DIWALI MEIN LAKSHMI PUJA KYON KI JATI HAI

DIWALI MEIN LAKSHMI PUJA KYON KI JATI HAI Goddess Laxmi Ki katha दिवाली पर मां लक्ष्मी की पूजा क्यों की जाती है  मां लक्ष्मी की उत्पत्ति की कथा 

DIWALI: दिवाली पर मां लक्ष्मी की पूजा क्यों की जाती है 

दिवाली हिंदूओं का सबसे प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार देश विदेश में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। दिवाली के दिन भगवान श्री राम 14 वर्ष के वनवास के पश्चात अयोध्या वापस लौट थे और अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। दिवाली के दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है क्योंकि मान्यता के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मां लक्ष्मी धीर सागर से उत्पन्न हुई थी। 

दिवाली पर मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है क्योंकि वह धन, समृद्धि, और सौभाग्य की देवी हैं। इसलिए उनके भक्त उनकी पूजा अर्चना कर उनसे धन, सुख समृद्धि की कामना करते हैं।
कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मां लक्ष्मी समुद्र मंथन के समय अवतरित हुई थी इसलिए उस दिन मां लक्ष्मी का पूजन करने का विधान है। मां धन वैभव और समृद्धि की देवी है इसलिए मां लक्ष्मी के भक्त उनकी पूजा अर्चना करते हैं ताकि मां लक्ष्मी की कृपा दृष्टि सदैव उन पर बनी रहे। 

MATA LAXMI KI KATHA 

पौराणिक कथा के अनुसार मां लक्ष्मी अपने महा लक्ष्मी रुप मे देव लोक में  निवास करती थी। जिससे देवताओं की शक्ति बहुत बढ़ गई और देवराज इन्द्र को बहुत  अभिमान हो गया। एक बार देवराज इन्द्र ऐरावत हाथी पर सवार होकर कहीं जा रहे थे। रास्ते में उन्हें दुर्वासा ऋषि मिले। देवराज इन्द्र ने उन्हें प्रणाम किया। दुर्वासा ऋषि ने उन्हें अपने गले में पहनी हुई माला भेंट की। लेकिन देवराज इन्द्र माला को संभाल नहीं पाए और माला हाथी के गले में पड़ गई और हाथी ने उसे अपने पैरों तले कुचल दिया।

ऋषि दुर्वासा ने इसे अपना अपमान समझा और देवराज इंद्र को श्री हीन होने का श्राप दिया तो भगवान विष्णु ने शाप से मुक्ति के लिए दैत्यों के साथ मिलकर अमृत की प्राप्ति के लिए समुद्र मंथन करने की प्रेरणा दी। देवताओं और दैत्यों ने समुद्र मंथन के लिए मैत्री कर ली।

पहले मन्दराचल पर्वत को मदानी और वासुकी नाग को मथनी बनाया गया। लेकिन जब निराधार मन्दराचल पर्वत पानी में डूबने लगा तो भगवान विष्णु ने कच्छप अवतार धारण किया और पर्वत को अपनी पीठ पर धारण किया।

समुद्र मंथन में सबसे पहले हलाहल विष निकला। जिसके कारण हाहाकार मच गया और दशों दिशाएं जलने लगी।  महादेव उस विष को पी गए। भगवान शिव ने विष को गले से नीचे नहीं उतरा जिसके प्रभाव से उनके कण्ठ का निचला भाग नीला हो गया इस लिए भगवान शिव नीलकंठ कहलाये। उसके बाद कामधेनू गाय और उच्चै:श्रवा नामक घोड़ा उत्पन्न हुआ।

फिर ऐरावत नामक हाथी निकला , उसके पश्चात कौस्तुभ मणि प्रकट हुई जिसे भगवान विष्णु ने अपने हृदय स्थल पर धारण किया। उसके पश्चात पारिजात प्रकट हुआ जो सभी मनोरथों को पूर्ण करने वाला था। उसके पश्चात सर्वोत्तम वस्त्र धारण किए हुए अप्सरा्एं प्रकट हुई। 

उसके पश्चात समुद्र से श्री लक्ष्मी जी प्रकट हुई उनके तेज से समस्त दिशाएं प्रकाशित हो गई। देवता और दैत्य दोनों उन्हें पाना चाहते थे। लक्ष्मी जी सुन्दर कमल की माला लिए हुए अपने लिए सुंदर वर खोजने लगी। वह दैत्यों और देवों की मंडली में विचरने लगी लेकिन उन्हें पति बनने योग्य कोई भी नजर नहीं आया। फिर उन्होंने जब श्री हरि को देखा तो श्री लक्ष्मी ने कहा कि यह सर्वगुण संपन्न निर्दोष और स्वरूपवान है और मां लक्ष्मी ने फूलों की माला श्री हरि के गले में डाल दी।

श्री हरि के हृदय में रहने की इच्छा से उनके सम्मुख खड़ी हो गई। भगवान विष्णु ने उनकी इच्छा पूर्ण की। सभी देवताओं ने दोनों पर पुष्प वर्षा की।

एक अन्य मान्यता के अनुसार, लक्ष्मी देवी भगवान विष्णु की पत्नी हैं। भगवान विष्णु त्रिदेवों ब्रह्मा विष्णु महेश में से एक है। भगवान विष्णु को संसार का पालनकर्ता माना जाता है, और लक्ष्मी देवी उनकी पत्नी होने के नाते उनके साथ संसार का पालन करती हैं। 

दिवाली पर लक्ष्मी देवी और गणेश जी की पूजा की जाती है।  देवी लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति लाई जाती है । उन्हें फल, मिठाई, बताशे , हलवा, पान और अन्य प्रसाद का भोग लगाया जाता हैं। भक्त मां लक्ष्मी और गणेश जी की आरती करते हैं।

दिवाली पूजा के दौरान लक्ष्मी मंत्रों का जाप करने से माना जाता है कि देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और भक्तों को धन, समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं।

यहां दिवाली पूजा के लिए कुछ प्रसिद्ध लक्ष्मी मंत्र दिए गए हैं:

1.ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः

2. ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:

3. ऊँ नमः भगवति महालक्ष्म्यै नमः

4. ॐ महालक्ष्मै नमो नमः
ॐ विष्णु प्रियाय नमो नमः
ॐ धन प्रदाय नमो नमः
ॐ विश्व जनन्ये नमो नमः

मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करने से आपको धन, समृद्धि और सौभाग्य के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करने में मदद मिल सकती है।

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