KARMA STORIES IN HINDI

KARMA STORIES IN HINDI KARMA QUOTES IN HINDI KARAM PHAL KI KAHANI कर्मों के फल की प्रेरणादायक कहानी 

कर्मों के फल की प्रेरणादायक कहानी 

एक बार एक बहुत ही धर्मात्मा राजा थे। उन्होंने अपने राजमहल के समीप एक मंदिर बनवाया। उस मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए एक सुयोग्य पुजारी को रखा गया। राजा का पुत्र जब जवान हुआ तो राजा ने उसका विवाह एक सुंदर सुशील राजकुमारी से कर दिया। 

शादी के पश्चात जब राजकुमार गहरी नींद में सो रहा था तो राजकुमारी की दृष्टि दीवार पर टंगी म्यान पर गई जो हीरे मोती से सुसज्जित थी। राजकुमारी ने उत्सुकता वश जैसे ही म्यान को पकड़ कर उसमें से तलवार निकाली, अचानक से तलवार राजकुमार की गर्दन पर गिरी और तत्काल राजकुमार की मृत्यु हो गई। राजकुमारी को लगा कि कोई भी उसकी बात पर विश्वास नहीं करेंगा । इसलिए उसने प्रातः काल विलाप करना शुरू कर दिया कि किसी ने मेरे पति की हत्या कर दी है। 
राजकुमारी का विलाप सुनकर राजा भी वहां पहुंचा। अपने पुत्र की ऐसी अवस्था देखकर राजा बहुत दुःखी हुआ। 

राजा ने पूछा- क्या तुमने किसी को आते जाते देखा था? राजकुमारी ने मिथ्या ही कह दिया कि मैंने किसी को मन्दिर की ओर जाते देखा था। सिपाही जब मंदिर में पहुंचे तो वहां केवल पुजारी ही विद्यमान था। वें उसे ही दोषी समझ कर लें आएं।

 राजा कहने लगा कि," यह ब्राह्मण है इसलिए मैं इसकी हत्या नहीं कर सकता। लेकिन इसने जिस हाथ से मेरे पुत्र को मारा था उसे कटवा देता हूं।" पुजारी के निर्दोष होने पर भी उसकी पुकार किसी ने नहीं सुनी। हाथ कटने पर दुःखी होकर पुजारी ने वह राज्य छोड़ दिया और किसी योग्य व्यक्ति की तलाश में निकल पड़ा जो उसे बता सकता कि निर्दोष होने पर भी उसका हाथ क्यों कटा? बहुत खोज के पश्चात उसे एक विद्वान ज्योतिषी के बारे में पता चला।

वह पुजारी उस प्रसिद्ध ज्योतिषी से मिलने के लिए गया। उस समय वह ज्योतिषी घर पर नहीं थे लेकिन उनकी पत्नी लगातार अपने पति को कोस रही थी। यह देखकर पुजारी जी आश्चर्यचकित थे कि इतना प्रसिद्ध ज्योतिषी जिसके द्वार पर सभी अपनी समस्या सुलझाने आते हैं, क्या वह अपनी पत्नी को नियंत्रण में नहीं रख सकता?

कुछ समय प्रतीक्षा करने के पश्चात वह ज्योतिषी वापस लौट आए। पूजारी  जी ने ज्योतिषी जी से पूछा कि, जब से मैं जहां पर आया हूं आपकी पत्नी आपको लगातार कोस रही है, जबकि आप तो इस राज्य के सबसे प्रसिद्ध व्यक्ति है। आप सबकी समस्याओं का समाधान बताते हैं। आप अपनी पत्नी की इस आदत का कोई समाधान क्यों नहीं करते?

वह बोले- मेरी पत्नी जो मुझे दिन रात कोसती है वह मेरे पूर्व जन्म का फल है। पूर्व जन्म में मैं एक दुष्ट कौवा था और मेरी पत्नी एक गधी थी। उस गधी की पीठ पर एक घाव था। मैं जानबूझकर उसे तंग करने के लिए उसके घाव पर चोंच मारता रहता था जिससे उसे असहनीय पीड़ा होती। लेकिन उसकी पीड़ा में मुझे आनंद आता था। वह दिन भर मुझ से छिपती रहती थी। लेकिन जब भी वह मुझे दिख जाती मैं उसके घाव पर चोंच मारता और वह पीड़ा में मुझे कोसती। 

मुझ से बचने के लिए वह गंगा किनारे वाले जंगल में चली गई। धीरे-धीरे उसका घाव भी ठीक हो रहा था। लेकिन एक दिन अचानक मेरी दृष्टि उस पर पड़ी और मैंने उसे पीड़ा देने के लिए जैसे ही चोंच उसकी पीठ पर बने घाव में डाली। मेरी चोंच उसकी हड्डी में फंस गई। मैंने चोंच निकालने का बहुत प्रयास किया लेकिन चोंच ना निकली। 

उधर गधी भी मेरे चोंच मारने के कारण असहनीय पीड़ा झेल रही थी। स्वयं को पीड़ा मुक्त करने के लिए वह गंगा नदी में चली गई। तेज बहाव के कारण हम दोनों की मृत्यु हो गई। गंगा नदी के प्रभाव से हम दोनों को मनुष्य शरीर मिला और मैं एक महान ज्योतिषी बन गया। यह मेरी पत्नी पूर्व जन्म की वहीं गधी है। 

 यह जो मुझे दिन रात कोसती है यह मैं अपने पूर्व जन्म का ही फल भुगतना कर रहा हूं। पूर्व जन्म में मैं जैसे एक कौवे के रूप में उसके घाव पर बार-बार चोंच मार कर उसे त्रास देता था ‌। उसके फलस्वरूप वैसे ही वह दिन रात मुझे कोस कर मुझे दिन रात त्रास देती है। 

 मैं चुपचाप इसकी बातें इसलिए सुनता रहता हूं क्योंकि मैं अपने पिछले कर्मों का फल इस जन्म में भुगत रहा हूं। मैं चाहता हूं कि अपने कर्मों का हिसाब मैं यही पर भुगत कर जाऊं क्योंकि कर्म फल तो भुगतना ही पड़ता है। अब आप बताएं आप किस समस्या के समाधान के लिए आए हैं। पुजारी ने पूरी बात ज्योतिषी जी को सुना दी। 

ज्योतिषी जी कहने लगे कि वह राजकुमारी पूर्व जन्म में एक गाय थी। राजकुमार एक कसाई था और तुम एक तपस्वी थे। एक बार गाय जब कसाई से जान बचाकर भाग रही थी तो वह तुम्हारे सामने से गुजरी। उसी समय कसाई वहां पर आ गया और तुम से पूछा कि क्या आपने किसी गाय को देखा है। तुमने जिस ओर गाय गई थी उस ओर इशारा कर दिया। कसाई ने गाय को मार दिया। उसी समय एक बाघ वहां आया और उसने कसाई को मार दिया। 

वह कसाई इस जन्म में राजकुमार बना और गाय राजकुमारी। पूर्व जन्म के फलस्वरूप तुम तीनों का फिर से मेल हुआ। विवाह की रात राजकुमारी के हाथ से तलवार छूटी और राजकुमार की मृत्यु हो गई। क्योंकि तुमने पूर्व जन्म में अपने हाथ से कसाई को इशारा करके बताया था कि गाय किस ओर गई है। तुम्हारे उसी कर्म के कारण इस जन्म में तुम्हारा हाथ उस राजकुमारी ने कटवा दिया। इस तरह तुम्हारे हाथ कटने में तुम्हारे पूर्व जन्म में किए गए कर्म का ही फल मिला है। इसलिए कहते हैं कि कर्सोम सोच समझकर करने चाहिए क्योंकि कर्म फल भुगतना ही पड़ता है। चाहे कितने कल्प बीत जाएं। 

अशुभ कर्मों का फल भोगना ही पड़ता है चाहे जितने भी कल्प बीत जाए। इसलिए ईश्वर से नहीं अपने कर्मों से डरना चाहिए क्योंकि कर्मों का हिसाब तो देना ही पड़ता है।

Karma short story: एक बार भगवान शिव और मां पार्वती पृथ्वी लोक का भ्रमण कर रहे थे। तभी मां पार्वती ने एक दंपति को आर्थिक रूप से दयनीय स्थिति में देखा। मां पार्वती कहने लगी कि, प्रभु आप इन दोनों के आर्थिक संकट को दूर कर दो।

भगवान शिव कहने लगे कि, पार्वती यह दोनों अपने ही कर्मों की वजह से ऐसी स्थिति में है।"
मां पार्वती ने कहा- प्रभु आप मेरे कहने पर इन दोनों को एक मौका दो। 

भगवान शिव कहने लगे कि," यहां से कुछ कदमों की दूरी पर मैंने सोने के सिक्कें रख दिए है। जब दोनों समीप जाएंगे तो इनको वें सिक्के नज़र आ जाएंगे।" 

मां पार्वती निश्चित है गई कि चलो कुछ ही क्षणों में इनकी दरिद्रता समाप्त हो जाएगी। 

लेकिन तभी एक दंपति वहां से गुजरा। उन दोनों को दिखाई नहीं देता था। दोनों ईश्वर का बहुत सुंदर भजन गाते हुए जा रहे थे। उनके चले जाने के पश्चात वें दोनों उनका मजाक बनाने लगे और नकल उतारते लगे। पत्नी कहने लगी कि, चलो हम भी उन दोनो अंधे पति-पत्नी की नकल करते हुए आंखें बंद कर गाते हुए जाते हैं। अब दोनों ने वह रास्ता जहां पर भगवान शिव ने सोने के सिक्कें रखें थे आंखें बंद करके ही पार कर लिया।

मां पार्वती कहने लगी कि," प्रभु अब मैं समझ गई कि इन दोनों की यह स्थिति इनके कर्मों के कारण ही है।" कई बार  बिना वजह दूसरों की नकल करना भी हमारी उन्नति के रास्ते में बाधा बन जाता है। इसलिए कर्म सोच समझकर करना चाहिए।

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