BHAGVAD GEETA SE KYA SIKH MILTI HAI

BHAGAVAD GEETA SE KYA SIKH MILTI HAI भगवद् गीता से हमें क्या शिक्षा मिलती है

भगवद् गीता से हमें क्या शिक्षा मिलती है

भगवद्गीता का उपदेश महाभारत युद्ध के दौरान श्री कृष्ण ने अर्जुन को दिया था. लेकिन इससे करोड़ों वर्ष पूर्व भगवान विष्णु ने सूर्य देव को सुनाया था. सूर्य  देव ने  मनु  से कहा,और उन्होंने अपनी पुत्री सुवाहु को सुुुनाया , उनसे ऋषियों  ने सुना और फिर यह परंपरा  आगे चलती रही . 
भगवत गीता में मानव जीवन के हर एक पहलू के बारे में बताया गया है. जो बातें आज से 5000 पहले सार्थक थी, उतनी ही आज के समय में भी है. गीता में 18 अध्याय हैं और 700 श्लोक हैं.

पहले अध्याय में अर्जुन, श्रीकृष्ण से सवाल करते हैं और श्री कृष्ण सुनते हैं. अर्जुन कहते हैं मैं अपने सव जनों को मारकर युद्ध नहीं कर सकता इससे तो अच्छा मैं भिक्षा मांग लूंगा. भगवान श्री कृष्ण शांति  से बातें सुनते हैं. अर्जुन कहते हैं प्रभु मैं आपकी शरण में आया हूं मेरी शंका का निवारण करें. उसके बाद 17 अध्याय में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन के द्वारा पूछे गए सभी प्रश्नों के उत्तर देते हैं . अर्जुन के मन में जितने भी शंका होती हैं उसे दूर करते हैं. 

भगवद्गीता से बहुत से महापुरुषों ने ली प्रेरणा 

ऐसे बहुत से महापुरुष हैं जिन्होंने नियमित रूप से गीता का पठन किया और जीवन की ऊंचाइयों को प्राप्त किया . उनमें से एक नाम महात्मा गांधी का है . महात्मा गांधी के अनुसार "जब भी मुझे कोई परेशानी घेर लेती है, तो मैं गीता के पन्नों को पलटता  हूं और मुझे उस परेशानी का हल मिल जाता है" . अल्बर्ट आइंस्टाइन,  'मेट्रो मैन',सुनीता विलियम्स इन सभी ने अपने जीवन में गीता को पढ़ा और जीवन की ऊचाईयो को प्राप्त किया.

 Father of atom bomb कहे जाने वाले ओपेनहाइमर ने तो गीता को समझने के लिए संस्कृत भाषा सीखी थी . उनका मानना था कि महाभारत में जिस बह्म अस्त्र का वर्णन है वो एक तरह का परमाणु हथियार था. वह गीता के उस श्लोक से बहुत प्रभावित थे जिस में कृष्ण अर्जुन   से कहते  तुम सिपाही हो , तुम्हारा कर्म है युद्ध करना, फल की चिंता तुम मुझ पर छोड़ दो. 

संजय द्वारा भगवद्गीता पढ़ने का बताया गया महत्व 

संजय के अनुसार जहां श्री कृष्ण और  धनुर्धारी अर्जुन की गीता पढ़ी जाएगी . उस जगह पर धन की वर्षा होगी, पढ़ने वाले को विजय मिलेगी , उसको  अद्भुत शक्तियों का अनुभव होगा और एक ईमानदार इंसान बनेगा. गीता के उपदेश जितने उस समय के लिए सार्थक थे, उतने ही आज के परिस्थितियों में भी उतना ही महत्त्व रखते हैं.

कर्म करो फल की चिंता मत करो 

जैसे कि श्री कृष्ण ने कहा "कर्म कर फल की चिंता ना कर" इसमें श्रीकृष्ण ने केवल शारीरिक रूप से कर्म करने के लिए नहीं कहा था , इंसान को अपनी बुद्धि से ,बोलकर और शारीरिक तौर पर हर तरह से कर्म करने की बात कही गई है.ताकि हम जीवन में सफल हो सकें .जब हम पूरी एकाग्रता से किसी काम को करते हैं तो उसका फल मिलना निश्चित होता है .

 वर्तमान समय का आनंद ले 

आज के समय में बहुत से लोग डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं. श्री कृष्ण ने उस समय कहा था ,"जो होता है अच्छे के लिए होता है "बीते हुए और आने वाले कल की चिंता नहीं करनी चाहिए .जो आज है उसका आनंद लेना चाहिए .

आत्मा अमर है 

"आत्मा ना कभी मरती है और ना ही इसका जन्म होता है" शरीर ,नाम, प्रतिष्ठा  यह सब यहीं पर बनेगा और यहीं पर मिट जाएगा .आत्मा अमर है .

परिवर्तन सृष्टि का नियम है 

"परिवर्तन संसार का नियम है".  लाभ के बाद हानि ,अपमान और मान, यह सब जिंदगी का एक हिस्सा है . हर परिस्थिति में जिंदगी का आनंद लेना चाहिए .

क्रोध को नियंत्रित करें 

क्रोध से भ्रम पैदा होता है और बुद्धि विचलित होती  हैं और जब बुद्धि विचलित होती हैं तो   विवेक खत्म हो जाता है . जिससे व्यक्ति विनाश की ओर अग्रसर होता है .यह कथन जितना उस समय सार्थक उतना ही वर्तमान समय में भी है .  

स्वयं पर विश्वास करें 

मनुष्य को स्वयं पर विश्वास करना चाहिए क्योंकि ऐसा मनुष्य सफलता जरूर प्राप्त करता है. यह उपदेश आज के समय में भी उतना ही सार्थक है.

श्रीमद् भगवद् गीता को जरूर पढ़ना चाहिए,क्योंकि  गीता के ज्ञान की जितनी जरूरत उस समय अर्जुन को थी शायद उस से भी ज्यादा वर्तमान समय में हम सब को है . श्रीमद्भगवद् गीता के ज्ञान से मनुष्य के जीवन में धर्म, साहस, सरलता, शांति आदि गुण सहज ही विकसित हो उठते है.  

About Author : A writer by Hobbie and by profession
Social Media

Message to Author