जैसे को तैसा प्रेरणादायक कहानी
JAISE KO TAISA MOTIVATIONAL STORY IN HINDI : एक बार एक सेठ पूरे गांव में अपनी कंजूसी के लिए प्रसिद्ध था। वह अपने जहां काम करने वाले नौकरों से काम करवा लेता। लेकिन पैसे देने से बच जाता था। क्योंकि वह वेतन देने से बचने के लिए पहले ही कोई ना कोई जुगाड लगाना जानता था।
इसलिए गांव का कोई भी उसके लड़का उसके जहां नौकरी करने को तैयार नहीं होता था। एक बार दूसरे गांव का लड़का उस सेठ से नौकरी मांगने गया। सेठ ने कहा कि," मैं तुमको हर महीने दो रूपये की तनख्वाह दूंगा और दिन में एक बार भोजन करने को मिलेगा। किसी भी वृक्ष का एक पत्ता भरकर। उसके बदले तुम को मेरे घर, खेत और बाहर के सभी काम करने होंगे।
सेठ ने लड़के को एक शर्त भी रखी कि अगर तुम काम छोड़ कर गए तो मैं तुम्हारे नाक और कान काट लूंगा और अगर मैं तुम्हें निकलता हूं तो तुम मेरे नाक और कान काट देना। एक तो लड़का बहुत ही सीधा-साधा था और उसे दुनियादारी की ज्यादा सूझबूझ नहीं थी। दूसरे लड़के को काम की जरूरत थी इसलिए उसने हामी भर दी।
सेठ उससे सारा दिन खेत ,बाजार और घर का सारा काम करवाता जिससे उसका अंग-अंग थक कर चूर हो जाता।
दिन भर मेहनत करने के पश्चात वह बरगद के पेड़ का एक पत्ता तोड़ कर सेठानी जी से भोजन मांगता। सेठानी उसके पूरा पत्ता भर कर भोजन दे देती। यह उसका रोज का नियम था। गांव में आसपास कोई भी ऐसा पेड़ नहीं था जिसके पत्ते इससे बड़े हो।
सेठ उससे दिनभर काम करवाता और रात को वह बरगद के पत्ते पर उसे भोजन दे देता। इस तरह कम भोजन खाने के कारण वह सुख कर कांटा हो गया था। उसकी तबियत बिगड़ने लगी थी।उसके शरीर में ताकत नहीं बची थी। अब उसने नौकरी छोड़ने का निश्चय कर लिया। वह सोचने लगा कि जान है तो जहान है फिर चाहे सेठ मेरे नाक और कान काट दे।
वह सेठ से जाकर बोला कि मुझे काम नहीं करना। सेठ ने कहा कि शर्त के अनुसार मैं तुम्हारे नाक और कान काट दूंगा और सेठ ने वैसा ही किया और लड़के को तनख्वाह भी नहीं दी।
लड़का जब अपने गांव पहुंचा तो उसकी इतनी बुरी हालत देखकर उसका भाई देखकर आग बबूला हो गया। उसने उसे सेठ का पता पूछा। उसने अपने भाई को आश्वासन दिया कि मैं सेठ को सबक सिखाउंगा।
उसका भाई सेठ के पास पहुंच गया और कहने लगा सेठ जी मुझे अपने जहां नौकरी पर रख लो। मुझे काम के बहुत जरूरत है । सेठ ने अपनी शर्त सुना दी कि मैं तुमको महीने के दो रूपए तनख्वाह दूंगा और एक दिन में एक बार एक पेड़ के एक पत्ते के ऊपर भर कर भोजन मिलेगा।
अगर तुमने नौकरी छोड़ी तो तुमने तुम्हारे नाक कान काट लूंगा और मैंने तुम्हें नौकरी से निकला तो तुम मेरे नाक कान काट देना। यह लड़का बहुत होशियार था। अगले दिन सुबह सेठ ने लड़के से कहा कि जाकर बैलों को तालाब पर पानी दिखा लाओ। लड़का तालाब पर बैलों को पानी दिखा कर वापस ले आया। लड़का जंगल जाकर केले के पेड़ का पत्ता तोड़कर ले आया। उस पत्ते को भरते सेठानी का लगभग सारा भोजन खत्म हो गया।
अगले दिन सुबह गर्मी के कारण इसका एक बैल मार गया। सेठ ने उससे पूछा कि क्या तुमने कल इसे पानी नहीं पिलाया था? लड़का बड़ी मासूमियत से बोला कि अपने स्वयं ही तो बोला था कि बैलों को पानी दिखा लाओ। मैं उन्हें तालाब पर ले गया और उन्हें पानी दिखा कर ले आया।
सेठ अपना सिर पकड़ कर बैठ गया और उसे कहने लगा कि जब कोई काम कहूं तो उसका एक कदम आगे सोचा करो। लड़के ने बोला ठीक है। सेठ को अब एक नया बैल खरीदना पड़ा । पहले ही दिन हजारों का नुक़सान हो जाना सेठ को बहुत सता रहा था। लेकिन शर्त के अनुसार वह चाह कर भी उसे निकाल नहीं सकता था।
अगले दिन सेठ ने उससे कहा कि खेत पर हल चला आओ और आते वक्त ईंधन के लिए लकड़ी काट कर ले आना और गोश्त के लिए किसी जानवर का शिकार करके ले आना। वह लड़का सारा दिन खेत पर काम करके थक कर चूर हो गया था। घर वापस जाने लगा तो उसने ईंधन के लिए हल के टुकड़े कर लिए और सेठ के कुत्ते को काटकर उसका मांस ले गया।
लड़का सेठानी से कहने लगा कि," मैं तो शाकाहारी हूं मैं तो दाल चावल ही खाऊंगा।" सेठानी ने उसे केले का पत्ता भर कर दाल चावल दे दिए। सेठ ने भोजन बनने के बाद जब अपने कुत्ते को आवाज लगाई तो कुत्ता नहीं आया।
सेठ ने उस लड़के से पूछा कि कुत्ता कहां है ? उसने कहा आपने स्वयं ही तो कहा था कि शाम को आते वक्त शिकार ले आना। मुझे कोई शिकार नहीं मिला तो मैं कुत्ता काट कर ले आया। सेठ को अब अपनी ही रखी शर्त के लिए पछतावा हो रहा था। एक तो यह दिन भर बहुत नुकसान करता था और दूसरे शाम को केले का पत्ता भर कर भोजन खा जाता था।
अगले दिन सुबह सेठ ने कहा कि जाओ खेत में हल चला कर आओ। लड़का कहने लगा कि हल चलाने के लिए मुझे हल चाहिए। सेठ ने कहा कि कल तुम ही तो हल लेकर गए थे। लड़के ने कहा कि ईंधन के लिए कल मुझे लकड़ी नहीं मिली तो मैं हल के ही टुकड़े कर दिए।
सेठ अब उस से परेशान हो चुका था लेकिन शर्त अनुसार अगर वह उसे निकलता तो उसे अपने नाक कान कटवाने पड़ते। इसलिए हर पल उसकी हरकतें सहन करना उसकी विवशता थी।
एक दिन सुबह सेठानी बीमार हो गई । सेठ ने कहा कि जो वैद्य जी को खबर कर देना उनकी दवा दारू से वह ठीक हो जाएगी। लड़का जाकर वैद्य जी को खबर कर आया और साथ-साथ पूरे गांव में खबर फैला देना उसने उचित समझा कि सेठानी मर गई है।
पूरा गांव सेठ जी के घर पर इकट्ठा हो गया। सेठ हर किसी को समझा रहा था कि सेठानी जी को कुछ नहीं हुआ बस उनकी तबियत खराब होना तो मामूली बात है। कुछ देर पश्चात वह लड़का भी वहां पहुंच गया। वह अपने साथ बैलगाड़ी भरकर लकड़ियां ले आया था। सेठ ने पूछा कि तुम यह लकड़ियां क्यों लाए हो? साथ में तुमने सारे गांव में यह अफवाह फैला दी कि सेठानी मर गई है ?
वह लड़का कहने लगा कि," आपने ही तो कहा था कि एक कदम आगे की सोचा करो, मैंने सोचा कि आज सेठानी जी बीमार हुई है कुछ देर में मर जाएंगी। इसलिए गांव में खबर फैला दी। मुझे लगा कि जब वह मर जाएंगी तो उनके अंतिम संस्कार के लिए ईंधन की जरूरत पड़ेगी। इसलिए मैं आपके बाग़ से लकड़ियां काट ले आया।
अब कंजूस सेठ के सब्र का बांध टूट चुका था। उसने कहा-अब कुछ भी हो जाए मैं इस लड़के को अपने घर पर काम नहीं करने दूंगा। उसके लिए चाहे मुझे कोई भी कीमत चुकानी पड़े। उसने मुझे लड़के से कहा कि तुम दफा हो जाओ।
लड़के ने कहा ठीक है," मैं दफा हो जाऊंगा, लेकिन अब पहले आपको नाक और कान काट कटवाना पड़ेगा।" वह कंजूस सेठ इंकार ना कर पाने की स्थिति में था। क्योंकि पूरे गांव के सामने उसने उस लड़के के भाई के नाक और कान काटे थे। क्योंकि शर्त के अनुसार वह स्वयं नौकरी छोड़कर गया था।
अब वह खुद अपने नौकर को नौकरी से निकाल रहा था। अब उसे नाक और काट काटने से कैसे मना कर सकता था। अपने भाई का बदला लेकर वह लड़का वापस चला गया। गांव में हर कोई कह रहा था कि इस लड़के ने जैसे को तैसा वाला जवाब दिया है तो कोई कह रहा था कि जैसी करनी वैसी भरनी। लड़का अपने गांव पहुंचा और अपने भाई को बताया कि मैं तुम्हारा बदला ले आया हूं। यह सुनकर उसके भाई का बहुत खुश होना स्वाभाविक था।
Moral - इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि जैसा हम किसी के साथ बर्ताव करते हैं वैसा ही हमें वापस मिलता है।
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