श्री राधा कृष्ण के संस्कृत श्लोक हिन्दी अर्थ सहित
राधा रानी श्री कृष्ण की अधिष्ठात्री देवी है। राधा नाम की महिमा का वर्णन ब्रह्मा वैवर्त पुराण, देवी भागवत में किया गया है। इस आर्टिकल में पढ़ें श्री राधा कृष्ण के प्रेम को दर्शाते संस्कृत श्लोक अर्थ सहित
RADHA KRISHNA QUOTES IN SANSKRI
जीवने निधने नित्यं, राधाकृष्णौ गतिर्मम ।।
भावार्थ - श्री कृष्ण की जीवन शक्ति श्री राधा में बसती है और श्री राधा की जीवन शक्ति श्री हरि में बसती है। ऐसे वे श्री राधा कृष्ण मेरे जीवन में और जीवन के पश्चात भी मेरा शाश्वत आश्रय है। - युगल अष्टकम
तथा ब्रह्मस्वरूपा च निर्लिप्ता प्रकृतेः परा।
प्राणाधिष्ठातृदेवी या राधारूपा च सा मुने।
भावार्थ - जैसे श्रीकृष्ण ब्रह्मस्वरूप हैं तथा प्रकृति से सर्वथा परे है। वैसे श्री राधा ब्रह्मस्वरूपा है, वह माया से निर्लेप है तथा प्रकृति से परे है। श्री कृष्ण के प्राणों की अधिष्ठात्री देवी, ही श्री राधा है। - नारद पांचरात्र
रासेश्वरी तस्य नित्यं तया हीनो न तिष्ठति ॥
भावार्थ - श्री राधा श्री कृष्ण के प्राणों की अधिष्ठात्री देवी है, श्री कृष्ण उनके अधीन है। वह रासेश्वरी सदा श्री कृष्ण के समीप विराजमान रहती है। वें न हो तो श्री कृष्ण टिके ही नहीं। -देवी भागवत
कलात्मानं निकुञ्जस्थं गुरुरूपं सदा भजे ॥
भावार्थ - श्री राधा कृष्ण स्वरूप है और श्री कृष्ण श्री राधा स्वरूप है। दोनों अनंत कलाओं का स्वरूप है। मैं निकुंजस्थ श्री राधाकृष्ण का सदा चिंतन करता हूं।
महाप्रेमपूरेण राधाभिधाभूः।
स्वयं नामकीर्त्या हरौ प्रेम यच्छत्
प्रपन्नाय मे कृष्णरूपे समक्षम्।।
भावार्थ - हे राधिके ! जिन श्री कृष्ण की आराधना कठिन है, आपने उनकी आराधना करके आपने निश्छल प्रेम से उन्हें वश में कर लिया। श्री कृष्ण की आराधना करके आप विश्व में श्री राधा नाम से विख्यात है। हे कृष्ण स्वरूपे ! अपने यह नाम अपने आप को स्वयं ही दिया है, हे राधिके !आप मुझ शरणागत को श्री हरि का प्रेम प्रदान करो। - राधा अष्टमकम
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