SHRI GANESHA KI KAHANI IN HINDI

shri ganesh ji ki katha kahani story in hindi ganesh ji ke mata pita patni putar ka naam LORD GANESHA STORY IN HINDI gannesh ji ki janam katha ganesh ji ko ekdant kyun kaha jata hai

गणेश जी की कहानी 

LORD GANESHA STORY;हिन्दू धर्म में गणेश जी को प्रथम पुज्य माना जाता है। गणेश जी को विध्नहर्ता कहा जाता है। हम कोई भी शुभ कार्य करने से पहले गणेश जी का ध्यान करते हैं ताकि गणेश जी आने वाली विध्न बाधाओं को दूर कर दे। 

गणेश जी भगवान शिव और मां पार्वती के पुत्र हैं। कार्तिकेय जी गणेश जी के बड़े भाई है ‌। गणेश जी का वाहन मूषक है। उनको मोदक और लड्डू का भोग लगाया जाता है। गणेश जी के 12 नाम जाप से विध्न‌ बाधा दूर होती है।

रिद्धि और सिद्धि गणेश जी की पत्नियां हैं जो कि ब्रह्म जी की पुत्रियां थी। 

गणेश जी के सिद्धि से क्षेम और रिद्धि से शुभ नाम के पुत्र हुए जिन्हें शुभ लाभ कहा जाता है।

अमोद और प्रमोद शुभ लाभ के पुत्र और गणेश जी के पोते है।तुष्टि और पुष्टि गणेश जी की बहुएं है। 

ganesh ji ki janam kathaगणेश जी की जन्म कथा  

एक बार भगवान शिव नदी पर स्नान करने के लिए गए हुए थे। माता पार्वती ने अपने शरीर पर हल्दी का उबटन लगाया था। मां ने उस उबटन को उतारा तो उससे एक पुलता बनाया और उसमें  प्राण डाल दिए। उन्होंने उसका नाम गणेश रखा।

मां पार्वती गणेश जी से कहती हैं कि," पुत्र में स्नान करने जा रही हूं, तुम मुग्दल लेकर द्वार‌ पर बैठ जाओ किसी को भी भीतर मत आने देना।"

कुछ समय पश्चात भगवान शिव स्नान कर लौट आए। वह भीतर जाने लगे तो गणेश जी ने माता के आदेश अनुसार उनको द्वार पर रोक दिया। भगवान शिव के गणों और गणेश जी में युद्ध हुआ लेकिन वें गणेश जी को पराजित नहीं कर पाए। भगवान शिव ने क्रोधित होकर गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया और भीतर चले गए।

माता पार्वती ने भगवान शिव को क्रोध में देखा तो उन्हें लगा कि भोजन में विलम्ब के कारण प्रभु क्रोधित है। उन्होंने दो थाल में भोजन परोसा तो भोलेनाथ पूछने लगे कि," यह दूसरा थाल किसके लिए है?" माता पार्वती ने कहा- यह पुत्र गणेश के लिए है जो द्वार पर पहरा दे रहा है।

भगवान शिव बोले- उसे तो मैंने उदण्ड बालक जानकर उसका सिर धड़ से अलग कर दिया है। यह सुनकर मां पार्वती विलाप करने लगी। मां पार्वती को प्रसन्न करने के लिए भगवान गरूड़ जी से कहते हैं कि उत्तर दिशा में जाओ और जो मां अपने बच्चे की तरह पीठ करके सोई हो उसकी गर्दन काट कर ले आओ। गरूड़ जी को एक हथिनी दिखी जो अपने बच्चे की तरह पीठ करके सोई हुई थी। वह उसकी गर्दन काट कर ले आएं और भगवान शिव ने हाथी के बच्चे का सर गणेश जी के धड़ से जोड़ दिया और उसमें प्राण डाल दिए। मां पार्वती अपने पुत्र को पुनः पाकर बहुत प्रसन्न हुई। सभी देवी देवताओं ने गणेश जी को आशीर्वाद दिया। गणेश जी ने सभी देवताओं में प्रथम पुज्य माना जाता है। 

गणेश जी क्यों एकदंत कहा जाता है

ganesh ji ko ekdant kyu kehte hain;1. पुराणों के अनुसार माना जाता है कि एक बार परशुराम जी भगवान शिव से मिलने आए। भगवान शिव उस समय ध्यान में मग्न थे। जिस कारण गणेश जी ने उन्हें रोका भगवान शिव के समीप जाने से रोका तो दोनों में युद्ध हुआ। उस समय परशुराम के शस्त्र से गणेश जी का एक दांत टूट गया था। 

2.एक अन्य कथा के अनुसार महर्षि वेदव्यास जी ने महाभारत को लिपिबद्ध करने के लिए गणेश जी से कहा। गणेश जी ने शर्त रखी कि महाभारत के श्लोक लिखते समय  मेरी कलम रूकनी नहीं चाहिए। अगर मेरी कलम रुकी तो मैं लिखना बंद कर दूंगा। 

महर्षि वेदव्यास जी ने भी एक शर्त रखी कि आप समझ कर श्लोक लिखेंगे। गणेश जी ने इस शर्त को मान लिया।

महर्षि वेदव्यास महाभारत महाकाव्य बोलने लगे और गणेश जी उसको समझकर लिखने लगे। 

लेकिन गणेश जी की कलम लिखते समय अचानक से टूट गई तो गणेश जी ने महर्षि वेदव्यास जी की बोलने की गति को तेजी से संभालने के लिए अपना एक दांत तोड़ा और तेजी से उसे कलम बनाकर लिखने लगे। उसके पश्चात उनका नाम एकदंत पड़ा।

 गणेश जी के साथ शुभ लाभ क्यों लिखा जाता है

हम किसी भी शुभ कार्य के शुरू करने पर  स्वास्तिक के साथ शुभ लाभ लिखते हैं। स्वास्तिक को गणेश जी का ही प्रतीक माना जाता है। स्वास्तिक के दाएं बाएं हम शुभ लाभ लिखते हैं। शुभ लाभ गणेश जी के पुत्रों के नाम है। जहां  शुभ होता है वहां लाभ होने लगता है और रिद्धि और सिद्धि हो जाती है। स्वास्तिक की अलग-अलग रेखाएं गणेश जी की पत्नी रिद्धि और सिद्धि को दर्शाती हैं।

गणेश जी चतुर्थी 

गणेश जी का जन्म भाद्रमास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था। इस दिन पूरे देश के लोग गणेश जी की पूजा करते थे। गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए। 

दीवाली पर गणेश जी के साथ लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। 

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