DEVOTIONAL STORY OF RADHA RANI KE BHAKT KI KATHA

RELIGIOUS story of hindu goddess राधा रानी की कहानी  Radha Rani story katha kahani  DEVOTIONAL STORY OF RADHA RANI KE BHAKT KI KATHA, Methodology, Puranik katha kahani

राधा रानी के भक्त की कथा 

RADHA RANI KI KAHANI:एक बार तीन साधु थे जो बरसाना की ओर जा रहे थे। उनमें से एक साधु जो वृद्ध था। वह कहने लगा कि," मैं अब यमुना किनारे आसन लगा कर रहूंगा। तुम दोनों जवान हो इसलिए तुम आगे चले जाओ।"

जब दोनों युवा साधु चलते-चलते बरसाना के निकट पहुंचे तो कहने लगे कि अब हम श्री जी के गांव में पहुंच जाएंगे। एक तरह से हम राधा रानी के मेहमान हुए। इसलिए हम बरसाना में भिक्षा नहीं मांगेंगे। राधा रानी के मंदिर में आरती के समय जो प्रसाद मिलेगा वह ही खा लेंगे और अगर कोई भोजन करवा देगा तो कर लेंगे।‌‌ अन्यथा किसी से मांगेंगे नहीं। 

दोनों साधुओं ने मज़ाकिया लहज़ में ऐसा कह दिया। मंदिर में पहुंच कर राधा रानी के दर्शन किए, मंदिर में आरती देखी और उत्सव का आनंद लिया। दोनों ने सोचा कि राधा रानी के मेहमान है इसलिए भिक्षा तो नहीं मांगेंगे। इसलिए बिना भोजन किए ही सो गए।

 उसी रात्रि राधा रानी ने स्वपन में मंदिर के पुजारी जी को जगाया और कहने लगी कि," मेहमान भूखे हैं और आप चैन से सो रहे हैं। पुजारी जी आश्चर्य से कहने लगे कि," मेहमान कहां है?"

राधा रानी कहने लगी कि," दो साधू है जो बिना भोजन किए सो गए हैं।" पुजारी जी जल्दी से उठे और साधुओं को ढूंढ कर उन्हें जगाया। वह पूछने लगे कि," क्या आप श्री राधा रानी के मेहमान है?"

पुजारी जी कहने लगे कि," आप उठकर बैठो मैं आपके लिए अभी भोजन प्रसाद का प्रबंध करता हूं। पुजारी जी  मंदिर में जो भी उत्सव का भोज प्रसाद बचा था लड्डू, खीर , रसगुल्ले और जो भी भोग प्रसाद बचा था जल्दी से दोनों को परोस दिया। 

साधु मन ही मन सोच रहे थे कि हमने तो मजाक में कह दिया था कि हम राधा रानी के मेहमान है। राधा रानी ने तो सचमुच हम पर कृपा कर दी। भरपेट भोजन कर दोनों साधू राधा रानी का ध्यान कर सो गए।

तभी दोनों साधुओं को एक ही समय पर एक जैसा स्वप्न आया। दोनों के सपने में राधा रानी आई और पूछने लगी कि," भोजन करके आपको को तृप्ति हुई।" दोनों साधुओं ने हां में हामी भर दी। राधा रानी मुस्कुराते हुए कहने लगी कि," पुजारी जी ने तुम दोनों को भोजन तो करवा दिया लेकिन पान के बीड़े का प्रसाद देना ही भूल गए।"

राधा रानी ने दोनों के सिरहाने पान का बीड़ा रख दिया। स्वप्न के बाद दोनों की आंख खुली तो सचमुच पान का बीड़ा अपने सिरहाने पाकर दोनों विस्मित थे। राधा रानी ने मज़ाक के भाव से कहा गया वचन भी सत्य साबित कर दिया और बिना मांगे दोनों को भरपेट भोजन करवा दिया। सचमच में बहुत करूणा मयी है श्री राधा रानी। 

राधा रानी ने जब दिये सेठ जी को दर्शन

RADHA RANI KI KATHA:एक बार एक सेठ जी किसी काम से बरसाना गए। उनका एक नियम था वह प्रतिदिन स्वयं भोजन करने से पहले एक संत जी को भोजन करवाते थे। 

सेठ जी ने भोजन के समय नौकर से बोला कि किसी संत को ढूंढ कर ले आओ। राधा रानी की कृपा से नौकर को कोई भी संत नहीं मिला। क्योंकि उस दिन सभी संत किसी भंडारे में चले गए थे। नौकर को राधा रानी के मंदिर के बाहर एक पागल व्यक्ति मिला।

नौकर मन में विचार करने लगा कि, "अगर सेठ को संत नहीं मिला भोजन करवाने के लिए तो वह हमें भी भोजन नहीं करने देगा।"

 इसलिए वह पागल व्यक्ति को बाजार ले गया। नौकर ने पागल को लाल कपड़े खरीद कर दिए और गले में माला पहना दी और माथे पर तिलक लगा दिया। वह कहने लगा कि,"  मैं सेठ को बोल दूंगा कि तुम संत हो। सेठ तुम्हें भरपेट भोजन करवाएंगे और अच्छी दान दक्षिणा भी देंगे । तुम कुछ मत बोलना। मैं कह दूंगा कि, "यह मोनी बाबा है।" 

नौकर उस पागल व्यक्ति को सेठ जी के पास ले गया। सेठ जी ने उसके अच्छे से चरण धोए और गरम गरम भोजन उसके आगे परोसा दिया।

उस व्यक्ति ने जीवन में पहली बार इतना अच्छा भोजन देखा था। भोजन देखते ही वह उसे उठाकर खाने लगा तो सेठ ने उसे टोक दिया। सेठ कहने लगा कि," तू नकली संत है, क्योंकि संत तो भोजन से पहले प्रार्थना करते हैं उसके पश्चात भोजन करते हैं।"

सेठ ने उसे से भगा दिया। भिखारी रोता हुआ वहां से चला गया। सेठ ने श्री जी से क्षमा मांग कर भोजन कर लिया। उधर भिखारी भूख के कारण वहां रोता रहा। रात को सेठ जी को राधा रानी ने दर्शन दिए। वह कहने लगी कि कि," तू वैसे तो बड़ा दानवीर बना फिरता है लेकिन तूने उस भिखारी को भूखा ही भेज दिया। सेठ करने लगा कि श्रीजी वह संत नहीं था वह तो एक पखंडी था।

रानी मुस्कुराते हुए बोली कि," मैं उसे को कई सालों से खाना खिला रही हूं आज तक वह भूखा नहीं सोया। मैंने कभी नहीं सोचा कि वह पखंडी है जहां फिर संत। तुम्हें एक समय का भोजन क्या करवाना पड़ा तुम उसका संतत्व ढूंढने लगे जबकि मैं तो उसे बिना किसी भेदभाव के वर्षों से भोजन करवा रही हूं।
 

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