परीक्षा पर चर्चा 2023: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम के छठवें संस्करण में छात्रों को संबोधित किया। पीएम मोदी ने इस समय छात्रों ,शिक्षकों द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई उदाहरणों से छात्रों को जीवन में सफल होने के सुत्र बताएं। बोर्ड परीक्षाओं के शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री ने देश भर के छात्रों के साथ "परीक्षा पे चर्चा" की। उन्होंने इस चर्चा के दौरान अभिवाकों की अपेक्षाओं, जीवन में तनाव, एग्जाम में नकल , आलोचना को कैसे हैंडल करे और टाइम मैनेजमेंट पर छात्रों के सवालों के जवाब दिये।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के परीक्षा पे चर्चा के मुख्य विचार
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि," माता-पिता द्वारा बच्चों से उम्मीदें होना स्वाभाविक है।" परिवार की बच्चों से बहुत सी अपेक्षाएं होती हैं। लेकिन जब अपेक्षाएं सोशल स्टेटस का कारण बन जाती हैं तब चिंता का विषय बन जाता है। सोशल स्टेटस का माता-पिता पर बहुत दबाव होता है। माता पिता अपने बच्चे की क्षमता के बारे में जानते हुए भी बहुत बढ़-चढ़कर सोसायटी में बातें करते हैं और अपने बच्चों से भी वैसी ही अपेक्षाएं लगाते है। प्रधानमंत्री ने पेरेंट्स को संदेश दिया कि बच्चों पर दबाव ना बनाएं।
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पीएम नरेंद्र मोदी ने बच्चों को समझाया कि," हमें टाइम मैनेजमेंट माँ से सीखना चाहिए। मांँ परिवार के सभी सदस्यों की जरूरत के हिसाब से अपना टाइम मैनेज करती है। मांँ को सब पता होता है। अगर किसी ने छः बजे काम पर जाना है या फिर नौ बजे जाना है उसने सब पहले ही मैनेजमेंट किया होता है। वह काम कभी भी दबाव में नहीं करती। इसलिए हम टाइम मैनेजमेंट मांँ से सीख सकते हैं।
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पीएम मोदी ने कहा कि," केवल परीक्षा के लिए नहीं बल्कि जीवन में हर स्तर पर टाइम मैनेजमेंट के लिए जागरूक रहना चाहिए। पढ़ाई के लिए टाइम टैबल बनाएं। जो विषय आपको कम पसंद है उसको पहले समय दें उसके बाद अन्य विषय को समय दीजिए। उसके पश्चात फिर कम रूचि वाले विषय को पढ़ें और फिर मन पसंद विषय को । उससे धीरे-धीरे आपमें उस विषय के प्रति रूचि पैदा हो जाएगी।
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पीएम मोदी ने कहा कि," मेहनती बच्चों को चिंता रहती है कि मैं मेहनत करता हूं। लेकिन कुछ बच्चें नकल करके आगे बढ़ जाते हैं। लेकिन नकल से जिंदगी परीक्षा में सफल नहीं हो सकते। जीवन की परीक्षा में वही सफल होते हैं जो ईमानदारी से काम करते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि," जीवन में आपको हर एक स्तर पर परीक्षा देनी पड़ती है। नकल करने वाला एक स्तर को पार कर लेगा लेकिन पूरी जिंदगी कभी भी नकल के सहारे पार नहीं कर पाएगा। हो सकता है नकल करने वाला आपसे ज्यादा अंक ले जाए । लेकिन जो अपनी मेहनत के बल पर सफल होते हैं उनके लिए कोई भी मुश्किल कभी भी उनकी जिंदगी की रुकावट नहीं बन पाती। आपके भीतर की शक्ति की आपको आगे ले जाएगी।" उन्होंने विद्यार्थियों को समझाया कि आपके और आपके साथियों के बीच में परीक्षा के अंकों का अंतर लंबे समय तक मायने नहीं रखता। क्योंकि असल जीवन में जो समर्पित है वही सर्वश्रेष्ठ को प्राप्त करते हैं।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कुछ लोग हार्ड वर्क करते हैं और कुछ लोग हार्डली हार्ड वर्क करते हैं। कुछ लोग स्मार्टली हार्ड वर्क करते हैं। हमें स्मार्टली हार्ड वर्क करना चाहिए तभी अच्छे परिणाम आएंगे। उन्होंने कौवे द्वारा घड़े में कंकड़ डालकर पानी पीने की उदाहरण दी।
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पीएम मोदी ने कहा कि," भारत में लोग औसतन छः घंटे स्क्रीन पर बताते हैं। भगवान ने हमें एक स्वतंत्र अस्तित्व और असीम क्षमता दी है। इसलिए हमें गैजेट के गुलाम नहीं बनना चाहिए। हमें टेक्नालॉजी की उपयोगिता और आवश्यकता अपनी सुविधा अनुसार करनी चाहिए।आपके भीतर का सामर्थ्य और क्रिएटिविटी को पहचाने।" पीएम नरेंद्र मोदी के अनुसार हमें घर में एक "नो गेजेट्स जोन" रखना चाहिए ताकि हम रिश्तों की आत्मीयता को महसूस कर सकें या फिर एक दिन या फिर कुछ घंटे किसी भी गेजेट्स को ना इस्तेमाल करने का प्रण लेना चाहिए। उन्होंने "डिजिटल फास्टिंग" पर जोर दिया।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बच्चों के सवाल का जवाब दिया कि परिवार वालों या फिर अन्य लोगों की आलोचना को कैसे हैंडल करे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि," आलोचना को एक शुद्धि यज्ञ की तरह लेना चाहिए। आलोचना एक समृद्ध लोकतंत्र की शर्ते हैं। आलोचना करने वाले को मेहनत करके एनालिसिस करना पड़ता है। आलोचना और आरोप में फर्क होता है। पीएम मोदी के अनुसार अगर कोई अच्छा करता है तो उससे और भी अच्छा करने की उम्मीद की जाती है। उन्होंने बताया कि जैसे मैं राजनीति में हूं तो हम पर दबाव बनाया जाता है कि हमें हारना नहीं है। अगर 200 सीट आई है तो 250 या 300 क्यों नहीं आई थी ? चारों और बहुत दबाव होता है लेकिन हमें इस दबाव के आगे झुकना नहीं। पीएम मोदी ने एक उदाहरण देते हुए समझाया कि जब हम क्रिकेट स्टेडियम में देखने जाते हैं तो किसी बल्लेबाज को देखकर पूरा स्टेडियम चिल्लाना शुरू करता है। "चौका-चौका, छक्का-छक्का" क्या बल्लेबाज ऑडियंस की डिमांड पर चौके छक्के लगाते हैं ? नहीं बल्कि उस बैट्समैन का सारा ध्यान बाॅलर के माइंड कि स्टडी करने में लगा रहता है। वह ध्यान से आब्जर्व करता है कि बाॅलर कैसी बॉल फेंक रहा। उनका पूरा ध्यान खेल पर ही केंद्रित होता है। पीएम नरेंद्र मोदी कहा कि ,"यदि आप फोकस करेंगे तो दबाव को सहना सीख जाएंगे। आपको दबाव को एनालिसिस करना आना चाहिए।"
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ऐवरेज स्टूडेंट्स द्वारा पूछे गए छात्र के जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि," सामान्य लोग ज्यादातर असामान्य काम करते हैं। पूरे विश्व में वही लोग सफल हुए हैं जो पहले सामान्य थे। स्वयं को अंडरस्टीमेट ना करें। किसी भी बच्चे की क्षमता को कम नहीं समझना चाहिए। पक्का विश्वास रखें कि आप समस्याओं को सुलझा लेंगे। नरेंद्र मोदी बताया कि हमारे भीतर जो ताकत है वही हमें आगे लेकर जाती हैं। परीक्षाएं तो समय के साथ आती जाती रहती हैं। लेकिन हमें खुलकर जिंदगी जीना आना चाहिए है। इसलिए कभी शॉर्टकट ना अपनाएं। सामान्य लोग जब असमान्य काम करते हैं तो वह ऊंचाई पर पहुंच जाते हैं एवरेज के मापदंड को तोड़ते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि ," दो-तीन साल पहले हमारी सरकार के विषय में कहा जाता था कि उनके पास कोई अर्थशास्त्री नहीं है। पीएम को अर्थशास्त्र के बारे में ज्ञान नहीं है। जिस देश को सामान्य कहा जाता था आज वह चमक रहा है और दुनिया उसे आशा की किरण के रूप में देख रही है।"
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आप की परीक्षा कैसी हुई है उस विषय में परिवार को सच्चाई से बताएं। जीवन को झूठ के सहारे नहीं चला सकते। उन्होंने कहा कि जो छात्र मेहनत करते हैं उनका प्रयास कभी व्यर्थ नहीं जाएगा। शिक्षकों को कमजो़र छात्रों के उत्थान के लिए ज्यादा प्रयास करना चाहिए।
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