मातृ पितृ पूजन दिवस 2024
मातृ-पितृ पूजन दिवस 14 फरवरी को मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में माता-पिता को ईश्वर समान माना जाता है। माता-पिता ही बच्चे के पहले मित्र, शिक्षक और गुरु और पहली पाठशाला होते हैं। मातृ-पितृ पूजन दिवस बच्चों को माता पिता की सेवा की भावना को प्रोत्साहित करता है।
मातृ-पितृ पूजन दिवस की शुरुआत किस ने की
हिन्दू संस्कृति के अनुसार देखें तो गणेश जी ने सबसे पहले अपने माता-पिता भगवान शिव और मां पार्वती की प्रदक्षिणा कर मातृ-पितृ पूजन की शुरुआत की थी। जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें सभी देवताओं में प्रथम पुज्य बना दिया।
वर्तमान समय में मातृ-पितृ पूजन दिवस की शुरुआत संत श्री आशारामजी बापू जी ने की थीं। 2007 में सबसे पहली बार मातृ पितृ पूजन दिवस मनाया गया था। मातृ-पितृ पूजन दिवस का आरंभ देश की आने वाली पीढ़ियों को वेलेंटाइन डे के दुष्प्रभावों से दूर रखने के लिए किया गया था।
मातृ पितृ पूजन दिवस का महत्व
14 फरवरी को वेलेंटाइन डे मनाया जाता है लेकिन यह हमारी संस्कृति का हिस्सा नहीं है। अपितु यह पाश्चात्य देशों से भारत में आया है। भारत की संस्कृति वेद पुराणों की संस्कृति है जहां माता पिता को ईश्वर समान माना जाता है। मातृ-पितृ पूजन दिवस के अनुसार इस दिन प्रेमी प्रेमिका को नहीं अपितु अपने माता-पिता को उनके बलिदान के लिए प्यार जताना चाहिए। इससे माता पिता से संबंध प्रगाढ़ होते हैं।
MATRI PITRI PUJAN DIWAS SHLOK(QUOTES)
पित्रोश्च पूजनं कृत्वा प्रक्रान्तिं च करोति यः । तस्य वै पृथिवीजन्यफलं भवति निश्चितम् ।।
भावार्थ - जो पुत्र माता- पिता का पूजन करके उनकी प्रदक्षिणा करता है, उसे निश्चित रूप से पृथ्वी परिक्रमा जनित(समान) फल प्राप्त हो जाता है ।
अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः। चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम्।।
भावार्थ - जो पुत्र नित्य माता-पिता और गुरुजनों को प्रणाम और उनकी सेवा करता है, उसकी आयु, विद्या, यश और बल चारों वृद्धि होती हैं।
मातृ पितृ पूजन दिवस कैसे मनाया जाता है
वर्तमान समय में बहुत से स्कूलों और कॉलेजों में मातृ-पितृ पूजन दिवस आयोजित किया जाता है ताकि बच्चों में सांस्कृतिक मुल्य और संस्कार पैदा किए जा सकें। बच्चों के माता-पिता को आमंत्रित किया जाता है। प्रत्येक बच्चे को घर पर भी माता-पिता का पूजन करना चाहिए।
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सबसे पहले माता पिता को उच्च आसन पर बैठाएं।
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दोनों का तिलक करें।
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पुष्प अर्पित करें और फूल माला पहनाएं।
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माता पिता की आरती करें। माता पिता को ईश्वर समान मानना चाहिए।
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माता पिता की प्रदक्षिणा करें।
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माता पिता को मिठाई खिलानी चाहिए।
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माता पिता बच्चों को आशीर्वाद देते हैं और उनके मंगल की कामना ईश्वर से करते हैं।
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माता पिता बच्चों को प्रसाद खिलाते हैं। इस तरह यह दिन बच्चों और माता पिता के संबंधों को प्रगाढ़ करता है।
गणेश जी की मातृ-पितृ पूजन पूजन की कहानी
एक बार समस्त देवताओं में इस बात पर विवाद उत्पन्न हो गया कि पृथ्वी पर पर किस देवता की पूजा समस्त देवगणों से पहले होनी चाहिए। सभी देवता स्वयं को ही सर्वश्रेष्ठ बताने लगे। तब नारद जी ने विकट स्थिति को भांपते हुए सभी देवगणों को भगवान शिव की शरण में जाने व उनसे इस समस्या का समाधान बताने का परामर्श दिया।
सभी देवता भगवान शिव के पास गए और उनकी स्तुति करने लगे। भगवान शिव ने सभी देवताओं के आने का प्रयोजन पूछा तो देवताओं ने अपने झगड़े का कारण बता दिया। भगवान शिव ने उनके झगड़े सुलझाने की एक योजना बनाई।
भगवान शिव कहने लगे कि," सभी देवताओं की एक प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। सभी देवता देवगण को अपने-अपने वाहनों पर बैठकर इस पूरे ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाना होगा। जो भी देवता सर्वप्रथम ब्रह्माण्ड की परिक्रमा पूर्ण कर मेरे समक्ष वापिस आएंगा वह प्रतियोगिता में विजयी होगा और उसी को सभी देवताओं मे सर्वप्रथम पूजनीय माना जाएगा।"
भगवान शिव की बात सुनकर सभी देवता अपने-अपने वाहनों को लेकर ब्रह्माण्ड की परिक्रमा के लिए निकल पड़े। भगवान गणेश भी अपने वाहन मूषक पर निकल पड़े। लेकिन मार्ग में गणपति ने सोचा कि अगर वे अपने वाहन मूषक पर बैठकर ब्रह्माण्ड के चक्कर लगाएंगे तो उन्हें बहुत समय लग जाएगा।
गणेश जी ने मूषक पर बैठकर 'सर्वतीर्थमयी माता, सर्वदेवमयः पिता' करके शिव-पार्वती की सात प्रदक्षिणा की और उनके सामने हाथ जोड़कर खड़े हो गए।
ये देखकर माता गौरी और महादेव अत्यंत प्रसन्न हुए। जब सभी देवी-देवता ब्रह्माण्ड की परिक्रमा करके वहां लौटे तो भगवान शिव ने गणपति को प्रथम पूज्य घोषित कर दिया।
सभी देवताओं ने भगवान से इसकी वजह जाननी चाही तो शिवजी ने कहा कि माता-पिता को समस्त ब्रह्माण्ड ही नहीं बल्कि सभी लोकों में सर्वोच्च स्थान दिया गया है।
गणेश ने अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय देते हुए उन माता-पिता की परिक्रमा की और आप सबसे पहले उनके समक्ष उपस्थित हुएं कि इसलिए उन्होंने गणेश जी को प्रथम पूज्य बना दिया। सभी देवतागण शिवजी के निर्णय से सहमत हो गए और तभी गणेश जी सभी देवताओं में प्रथम पूज्य जाने लगे।
मातृ पितृ पूजन दिवस विशेष रूप से मनाया जाना चाहिए। बच्चों का पालन पोषण (पेरेंटिंग) एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है जिसमें माता-पिता को समय के साथ नई-नई चुनौतियों का सामना करना पड़ता हैं और वें बच्चों को भी चुनौतियों का सामना करना सिखाते हैं। बच्चे को अच्छी शिक्षा और अच्छे संस्कार देकर परवरिश करते हैं ताकि उनके बच्चे एक बेहतर इंसान बन सके। जैसे बच्चों की पेरेंटिंग एक खुबसूरत एहसास है जो माता पिता के जीवन में एक पूर्णता लाता है। वैसे ही बच्चों को भी अपने माता पिता को उचित सम्मान देना चाहिए और उनका आभार व्यक्त करना चाहिए।
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