MEHANDIPUR BALAJI HOLI MAHOTSAV FALGUN LAKHI MELA 2023

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MEHANDIPUR BALAJI MANDIR HOLI MELA DATE

 Friday, 3 MARCH - Wednesday, 8 MARCH 2023

मेंहदीपुर बालाजी होली महोत्सव फाल्गुन लक्खी मेला:2023 

मेंहदीपुर बालाजी जी मे  छः दिवसीय होली महोत्सव आरंभ हो गया है। बाला जी के भक्त दूर दूर से उनके दर्शनों‌ के लिए पहुंच रहे हैं।

मेंहदीपुर बालाजी हनुमान जी का प्रसिद्ध मंदिर है। राजस्थान के दौसा जिले के मेहंदी बालापुर में लक्खी मेला फाल्गुन मास में लगता है। मेहंदी बालापुर में प्रतिवर्ष होली मेला लगता है। होली मेले में लाखों की तादाद में श्रद्धालु दूर-दूर से बालाजी के दर्शनों के लिए आते हैं। होली मेले के लिए मंदिर ट्रस्ट की ओर से व्यापक इंतजाम किए जाते हैं। अबीर गुलाल से पूरे मंदिर का माहौल भक्तिमय हो जात है। 

बहुत से श्रद्धालु पैदल यात्रा कर बालाजी के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। राजस्थान के साथ साथ हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, एमपी और उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों के श्रद्धालु अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए मंदिर में बालाजी के दर्शन के लिए आते हैं।

हिंदू धर्म में होली के दिन देवी- देवताओं का पूजन के साथ-साथ इष्ट देव की पूजा की जाती हैं। इसलिए अपने इष्ट देव के दर्शन की परंपरा के कारण मेहंदी बालापुर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शनों के लिए आते हैं।

बालाजी मंदिर पूरे विश्व में भूत-प्रेत बाधा और नकारात्मक शक्तियों के निवारण के लिए प्रसिद्ध है। ऐसे मान्यता है कि तंत्र मंत्र और भूत बाधाओं से ग्रसित व्यक्ति बालाजी के दर्शन के बाद बिना किसी दवाई के ही ठीक हो कर घर लौटते हैं ।

मेहंदीपुर बाला मंदिर में होली महोत्सव में होलिका दहन के सार्वजनिक आयोजन को समाधि स्थल पर कंस्ट्रक्शन के चलते निरस्त किया गया है। 

MEHANDIPUR BALAJI TEMPLE HISTORY IN HINDI

मेंहदीपुर बालाजी राजस्थान के तहसील सिकराय में स्थित हनुमान जी का प्रसिद्ध मंदिर है। मेहंदी बालाजी मंदिर के बारे में एक कथा प्रसिद्ध है। एक हज़ार वर्ष पहले महंत जी को एक सपना आया। वह सपने में उठे और चल पड़े और अचानक उन्होंने एक ओर से हज़ारों की संख्या में जलते हुए दीपक आते देखें और उनके साथ हाथी घोड़ों की आवाज आ रही थी। एक फौज चली आ रही थी उस फौज ने बालाजी महाराज मंदिर की मूर्ति की प्रदक्षिणा की और वापस चली गई।

 इसके पश्चात महंत जी जब पुनः अपने वापस गांव जाकर सो रहे थे उन्हें एक सपना आया जिसमें उन्हें तीन मूर्तियां दिखाई दी और महंत जी को आवाज आई की मेरी सेवा करो। 

लेकिन महंत जी समझ नहीं पा रहे थे कि यह आवाज किसकी है । उसके पश्चात हनुमान जी ने स्वपन में उन्हें अपना रूप दिखाया और पूजा करने का आग्रह किया। महंत जी ने अपना सपना गांव वालों को सुनाया और गांव वालों की मदद से स्थान पर खुदाई की तो वहां पर बालाजी की मूर्ति प्रकट हुई। उसके पश्चात आगे जाकर वही स्थान मेहंदी बालाजी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

  • मेंहदीपुर बालाजी जी की मूर्ति स्वयं निर्मित है । बाला जी की मूर्ति में बाई ओर एक छेद है जिसमें से हमेशा पानी की धारा बहती रहती है । इस पानी को एक कुण्ड में इकट्ठा करके भगवान बालाजी के चरणों में अर्पित करने के बाद श्रद्धालुओं को प्रसाद के तौर पर बांटा जाता है ।

  • बालाजी मंदिर के बाद 3 देवताओं को प्रसाद चढ़ाना चाहिए। बालाजी को लड्डू का प्रसाद ,प्रेतराज सरकार को चावल का प्रसाद और कोतवाल कप्तान भैरव जी को उड़द का प्रसाद चढ़ाना चाहिए।

मंदिर की वास्तुकला राजस्थानी शैली से प्रभावित है। 

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