Positive Thinking Kaise Rakhe
Sakaratmak kaise rahe/ How to be always positive/ Positive attitude/ posiive sakaratmak soch kaise banaye/ हमेशा पॉजिटिव सोच कैसे रखें /
सकारात्मक सोच कैसे बनाएं
सकारात्मक सोच आशावादी सोच के साथ आती है। जब कोई इंसान अपनी सोच सकारात्मक रखता हैं तो जीवन में आने वाली चुनौतियों से घबराता नहीं है। क्योंकि सकारात्मक सोच रखने वाला व्यक्ति जानता है कि, "जीवन है, तो रूकावटें तो आएंगी , वरना मुर्दों के लिए तो दुश्मन भी रास्ता छोड़ देते हैं।"
पाज़ीटिव थींकिंग का अर्थ यह नहीं है कि जीवन में आने वाली मुश्किलों को नज़रंदाज़ कर दे अपितु पाज़िटिव थींकिग रखने वाले व्यक्ति बुरी से बुरी परिस्थिति में अपनी हालातों का रोना नहीं रोते। सकारात्मक सोच वाले व्यक्ति मुश्किलों से भरे हालातों में भी कभी विचलित नहीं होते और बल्कि अपनी सकारात्मक सोच और श्रेष्ठ क्षमता के बल पर कोई ना कोई समाधान ढूंढ निकालते हैं।
सकारात्मक सोच हमारे स्वास्थ्य पर भी बहुत अच्छा प्रभाव डालती है। ऐसा माना जाता है कि सकारात्मक सोच रखने वाले व्यक्ति को केंसर, अवसाद और हृदय रोगी जैसी बिमारियां कम लगती है। इसके विपरित नकारात्मक सोच वाले लोग कई तरह की बिमारियों से ग्रसित होते हैं जैसे अवसाद, एंग्जाइटी और आत्मविश्वास की कमी आदि। हम सकारात्मक सोच रखकर अपने जीवन और स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं।
सकारात्मक सोच कैसे रखें Positive View Kaise Rakhe
सबसे पहले तो ईश्वर का आभार (ग्रेटिट्यूड) व्यक्त करें
सकारात्मक सोच के लिए सबसे पहले ईश्वर ने जो आपको दिया है उसका शुक्रिया अदा करना सीखे। हमारे साथ भी बहुत बार ऐसा होता है हमें जो सहज भाव से मिल जाता है हम उसके लिए तो ईश्वर को कभी शुकराना नहीं करते। परन्तु थोड़ी सी परेशानी आने पर उलाहना जरूर देते हैं कि भगवान यह सब मेरे साथ ही ऐसा क्यों करते हो?
ईश्वर का शुक्रिया करें हर उस चीज के लिए जो आपके पास है। ईश्वर का शुक्रिया करें अपने परिवार के लिए क्योंकि कुछ लोगों के पास तो परिवार ही नहीं है । ईश्वर का शुक्रिया करें अपनी नौकरी, कारोबार,अच्छी सेहत के लिए। हर उस रहमत के लिए जो उसने आपको सहज ही दी।
शुक्रिया अदा करने का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि हमारी बहुत सी शिकायतें ख़त्म हो जाती है। जब हमारी जिंदगी शिकायतें कम होती है तो अपने आप नकारात्मक सोच कम हो जाती है। जब नकारात्मक सोच कम होगी तो अपने लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं।
अपने आत्मविश्वास को बढ़ाएं और अपनी तुलना दूसरों से बिल्कुल ना करें।
सकारात्मक सोच के लिए अपने आप पर विश्वास रखें । क्योंकि अगर आप स्वयं पर विश्वास नहीं रखेंगे तो आप किसी ओर से इसकी आशा कैसे कर सकते हैं ?
स्वयं में आत्मविश्वास पैदा करें क्योंकि ईश्वर ने हर एक को अलग बनाया है और ईश्वर ने किसी भी चीज़ को बिना वजह नहीं बनाया है। जीवन में स्वयं को सकारात्मक रखने के लिए यह सोच बहुत महत्वपूर्ण है। बहुत बार होता है कि जब हम एक बार गलती करते हैं तो दूसरी बार कोई भी काम करने से डरते हैं। लेकिन अपनी गलती को अपने सफलता की ओर लिया गया पहला कदम मान कर आगे बढ़े।
अपनी तुलना किसी से मत करें क्योंकि हर व्यक्ति की क्षमता अलग होती है। ईश्वर ने कोई भी चीज़ फालतू नहीं बनाई। दृढ़ निश्चय करें कि आप ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना है। स्वयं को सशक्त महसूस करें।
अपने लिए लक्ष्य निर्धारित करें।
अपने लिए लक्ष्य निर्धारित करें। सकारात्मक सोच के लिए एक लक्ष्य का होना बहुत जरूरी है। क्योंकि कहते हैं कि जिस चीज़ को हम शिद्दत से चाहते हैं तो पूरी कायनात उसे मिलाने में साजिश करती है। अगर आपका लक्ष्य निर्धारित होगा तो वह उसे पाने के लिए अनथक प्रयास करेंगे। उस प्रयास के फलस्वरूप आपको ऐसे बहुत से रास्ते मिलते चले जाते हैं जो आपको आपके लक्ष्य के समीप ले जाते हैं। जब आपका लक्ष्य निर्धारित होगा तो सकारात्मक सोच रखने का एक मोटिव मिल जाएगा।
नकारात्मक विचारों वाले व्यक्ति से दूर रहें।
नकारात्मक विचारों वाले व्यक्ति से दूर रहें क्योंकि कहते हैं जैसी संगत वैसी रंगत। अगर आप नकारात्मक सोच वाले लोगों के साथ रहेंगे तो वह सदैव बुरी चीज़ों के बारे में ही बात करेंगे जिससे आपके मन में भी वही भाव आने शुरू हो जाएगे। दूसरों की नकारात्मक सोच को स्वयं पर हावी मत होने दे।
सकारात्मक दृष्टिकोण वाले लोगों की संगति करें।
सकारात्मक दृष्टिकोण वाले लोगों की संगति करें। आपने देखा होगा कि कुछ लोगों का ओरा ऐसा होता है कि हर कोई उनकी संगति पसंद करता है। वें हर परिस्थिति में एनर्जी से भरपूर रहते हैं। इसका एक मुख्य कारण उनकी सकारात्मक सोच होती है। अगर आप के आसपास ऐसे लोग नहीं हैं तो आप सकारात्मक सोच वाले लोगों की किताबें पढ़ सकते हैं या फिर विडियो देख कर प्रेरणा ले सकते हैं।
दूसरों द्वारा की गई निंदा, चुगली से प्रभावित होकर अपना लक्ष्य ना छोड़े।
दूसरों द्वारा की गई निंदा, चुगली से प्रभावित होकर अपना लक्ष्य ना छोड़े। नकारात्मक सोच का एक मुख्य कारण दूसरों द्वारा की गई निंदा चुगली भी होता है। बहुत बार हम ऐसे माहौल में रह रहे होते हैं जहां पर आप कुछ भी करो लोग आप में ताने फब्तियां कसते रहते हैं जिस कारण नकारात्मकता मन में घर कर जाती है। लेकिन उसके लिए स्वामी विवेकानंद जी का एक विचार याद रखें कि - "निंदा के डर से लक्ष्य ना छोड़े क्योंकि लक्ष्य मिलते ही निंदा करने वाले की राय बदल जाती है।"
दूसरों को माफ करना सीखे
दूसरों को माफ करना सीखे। इससे आपकी ऊर्जा सकारात्मक सोच की तरफ ही जाएगी। जीवन में बहुत बार होता है कि किसी ने हमारे साथ धोखा किया होता है, या फिर दुर्व्यवहार किया होता है जो हमारी मानसिकता पर गहरा नकारात्मक प्रभाव छोड़ जाता है। जिस कारण हम उस सोच से बाहर नहीं आ पाते और नकारात्मक सोच का शिकार हो जाते हैं। हमें लगने लगता है कि पूरी दुनिया ही बुरी है। हम उनसे बात करना बंद कर देते हैं और यही सोचते हैं कि मैं उसके बारे में बिल्कुल नहीं सोचूंगा। लेकिन होता उससे उल्टा है वह व्यक्ति हर समय आपके दिमाग में घूमता रहता है। इसलिए अपनी आत्मिक शांति के लिए उन्हें दिल से माफ कर दें और उनके प्रति घृणा के भाव मन से निकाल दे।
आत्मविश्लेषण करें
हर दिन अपने आप को बेहतर बनाने का संकल्प ले कि जो मुझे आता है वो मैं बेस्ट करूंगा और जो नहीं आता उसे मैं सीख लूंगा। हर दिन कुछ ना कुछ नया सीखते रहें। अपनी उर्जा रचनात्मक कार्यों पर लगाएं।
हर रोज मेडीटेशन करें।
हर रोज मेडीटेशन करें। सकारात्मक सोच के लिए आपको हर रोज़ मेडीटेशन करनी चाहिए। मेडिटेशन के लिए किसी शांत स्थान पर पालथी लगाकर कर बैठे। गहरी सांस लेकर पूरा ध्यान सांस पर क्रेंदित करें।
इसके अतिरिक्त अन्य बहुत से पहलू है जिन पर फोकस कर हम लोग अपनी सोच सकारात्मक रख सकते हैं।
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अपनी गलतियां का दोष दूसरों पर डालने की बजाय उनसे निपटने के समाधान खोजें।
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जीवन में आने वाली कठिन परिस्थितियों में भी साकारात्मक पक्ष ढूंढे। जब जीवन में एक के बाद एक परेशानियां आती है तो हम पर नकारात्मक सोच हावी हो जाती है कि भगवान ने सारे दुःख मेरे ही भाग्य में लिख दिए हैं। मुश्किल समय में नकारात्मक सोच रखोगे तो आपका दिमाग आपको उससे जुड़ी हर बुरी समस्या दिखाएंगा । लेकिन अगर आप समस्याओं की बजाय समाधान पर ध्यान केन्द्रित करेंगे तो आपका दिमाग उस समस्या से कैसे निपटें उसके समाधान बताएगा।
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व्यर्थ की चिंता मत करें क्योंकि परिस्थितियां चिंता करने से नहीं बल्कि चिंतन करने से ठीक होती है।
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स्वयं के साथ कुछ समय बिताएं कि आप अपने आप को हर दिन कैसे बेहतर बना सकते हैं। सकारात्मक सोच के लिए self love बहुत जरूरी है।
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हर व्यक्ति के पास असीमित क्षमता है उसको फोन और टीवी देखने पर बर्बाद ना करें और अपनी उर्जा रचनात्मक कार्यों में लगाएं। उसके लिए अच्छी किताबें पढ़ें और मोटिवेशनल स्पीकर को सुने।
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वर्तमान समय में हर कोई अपना समय और एनर्जी सोशल मीडिया पर स्क्रोलिंग करने में बिता रहा है। वहां से अगर उसने एक बार कुछ नकारात्मक सोच से संबंधित कुछ देख लिया तो उसे बार बार वैसा ही कंटेंट दिखना शुरू हो जाता है। इसलिए अपनी उर्जा को बेकार न करें। अपनी सोशल मीडिया फ़ीड में सकारात्मक कंटेंट देखें क्योंकि जाने अंजाने सोशल मीडिया हम सब के जीवन में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही प्रभाव डालता है। अपनी सोशल मीडिया फ़ीड में हेल्दी रखना भी हमारी जिम्मेदारी है।
आशा है इस आर्टिकल में आपको जीवन में सकारात्मक सोच कैसे रखें से संबंधित दिए गए प्वाइंट आपके लिए जीवन में उपयोगी होंगे। इसी सोच के साथ जीवन में सकारात्मक सोच रखें, ईश्वर का धन्यवाद करें और अपनों के साथ समय बिताएं और लक्ष्य निर्धारित कर हर दिन प्रगति की ओर अग्रसर होते रहे।
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