बच्चों के लिए मोरल स्टोरीज
MORAL STORIES FOR CHILDREN IN HINDI :एक बार एक दस- ग्यारहा साल का बच्चा अपनी माँ से पूछता है कि, क्या आप मुझ से प्यार नहीं करते। उसके इस अटपटे से सवाल पर मां हैरान होकर पूछती है कि बेटा आपको ऐसा क्यों लगता है।
बच्चे ने कहा - आप मुझे बहुत कम रूपये खर्च करने को देते हो। जबकि मेरा दोस्त को तो उसके पापा - मम्मी, दादा - दादी हर कोई उसे अलग -अलग पैसे खर्च करने को देता है। मुझे लगता है कि मेरा परिवार बहुत कंजूस है । इसलिए मुझे कम पैसे खर्च करने के लिए मिलते हैं।
मेरे मित्र के पास पैसे होते हैं इसलिए वह गली में आने वाले vendors से अपनी मनपसंद चीजें खरीद कर खा लेता है। बेटे की बात सुनकर माँ से बड़े प्यार से बताया कि बेटा गली में आने वाले vendors कई बार साफ सफाई का ज्यादा ध्यान नहीं देते। इसलिए तुम को गली से कुछ में लेकर खाने से मना करते हैं।
उस दिन तो मां ने बच्चे को समझा कर बात टाल दी लेकिन कुछ दिनों बाद बच्चे ने फिर वैसा ही सवाल किया। मेरा मित्र को ज्यादा पैसे खर्च करने को मिल सकते हैं तो मुझे क्यों नहीं? इस बार मां का माथा ठनक गया है कि इस सवाल का कोई logical जवाब ढूंढ़ना पड़ेगा, नहीं तो बच्चे के मन में परिवार के प्रति नकारात्मक भाव आ जाएंगे।
मां ने उसके मित्र के परिवार के बारे में सारी जानकारी इकट्ठी की। अब मां को समझ आ चुका था कि बच्चे को logically कैसे समझाना है। अब मां प्रतीक्षा करने लगी कि बच्चा कब अपना सवाल दोहराएगा। वह दिन भी जल्दी ही आ गया। उसने इस बार भी मां को कहा कि, आप लोग कितने कंजूस है जो मुझे इतने कम पैसे खर्च करने के लिए देते हैं। मेरा दोस्त तो हर दिन 40-50 रूपये खर्च करता है।
इस बार मां का उत्तर सुनकर लड़का पहले खुश हुआ और फिर दंग रह गया। मां ने कहा- मैं तुम को तुम्हारे दोस्त के जैसे हर रोज़ 50 रूपये ही खर्च करने को दूंगी। इतना सुनते ही बच्चा खुशी से उछल पड़ा।
फिर मां ने कहा मेरी एक शर्त है। बच्चे ने पूछा वह क्या? मां ने कहा कि अगर तुम को पैसे अपने मित्र के जैसे चाहिए तो तुम को उसके स्कूल में पढ़ना पड़ेगा। बच्चे की ज्यादा पैसे मिलने की खुशी पल भर में खत्म हो गई। बच्चे को अपने स्कूल से बहुत प्यार था। इसलिए उसने मां से इस शर्त का कारण पूछा।
मां ने कहा कि तुम्हारा मित्र गली के स्कूल में पढ़ता है उसकी फीस पांच सौ रूपए महीना है और तुम्हारी 2500 रुपए महीना है और 1000 हज़ार रुपये एक्विटी के और 1000 रूपये स्कूल बस के कुल मिलाकर 4500 रूपये खर्च आता है।
तुम्हारे मित्र का स्कूल तो पड़ोस में ही है इसलिए स्कूल बस की भी जरूरत नहीं पड़ेगी तुम पैदल ही जा सकते हो। इस तरह 1000 रूपये बच जाएंगे। स्कूल फीस 500 रूपये है और एक्टिविटी भी नहीं होती। यह भी 1500 रूपये की बचत होगी।
50 रूपये तुम को हर रोज़ देने पर लगेगा 1500 रूपये और हर महीने 500 रूपये फीस के कुल मिलाकर लगेगा 2000 रूपये। 2500 रूपये की बचत होगी। अगले महीने से मैं तुम्हारी एडमिशन तुम्हारे मित्र के स्कूल में करवा दूंगी और प्रतिदिन तुम को 50 रूपये खर्च करने के लिए मिल जाएंगे।
अब तो तुम खुश हो ना। अब तो तुम हमें यह तो नहीं कहोगे कि हम तुम को प्यार भी नहीं करते और मेरा परिवार बहुत कंजूस है। मां के इस तरह logically समझाने पर लड़के को सारी बात समझ में आ चुकी थी। बच्चा अब समझ चुका था कि मेरे पेरेंट्स मुझे अच्छे स्कूल में पढ़ा रहे हैं और वह मेरे लिए क्या बेस्ट कर रहे हैं।
मां ने फिर अपने बेटे को बताया कि तुम्हारे मित्र के बड़े भाई को ज्यादा पैसे मिलने के कारण जुएं और शराब की आदत लग चुकी है। रही बात गली से कोई सामान लेकर खाने की तो वह तुम्हें इसलिए मना किया जाता है क्योंकि अगर किसी ने साफ सफाई का ध्यान नहीं रखा तो तुम्हारी तबियत बिगड़ सकती है। इसलिए पापा तुम को महीने में दो बार किसी अच्छे रेस्तरां में खाना खिलाने ले जाते हैं। मां ने उसके खर्च का हिसाब बेटे को समझा दिया।
अब बच्चा मां से कहने लगा कि आप मुझे क्या समझाना चाहते हैं वह सारी बात मुझे समझ आ गई है। साथ में वह यह भी हिसाब लगाने लगा कि अगर उसके मित्र के माता-पिता उसको इतने पैसे खर्च करने को ना देते तो वह एक बेहतर स्कूल में पढ़ सकता था। मां ने बहुत ही समझदारी से बच्चे को सारी बात reason के साथ बिना किसी डांट डपट के logically समझा दी।
Moral - अगर हम किसी को ग़लत काम करने पर डांटने की बजाए कारण के साथ बताएं तो उसके परिणाम ज्यादा बेहतर आते हैं और एक मां अच्छे से जानती है कि बच्चे के लिए क्या ज्यादा बेहतर है।
जादुई पैन की कहानी
MORAL STORIES FOR CHILDREN IN HINDI :एक बार एक बच्चा पढा़ई में औसत था। अक्सर उसके स्कूल टेस्ट में अंक कम ही आते थे। लेकिन वह स्वभाव से बहुत ही चंचल था। हर समय उसका ध्यान शरारतों में रहता था।
उसकी माँ उसे बहुत समझाती लेकिन उसके स्वभाव में ज्यादा परिवर्तन नहीं हो रहा था। उस बच्चे को कार्टून देखने का बहुत शौक था। वह कार्टून करैक्टर से बहुत जल्दी प्रभावित हो जाता था। एक दिन उसने देखा कि उसके मन पसंद कार्टून करैक्टर के पास मैजिकल पैन है।
उस दिन कार्टून देखकर वह मां से वैसा ही जादुई पैन दिलाने की जिद्द करने लगा। उसकी बात सुनकर उसकी मां के दिमाग में एक आइडिया आया। मां बाजार से एक सुंदर सा पैन खरीद कर ले आई। मां ने घर आकर उसे कहा कि यह पैन उसे एक संत ने दिया और कहा है कि जो भी इस पैन को पास रखकर पढ़ाई करेंगा यह आने वाले समय में क्लास में प्रथम आएगा। यह सुनकर बच्चा बहुत ही उत्साहित हो गया। अब वह प्रतिदिन पैन को पास में रखकर नियमित पढ़ाई करने लगा।
धीरे-धीरे प्रतीक्षाओं में उसके अंक बढ़ने लगे। अब जब शिक्षक उसकी तारीफ करते तो वह और अधिक अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए मेहनत करने लगा। दसवीं कक्षा तक वह अपनी क्लास का सबसे इंटेलीजेंट विद्यार्थी बन चुका था। एक मन में हमेशा यही रहता कि उसके अंदर यह बदलाव जादुई पैन के कारण हुए हैं। दसवीं कक्षा में जब वह पूरे जिले में प्रथम आता तो उस दिन उसने अपनी मां से कहा कि आपका बहुत-बहुत धन्यवाद जो आपने मुझे जादुई पैन लाकर दिया।
उस दिन मां ने सारा भेद खोल दिया कि बेटे तुम कक्षा में प्रथम किसी जादुई पैन के कारण नहीं बल्कि अपनी मेहनत के दम पर आएं हो। वह पैन मुझे किसी संत ने नहीं दिया था बल्कि मैं तुम में पढ़ने की प्रेरणा जागृत करने के लिए एक दुकान से खरीद कर लाई थी। अब तुम बहुत समझदार हो चुके हो इसलिए मैंने यह भेद को बता दिया।
इस प्रकार एक माँ ने कितनी समझदारी से बच्चे की जिद्द भी पूरी कर दी और पढ़ाई में उसकी रुचि भी उत्पन्न कर दी।
Moral - इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि लगातार किए गए परिश्रम के बल पर हम सफलता प्राप्त कर जादुई परिणाम हासिल कर सकते हैं।
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