RADHA RADHA NAAM KI MAHIMA

RRADHE RADHE NAAM KI MAHIMA RADHA NAAM JAAP MANTRA SHLOK Naam jaap ke benefits RADHA RANI KE 28 NAAM IN HINDI  राधा नाम जपने के फायदे राधे राधे नाम महिमा की कहानी कथा मम नाम शतनैव राधा नाम मंत्र राधा रानी 16 नाम मंत्र

राधा नाम की महिमा श्री कृष्ण,भगवान नारायण द्वारा की गई

राधा नाम की महिमा अपरम्पार है। श्री राधा रानी श्री कृष्ण की सखी और उपासिका थी। राधा रानी को कृष्ण वल्लभा कहा गया है। वह श्री कृष्ण की अधिष्ठात्री देवी है। श्री राधा नाम जपने से श्री कृष्ण शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। श्री राधा और कृष्ण निस्वार्थ और अटूट प्रेम के प्रतीक हैं।

राधा-राधा रटत ही भव व्याधा मिट जाय। 
कोटि जनम की आपदा राधा नाम लिये सो जाय।।

श्री राधा नाम स्मरण करने से ही हमारे जीवन समस्त सब व्याधा बाधा ही मिट जाती हैं और राधा नाम लेने से करोड़ों जन्मों के लोग दोष पाप और शुभाशुभ कर्म रोगों से मुक्ति मिल जाती हैं।

'रा' शब्दं कुर्वतस्त्रस्तो ददामि भक्तिमुत्तमाम्।
'धा' शब्दं कुर्वतः पश्चाद् यामि श्रवणलोभतः॥

 श्री कृष्ण कहते हैं  कि किसी के मुख से " रा" शब्द सुनते ही मैं उसे भक्ति प्रदान करता हूं और "धा" शब्द सुनते ही राधा रानी का नाम सुनने के लालसा में उसके पीछे-पीछे चला जाता हूं.

मम नाम शतेनैव राधा नाम सकृत समम। 
य: स्मरते सर्वदा राधा न जाने तस्य किं फलम॥

भाव- श्री कृष्ण कहते हैं कि जिस भक्त ने मेरे 100 नाम का स्मरण किया और श्री राधा रानी का एक बार नाम लिया दोनों का फल एक समान होगा। लेकिन जो भक्त सदा सर्वदा राधा नाम का जाप करते है उनको क्या फल मिलता है मैं भी नहीं जानता।

 ब्रह्मवैवर्त पुराण के श्री कृष्ण जन्म खंड में भगवान नारायण ने नारद जी से राधा रानी के 16 नामों की महिमा कहीं है। 

राधा रासेस्वरी रासवासिनी रसिकेश्वरी।
कृष्णप्राणाधिका कृष्णप्रिया कृष्णस्वरूपिणी।।
कृष्णवामांगसम्भूता परमानन्दरूपिणी । 
कृष्णा वृन्दावनी वृन्दा वृन्दावनविनोदिनी ।।
चन्द्रावली चन्द्रकान्ता शरच्चन्द्रप्रभानना ।
नामान्येतानि साराणि तेषामभ्यन्तराणि च।।

राधा रानी के नामों का अर्थ

1.राधा– ‘राधा’ शब्द का ‘रा’ प्राप्ति का वाचक है और ‘धा’ निर्वाण का । राधा मुक्ति, निर्वाण (मोक्ष) प्रदान करने वाली हैं । 

2.रासेस्वरी– वह रासेश्वर श्रीकृष्ण की प्राणप्रिया अर्धांगिनी हैं, अत: ‘रासेश्वरी’ कहलाती हैं ।

3. रासवासिनी–उनका रासमण्डल में निवास है, अतः वह ‘रासवासिनी’ कहलाती हैं।

4. रसिकेश्वरी- समस्त रसिक देवियों की सर्वश्रेष्ठ स्वामिनी हैं, इसलिए उन्हें ‘रसिकेश्वरी’ कहलाती है ।

5. कृष्णप्राणाधिका– श्रीकृष्ण को वे प्राणों से भी अधिक प्रिय हैं ।इसलिए उनको ‘कृष्णप्राणाधिका’ कहा जाता है ।

6.कृष्णप्रिया–वे श्रीकृष्ण की परम प्रिया हैं या श्रीकृष्ण उन्हें परम प्रिय हैं, इसलिए उन्हें ‘कृष्णप्रिया’ कहा जाता हैं ।

7. कृष्णस्वरूपिणी–वे श्रीकृष्ण का रूप धारण करने में समर्थ हैं और वे स्वरूपत: श्रीकृष्ण के समान हैं; इसलिए ‘कृष्णस्वरूपिणी’ कहलाती हैं ।

8.कृष्णवामांगसम्भूता–वे श्रीकृष्ण के वामांग से प्रकट हुई हैं, इसलिए उन्हें —‘कृष्णवामांगसम्भूता’ कहा जाता हैं।

9.परमानन्दरूपिणी– वे भगवान की परम आनंदस्वरूपा आह्लादिनी शक्ति है, इसलिए उन्हें ‘परमानन्दरूपिणी’ नाम से जाना जाता है।

10.कृष्णा– वे श्रेष्ठ मोक्ष प्रदान करने वाली होने के कारण  ‘कृष्णा’ कहलाती है  ।

11.वृन्दावनी–वृन्दावन उनकी मधुर लीलाभूमि है तथा वे वृन्दावन की अधिष्ठात्री देवी हैं, अत: इन्हें ‘वृन्दावनी’ नाम से भी जाना जाता है ।

12. वृन्दा–‘वृन्द’ शब्द का अर्थ है सखियों का समुदाय और ‘आ’ सत्ता का वाचक है अर्थात् वे सखियों के समुदाय की स्वामिनी हैं इसलिए वे "वृन्दा" कहलाती है ।

13. वृन्दावनविनोदिनी– समस्त वृन्दावन को उनके कारण आमोद(आनंद) प्राप्त होता है इसलिए उन्हें ‘वृन्दावनविनोदिनी’ कहा जाता हैं ।

14. चन्द्रावली–इनके मुख पूर्ण चंद्रमा के सदृश्य है। इसलिए उनका नाम रखा है—‘चन्द्रावली’ ।

15.चन्द्रकान्ता–उनके शरीर पर अनन्त चन्द्रमाओं की सी कांति रात-दिन जगमगाती रहती है , इसलिए उन्हें ‘चन्द्रकान्ता’ कहते हैं ।

16.शरच्चन्द्रप्रभानना–इनका मुखमण्डल शरत्कालीन चन्द्रमा के समान प्रभावान है, इसलिए उन्हें —‘शरच्चन्द्रप्रभानना’ भी कहा जाता हैं।

राधा रानी के नामों से स्पष्ट है कि वह श्रीकृष्ण की अभिन्न शक्ति है।
 BENIFIT OF RADHA RANI 16 NAAM JAAP:राधा रानी के सोलह नामों का जाप करने श्री कृष्ण की भक्ति प्राप्त होती है। माना जाता है कि षोढ़स नाम स्त्रोत्र पढ़ने से श्री कृष्ण के समान तेज, भगवान शिव के समान दान शक्ति, योग शक्ति और स्मृति प्राप्त होती है। राधा रानी के नाम जाप की बहुत महिमा है। कई जन्म तक श्री कृष्ण की सेवा करने पर उनके धाम की प्राप्ति होती है लेकिन राधा रानी की दया कृपा होने पर भक्त शीध्र ही उनके गोलोक को प्राप्त कर लेता है। 

 

राधा रानी के 28 नामों की महिमा

RADHA RANI KE 28 NAAM: ऋग्वेदीया श्रीराधोपनिषत् में ब्रह्मा जी ने सकादिक मुनियों को राधा रानी के 28 नामों की महिमा कहीं है।

 राधा रासेश्वरी रम्या कृष्णमन्त्राधिदेवता ।

सर्वाद्या सर्ववन्द्या च वृन्दावनविहारिणी ॥

वृन्दाराध्या रमाशेषगोपीमण्डलपूजिता ।

सत्या सत्यपरा सत्यभामा श्रीकृष्णवल्लभा ॥

वृषभानुसुता गोपी मूलप्रकृतिरीश्वरी ।

गान्धर्वा राधिकारम्या रुक्मिणी परमेश्वरी ॥

परात्परतरा पूर्णा पूर्णचन्द्रनिभानना ।

भुक्तिमुक्तिप्रदा नित्यं भवव्याधिविनाशिनी ॥

इत्येतानि नामानि यः पठेत् स जीवन्मुक्तो भवति ।

इत्याह हिरण्यगर्भो भगवानिति । 

1.राधा 2. रासेश्वरी 3. रम्या 

4. कृष्णमंत्राधिदेवता 5. सर्वाद्या

 6..सर्ववंद्या 7. वृंदावनविहारिणी

8. वृंदाराधा 9. रमा 

10. अशेषगोपीमन्डलपुजिता 

11.सत्या 12. सत्यपरा

13. सत्यभामा 14. श्रीकृष्णबल्लभवा 

15. वृषभानुसुता 16. गोपी 

17. मूलप्रकृति 18.ईश्वरी

19. गान्धर्वा 20. राधिका 

21. रम्या 22. रुक्मणी

23.. परमेश्वरी 24. परात्परता

25. पूर्णा 26. पूर्णचंद्रविमानना 

27.भुक्ति मुक्तिप्रदा

28. भवव्याधि विनाशिनी 

जो राधा रानी के इन 28 नामों का जाप करता है वह जीवन के आवागमन से मुक्त हो जाता है।

राधा नाम की महिमा की कहानी 

STORY OF RADHA NAAM MAHIMA :वृन्दावन में एक संत जी थे जोकि प्रतिदिन श्रीमद्भागवत का एक अध्याय का पढ़ते और उसे श्रद्धा से श्री राधा रानी जी को अर्पण करते थे। बहुत वर्षों से वह लगातार इस नियम का पालन कर रहे थे। कभी ऐसा नहीं हुआ था कि उन्होंने श्री राधा रानी को भागवत का अध्याय न सुनाया हो। 

लेकिन एक दिन जब वह भागवत का अध्याय पढ़ने बैठे तो उन्हें उसके अक्षर दिखाई नहीं दिये। जिस कारण वह कुछ भी पढ़ नहीं पाएं। उनकी आंखों से अश्रु धारा बह रही थी कि मैं आज श्री राधा रानी को भागवत का अध्याय सुना नहीं पाया। उस दिन ना उन्होंने कुछ खाया और ना ही पिया रोते रोते पूरा दिन निकल गया। क्योंकि उनका नियम था कि भागवत पाठ करने के पश्चात ही भोजन करते थे।

रात को एक छोटा सा बालक उनके पास आया और पूछने लगा कि बाबा ! आप क्यों रो रहे हो ? क्या आपकी आंखों की रोशनी नहीं है क्या आप इसलिए रो रहे हैं?

संत कहने लगे कि नहीं बेटा मैं तो इसलिए रो रहा हूं कि आज मेरा नियम टूट गया कि मैं राधा रानी को भागवत कथा नहीं सुना पाया।

लड़का कहने लगा कि बाबा मैं यह पट्टी अपनी आँखों पर बाँध देता हूं इससे आपकी आंखें ठीक हो जाएगी। संत को लगा कि यह बालक वृन्दावन के किसी वैद्य का बेटा होगा जो आंखों का इलाज करना जानता होगा। संत आंखों पर पट्टी बांध कर सो गए। सुबह उठकर जब पट्टी आंखों से उतारी तो सब साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा था। संत बहुत प्रसन्न हुए और सोचने लगे कि देखूं बालक ने पट्टी पर ऐसी कौन सी औषधि लगाई थी कि एक बार मैं ही पट्टी बांधने से ही मुझे साफ़ साफ़ दिख रहा है। संत जी ने जैसे ही पट्टी पर नजर दौड़ाई उस पर राधा रानी का नाम लिखा था।

राधा नाम की महिमा देख कर संत जी की आंखों से अश्रु धारा बहने लगी। संत जी कहने लगे कि किशोरी जी आपके नाम की महिमा अपरम्पार है आपने जो मुझ पर यह कृपा की है। लगता है मेरे मुख से भागवत पाठ सुनकर आपको भी आनंद आता है। 

About Author : A writer by Hobbie and by profession
Social Media

Message to Author