बुरा जो देखन मैं चला पर कहानी
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय,
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।
दोहा संत कबीर जी का है जिसका अर्थ है कि हैं कि जब मैंने दुनिया में दूसरों के दोष ढूँढने निकला तो मुझे कोई नहीं मिला लेकिन जब मैंने अपने दिल के भीतर झाँका तो मुझे ऐसे लगा कि जैसे मुझे से बुरा इंसान कोई नहीं है। अक्सर होता है कि हम सब दूसरों के गुण दोष ढूँढने में लगे रहते हैं लेकिन अपनी कमियों की ओर ध्यान ही नहीं दे पाते। लेकिन जब हम ध्यान से देखते हैं तो हमें अहसास होता है कि हम में उनसे भी ज्यादा दोष है।
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एक बार एक राजा के दरबार में किसी व्यक्ति के क्या-क्या गुण और दोष हो सकते हैं, उस पर चर्चा हो रही थी। हर मंत्री अपने अपने ज्ञान और जानकारी के आधार पर किसी इंसान के गुण और दोष के बारे में बता रहा था। एक मंत्री ने राजा से कहा कि," महाराज मेरे मुहल्ले में एक व्यक्ति हैं ,उसके बारे में कहा जाता है कि अगर सुबह उसका चेहरा देख लो तो पूरा दिन आपको भोजन नसीब नहीं होता।"
राजा को यह बात बहुत हस्यादपद लगी ।राजा कहने लगा की मैं इस बात को परखना चाहता हूं। मंत्री चाह कर भी राजा को नहीं रोक पाए।क्योंकि बाल हठ और राज हठ के आगे किसी की भी नहीं चलती।
राजा ने मंत्री से उसका पता पूछकर सैनिकों को उसे लेने भेज दिया। सैनिक उस व्यक्ति को राजा के पास ले आए। राजा ने उस व्यक्ति को रात में अपने साथ श्यन कक्ष में सुलाया ताकि सुबह उठकर वह सबसे पहले उसका चेहरा देख सके।
अगले दिन सुबह उठते ही राजा ने उसी व्यक्ति का चेहरा देखा। राजा जैसे ही अपने दैनिक नित्य कर्म किये राजा को समाचार मिला कि किसी दूसरे राज्य का राजदूत किसी विषय में तत्काल मंत्रणा करना चाहता है। राजा बिना भोजन किए जल्दी से राज दरबार में चला गया।
अभी राजा उससे मंत्रणा कर ही रहा था कि कोई नागरिक न्याय की गुहार लगाता हुआ आ गया। ऐसे राजा को उस दिन एक के बाद एक जरूरी काम करने पड़े ।इसलिए राजा ने दिन भर भोजन नहीं कर पाया।
लेकिन जैसे ही राजा की दृष्टि उस मंत्री पर पड़ी जिसने उस मन्नहुस व्यक्ति के बारे में बताया था ।राजा को स्मरण हो आया कि मैंने तो आज सारा दिन भोजन ही नहीं किया।
राजा ने उस व्यक्ति को उसी क्षण राज दरबार में बुलाया। राजा कहने लगा कि," तुम्हारा चेहरा देखने के कारण मुझे भोजन नहीं मिला इसलिए मैं तुम को मृत्यु दंड की सजा सुनाता हूँ"
सजा सुनाने के पश्चात राजा ने उस व्यक्ति से पूछा कि," क्या तुम्हारी कोई अंतिम इच्छा है ?" वह व्यक्ति बहुत धैर्य से बोला कि," हां मुझे तो अब मृत्यु दंड मिल ही चुका है मेरे लिए इससे बुरा और क्या हो सकता है? लेकिन मरने से पहले मैं आपको एक सच्चाई से रूबरू करवाना चाहता हूँ।"
मैंने तो आपसे नहीं कहा था कि आप सुबह उठकर मेरा चेहरा देखे। लेकिन मेरी इच्छा जाने बिना आपने मुझे अपने साथ सोने का आदेश दिया। सुबह सबसे पहले जैसे आपने सबसे पहले मेरा चेहरा देखा वैसे ही मैंने आपका चेहरा देखा।
आपको लगा कि मैं आपके लिए मन्नहुस हूँ इसलिए आपको दिन भर भोजन नसीब नहीं हुआ और आपने मुझे मृत्यु दंड दे दिया। आपके हाथ में सत्ता है इसलिए आप कोई भी आदेश दे सकते हैं।
महाराज सच्चाई तो यह है कि आप मेरे लिए उससे भी ज्यादा मन्नहुस है क्योंकि मेरा चेहरा देखने पर केवल आपको एक दिन भोजन नसीब नहीं हुआ लेकिन सुबह आपका चेहरा देखना मेरी मौत का कारण बन गया।
अब आप ही फैसला कर ले कि हम दोनों में से कौन एक दूसरे के लिए ज्यादा बुरा किसका चेहरा देखना है। उस समय राजा को अपनी गलती का अहसास हुआ कि बुरा जो देखन मैं चला बुरा ना मिलया कोई।जो मन खोजा आपना मुझ से बुरा ना कोय।। राजा ने उस व्यक्ति की मौत की सजा माफ कर दी और उससे क्षमा मांगी।
Moral - इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हम सदैव दूसरों के दोष ढूँढने रहते हैं लेकिन अपने दोष पर ध्यान नहीं देते। लेकिन अगर हम स्वयं पर ध्यान देते हैं तो हमें अपनी गलतियों का अहसास होता है।
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