KRISHNAM VANDE JAGADGURUM ASHTAKAM WITH MEANING IN HINDI

KRISHNAM VANDE JAGADGURUM MEANING IN HINDI कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् IN SANSKRIT कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् meaning in hindi Lord krishna mantra stuti shlork hindi arth sahit

कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् In Sanskrit With Meaning in Hindi

वसुदेव सुतं देवं कंस चाणूर मर्दानम्।
देवकी परमानंदं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम्।।

 भावार्थ - मैं वसुदेव के पुत्र, देवकी के परमानन्द, कंस और चाणूर का मर्दन करने वाले समस्त विश्व के गुरू भगवान श्री कृष्ण की वन्दना करता हूँ। 

अतसी पुष्प संकाशं हार नुपुर शोभितम्।
रत्न कंकण कयूरं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम्।।

भावार्थ - मैं जो नीले रंग के असती पुष्पों से घिरे हुए हैं, जिन पर हार और नूपुर सुशोभित हो रहे और जिन पर रत्न जड़ित आभूषण कंगन शोभायमान हो रहे हैं ऐसे समस्त विश्व के गुरू भगवान कृष्ण की वन्दना करता हूँ। 

कुटिलालक संयुक्तं पूर्णचंद्र निभाननम्।
विलसत्कुंडलधरं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम्।।

भावार्थ - मैं घुंघराले केशों से सुशोभित और जिनका मुख पूर्णिमा के चंद्रमा की तरह चमकता है और जिसके कानों में चमचमाते हुए कुण्डल शोभायमान हैं ऐसे समस्त विश्व के गुरू भगवान कृष्ण की वन्दना करता हूँ। 

मंदार गंध संयुक्तं चारुहासं चतुर्भुजम्।
बर्हिपिञ्छावचूडाङ्गं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम्।।

भावार्थ - मैं मंदार फूल की दिव्य गंध से युक्त, अति मनमोहक मुस्कान वाले , जो चार भुजाओं से युक्त हैं और जिनके मस्तक पर मोर का मुकुट सुशोभित है ऐसे समस्त विश्व के गुरू भगवान कृष्ण की वन्दना करता हूँ। 

उत्फुल्ल पद्मपत्राक्षं नीलजीमृत संनिभम्।
यादवानां शिरो रत्नं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्।। 

भावार्थ - मैं जिनके नेत्र खिले हुए कमल की पंखुड़ियों की तरह हैं, जिनकी देह नील वर्ण बादल के समान हैं, और जो यादव वंश में सर्वश्रेष्ठ हैं, ऐसे समस्त विश्व के गुरू भगवान कृष्ण की वन्दना करता हूँ। 

रूक्मिणि केलि संयुक्तं पीताम्बरं सुशोभितम्।
आवाप्त तुलसी गन्धं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम्।।

भावार्थ - मैं जो रुक्मिणी देवी( लक्ष्मी का अवतार) के साथ लीला कर रहे हैं, जो पीले वस्त्रों से शोभायमान हैं और जो तुलसी की गंध से आकर्षित है, ऐसे समस्त विश्व के गुरू भगवान कृष्ण की वन्दना करता हूँ। 

गोपिकानां कुचद्वन्धं कुंकुमांकित वक्षसम्।
श्रीनिकेतं महेष्वासं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्।। 

भावार्थ - मैं जिनके वक्ष पर गोपियों के आलिंगन से कुमकुम के निशान हैं। जिनमें देवी लक्ष्मी वास है और जिनके पास विशाल धनुष है, ऐसे समस्त विश्व के गुरू भगवान कृष्ण की वन्दना करता हूँ। 

श्रीवत्सांक महोस्करम् वनमाला विराजितम्।
शंख चक्र धरं देवं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्।।

भावार्थ - मैं जिनकी चौड़ी छाती पर श्रीवत्स का चिन्ह है, जिन पर वनमाल सुशोभित हो रही है और जिन्होंने शंख और चक्र धारण किया है, ऐसे समस्त विश्व के गुरू भगवान कृष्ण की वन्दना करता हूँ। 

कृष्णाष्टकमिदं पुण्यं प्रातरुत्थाय यः पठेत् | 
कोटि जन्म कृतं पापं स्मरणेन विनष्यति॥

भावार्थ - जो व्यक्ति प्रातः इस कृष्ण अष्टकम का पाठ करते हैं, उन्हें अपार पुण्य प्राप्त होगा। यह पाठ करने और स्मरण मात्र से अनेकों जन्मों के पाप भी नष्ट हो जाएंगे। 

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