चौथ माता का मेला 2024
चौथ माता मंदिर में हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि में मेला आयोजित किया जाता है। करवा चौथ व्रत के दिन सुहागन स्त्रियां अपने पति की लम्बी आयु के लिए पूर्ण श्रद्धा से निर्जला व्रत रखती । 2024 में करवा चौथ व्रत 20 अक्टूबर रविवार के दिन रखा जाएगा।
मेले में श्रद्धालु दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं। इस दिन चौथ माता के साथ साथ गणेश जी की भी पूजा अर्चना की जाती है। चौथ माता मां पार्वती का ही एक रूप है। माता की पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है
चौथ माता का मंदिर सवाई माधोपुर राजस्थान में स्थित है। चौथ माता मंदिर में चौथ माता के साथ-साथ गणेश जी और भैरव की मूर्तियां विराजमान हैं।चौथ माता मंदिर एक पहाड़ी पर बना है मंदिर तक पहुंचने के लिए 700 के लगभग सीढ़ीयां चढ़कर जाना पड़ता है। इस मंदिर का सौंदर्य पर्यटकों के मन को मोह लेता है।
चौथ माता मंदिर परम्परागत राजपूताना शैली से बना है। मंदिर में सैकड़ों वर्षों से एक अखंड ज्योत प्रज्वलित है।
चौथ माता मंदिर के बारे में एक कथा प्रचलित है कि एक बार वहां के राजा भीम सिंह चौहान शिकार खेलने के लिए जंगल में गए। जंगल में राजा एक मृग का पीछा करते हुए बहुत दूर तक चले गए। कुछ समय के पश्चात रात ढल गई और मृग भी उनकी आंखों से ओझल हो गया।
राजा अब अपने सैनिकों से बिछड़ चुके थे और उनको बहुत तेज प्यास भी लगी थी। राजा को कही भी पानी नहीं मिला और वह बेहोश होकर गिर गए। मूर्छित अवस्था में राजा को चौथ माता की मूर्ति दिखाई दी। उसी समय बिजली कड़की और तेज़ वर्षा होने लगी। वर्षा से राजा को होश आया तो राजा के चारों ओर पानी नज़र आया। राजा ने पानी पिया।
उसी समय राजा को एक छोटी सी लड़की दिखाई दी तो राजा ने उससे पूछा कि इस निर्जन वन में तुम क्या कर रही हो?
राजा की बात सुनकर कन्या अपने वास्तविक देवी स्वरूप में आ गई। राजा देवी के चरणों में नतमस्तक हो गया और कहने लगा कि मां आप सदैव मेरे राज्य में निवास करें। देवी उनको आशीर्वाद देकर अलोप हो गई।
राजा को एक प्रतिमा मिली जिसे लेकर राजा अपने राज्य आ गया। राजा ने राजमहल पहुंच कर सारी बात अपने पुरोहित को बताई।
पुरोहित ने 1451 में माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को विधि विधान से मां की प्रतिमा की स्थापना मंदिर में करवा दी। तब से आज तक इस दिन जहां पर चौथ माता का मेला आयोजित किया जाता है।
कार्तिक मास में करवा चौथ के इलावा नवरात्रि और माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के समय भी श्रद्धालु दूर दूर से दर्शन करने आते हैं और मनवांछित फल प्राप्त करते हैं।
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