैसे ही उन्होंने पूल में डाइव किया उनको अहसास हुआ कि उनका चश्मा टूट चुका था। रेस अब शुरू हो चुकी थी इसलिए अब वह कुछ नहीं कर सकते थे।

 लेकिन लगातार प्रेक्टिस की वजह से उन्हें स्मरण था कि कितने लैप के बाद टर्न लेना है। पूरी स्पर्धा में उनकी आंखें बंद थी। बाहर बैठा कोई भी व्यक्ति उनकी इस परिस्थिति के बारे में जान नहीं पाया। जब उन्होंने स्पर्धा पूरी करने के पश्चात बोर्ड पर अपनी नज़र दौड़ाई तो वह विश्व कीर्तिमान स्थापित कर चुके थे। उन्होंने बीजिंग ओलंपिक में 8 स्वर्ण पदक जीत कर अपने विरोधियों का मुंह बंद कर दिया। 

माइकल फेल्प्स की कहानी इस मुहावरे को सत्य करती है "मन के सारे हार है मन के जीते जीत"। उन्होंने अपने मन में हार के विचार को पोषित नहीं किया बल्कि उस परिस्थिति में भी उन्होंने जीतने का रास्ता खोज निकाला।

Moral - इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि अगर हम कठिन परिस्थितियों में भी हार ना माने तो निश्चित तौर पर हमें जीतने का कोई ना कोई मार्ग मिल ही जाता है। इसलिए हमें मुश्किल में भी समस्या पर नहीं बल्कि उसके समाधान पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।

READ MORE MORAL STORIES

कर भला तो हो भला 

अकबर बीरबल मज़ेदार कहानियां

बुद्धिमत्ता की कहानियां 


 

About Author : A writer by Hobbie and by profession
Social Media

Message to Author