विश्व हिन्दी दिवस 2024
Tuesday 10 January
10 जनवरी को विश्व हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है जिसका मुख्य उद्देश्य वैश्विक स्तर पर हिन्दी भाषा का प्रचार और प्रसार करना है।
विश्व हिन्दी दिवस 10 जनवरी को क्यों मनाया जाता है ?
विश्व हिन्दी दिवस 10 जनवरी को मनाया जाता है। पहली बार विश्व हिन्दी दिवस 2006 में मनाया गया था। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने 2006 में 10 जनवरी को विश्व हिन्दी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। विश्व हिन्दी दिवस के लिए 10 जनवरी को इसलिए चुना गया क्योंकि 1975 में पहली बार 10 जनवरी को महाराष्ट्र के नागपुर में पहले हिन्दी दिवस सम्मेलन का आयोजन किया गया था। जिसमें कुल 30 देशों के 122 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। 1975 से संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, मारॉशिस, त्रिनिदाद, टोबैगो आदि देशों में विश्व हिन्दी दिवस सम्मेलन आयोजन किया गया है।
विश्व हिन्दी दिवस का उद्देश्य
विश्व हिन्दी दिवस का मुख्य उद्देश्य वैश्विक स्तर पर हिन्दी भाषा का प्रचार और प्रसार करना है और हिन्दी को अन्तर्राष्ट्रीय भाषा के तौर पर प्रचारित और प्रसारित करना है। किसी भी देश की सभ्यता संस्कृति का पता उसकी भाषा से लगता है। भारत में 70% से अधिक नागरिक हिन्दी भाषा को समझ सकते हैं। हिन्दी विश्व की सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। भारत के अतिरिक्त नेपाल, मारॉशिस, फिजी, टोबैगो आदि देशों में बोली जाती है।
विश्व हिन्दी दिवस कैसे मनाया जाता है
विश्व हिन्दी दिवस के दिन सरकारी और गैरसरकारी संस्थाओं में हिन्दी भाषा को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। सभी भारतीय दूतावासों में विश्व हिन्दी दिवस मनाया जाता है। पहला हिन्दी दिवस नार्वे के दूतावास में मनाया गया था। विश्व हिन्दी दिवस के दिन कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिसमें हिन्दी भाषा से जुड़े विशेषज्ञों को आमंत्रित किया जाता है।
विश्व हिन्दी दिवस 2023 थीम
विश्व हिन्दी दिवस 2023 के लिए थीम - हिन्दी को जनमत का हिस्सा बनाने के लिए, हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि किसी को अपनी मातृभाषा छोड़नी होगी।
पीएम मोदी के विचार
पीएम मोदी का कहना है कि हर पीढ़ी का दायित्व है ,अपनी भाषा को समृद्धि देना।मेरी मातृभाषा गुजराती है लेकिन मैं कभी सोचता हूं अगर मुझे हिंदी बोलना ना आती तो मेरा क्या हुआ होता। हिंदी भाषा की ताकत क्या है? इसका मुझे भली भांति अंदाजा है ।
वर्तमान समय में हिंदी का दायरा वैश्विक बन गया है। इसका उदाहरण है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्व के प्रसिद्ध नेताओं में से एक हैं और वह अंतरराष्ट्रीय मंच पर हिंदी में बोलते हैं। उन्हें देखना और सुनना लोग पसंद करते हैं, इसलिए अब हिंदी का दायरा बाकी देशों में भी काफी बढ़ गया है।
हिन्दी भाषा की ताकत क्या है
यह जानकर हैरानी होगी कि गूगल असिस्टेंट (google Assistant) पर search में सबसे अधिक उपयोग में लाई जाने वाली दूसरी भाषा बन गई है ।अब हिन्दी पहले नं.पर आने के लिए केवल एक भाषा से ही दूर है।
एक 2019 रिपोर्ट के अनुसार हिंदी भाषा की मांग और पूर्ति के बीच में बहुत बड़ा अंतर है।पूरे विश्व में 260 M देसी हिंदी भाषी हैं ।लेकिन केवल 0.04% वेबसाइट हिंदी में है ।लेकिन अंग्रेजी जो पूरी दुनिया में 335 M लोगों द्वारा बोली जाती है के एकदम उलट वेबसाइटओं के लिए 54.1%, प्रयोग होता है।
हमारे देश में हिंदी भाषा का आंदोलन उन लोगों ने चलाया जिन की मातृभाषा हिंदी नहीं थी। फिर भी वह हिंदी की ताकत को जानते थे- जैसे सुभाष चंद्र बोस ,महात्मा गांधी, लोकमान्य तिलक ,राजगोपालाचार्य आदि।
कहते हैं कि भाषा वही जीवित रहती है जिसका प्रयोग आम जनता करती हैं। भारत के लोगों के बीच संवाद का सबसे बेहतर माध्यम हिंदी हैं।
हिन्दी भाषा के सम्मान से जुड़ा स्वामी विवेकानंद जी का प्रसंग
स्वामी विवेकानंद अपनी संस्कृति से जुड़ी चीजों के साथ उनका लगाव मातृ भाव जैसा था। हिंदी भाषा को अपनी मां के समान सम्मान देते थे।
उनके जीवन से हिंदी भाषा से जुड़ा एक प्रसंग है कि स्वामी विवेकानंद एक बार विदेश गए। स्वामी विवेकानंद जी से वहां एक सज्जन ने अपनी सभ्यता के अनुसार 'हेलो' कहा। उसके जवाब में स्वामी जी ने हाथ जोड़कर' नमस्ते 'कहा। उन सज्जन को लगा शायद स्वामी जी को अंग्रेजी भाषा नहीं आती।
तब उन्होंने हिंदी में पूछा,"आप कैसे हैं।" स्वामी जी ने जवाब दिया ,"आई एम फाइन थैंक यू ।"
उन सज्जन को बहुत आश्चर्य हुआ। उन्होंने विनम्रता से स्वामी जी से पूछा कि," जब इंग्लिश में मैंने पूछा तो आपने जवाब हिंदी में दिया। लेकिन जब मैंने हिंदी में पूछा आपने जवाब इंग्लिश में दिया, इसका क्या कारण है ?"
स्वामी जी ने उसका जो जवाब दिया वह लाजवाब था। उन्होंने कहां जब आप अपनी मां का सम्मान कर रहे थे तब मैं अपनी मां का सम्मान कर रहा था । जब आपने मेरी मां का सम्मान किया तब मैंने आपकी मां का सम्मान किया" स्वामी विवेकानंद अपनी भाषा को अपनी मां के समान समझते थे।
हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का योगदान
हिंदी भाषा के विकास में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का बहुत बड़ा योगदान है। हिंदी फिल्में और हिंदी गाने भारत के साथ-साथ विदेशों में अभी बहुत लोकप्रिय हैं हिंदी के प्रचार प्रसार में हिंदी सिनेमा शुरू से ही अलख जगाती रही है।
गांधीजी के विचार
गांधी जी स्वयं गुजराती थे लेकिन चंपारण आंदोलन के समय उन्हें समझ आ गया था कि हिंदी भाषा पूरे देशों के लोगों को जोड़ सकती हैं। इसलिए उन्होंने पहले स्वयं हिंदी सीखी ,फिर हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए आंदोलन किए।
महात्मा गांधी का मानना था
हृदय की कोई भाषा नहीं है
हृदय हृदय से बातचीत करता है
और हिंदी भाषा हृदय की भाषा है
भारतेंदु हरिश्चंद्र
"निज भाषा उन्नति अहै
सब उन्नति का मूल."
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