NARSI MEHTA BHAJAN VAISHNAV JAN TO TENE KAHIYE LYRICS

NARSI MEHTA KA BHAJAN VAISHNAV JAN TO TENE KAHIYE LYRICS IN HINDI NARSI MEHTA IMAGE

नरसी मेहता का एक प्रसिद्ध भजन वैष्णव जन तो तेने कहिये

वैष्णव जन तो तेने कहिए कहिये प्रसिद्ध गुजराती कवि और भगवान श्री कृष्ण के परम भक्त नरसी मेहता का एक प्रसिद्ध भजन है। यह भजन महात्मा गांधी की प्रतिदिन की प्रार्थना का एक हिस्सा था। इस भजन में नरसी मेहता ने एक वैष्णव में कैसे गुण होने चाहिए उसका वर्णन किया है। 

 VAISHNAV JAN TO TENE KAHIYE LYRICS

 वैष्णव जन तो तेने कहिये,

जे पीड परायी जाणे रे ।

पर दुःखे उपकार करे तो ये,

मन अभिमान न आणे रे ॥

वैष्णव जन तो तेने कहिये,

जे पीड परायी जाणे रे ।

सकल लोकमां सहुने वंदे,

निंदा न करे केनी रे ।

वाच काछ मन निश्चळ राखे,

धन धन जननी तेनी रे ॥

वैष्णव जन तो तेने कहिये,

जे पीड परायी जाणे रे ।

समदृष्टि ने तृष्णा त्यागी,

परस्त्री जेने मात रे ।

जिह्वा थकी असत्य न बोले,

परधन नव झाले हाथ रे ॥

वैष्णव जन तो तेने कहिये,

जे पीड परायी जाणे रे ।

मोह माया व्यापे नहि जेने,

दृढ़ वैराग्य जेना मनमां रे ।

रामनाम शुं ताली रे लागी,

सकल तीरथ तेना तनमां रे ॥

वैष्णव जन तो तेने कहिये,

जे पीड परायी जाणे रे ।

वणलोभी ने कपटरहित छे,

काम क्रोध निवार्या रे ।

भणे नरसैयॊ तेनुं दरसन करतां,

कुल एकोतेर तार्या रे ॥

वैष्णव जन तो तेने कहिये,

जे पीड परायी जाणे रे ।

वैष्णव जन तो तेने कहिये,

जे पीड परायी जाणे रे ।

पर दुःखे उपकार करे तो ये,

मन अभिमान न आणे रे ॥

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