GURU PURNIMA KAB KYUN KAISE MANAYE JATI HAI

GURU PURNIMA KAB KYUN AUR KAISE MANAYE JATI HAI GURU PURNIMA KA MAVATAV गुरु पूर्णिमा कब,क्यों और कैसे मनाई जाती है

गुरु पूर्णिमा कब,क्यों और कैसे मनाई जाती है

हिन्दू सनातन धर्म में गुरु को ईश्वर से भी ऊंचा स्थान दिया गया है। गुरु का शब्दिक अर्थ होता है जो हमें अज्ञानता के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाता है।‌‌ हिन्दू धर्म ग्रंथों में तो गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश की संज्ञा दी गई है।‌ 

गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। 

गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥

भावार्थ: गुरु ब्रह्मा है, गुरु विष्णु है, गुरु महेश है; गुरु ही साक्षात् परब्रह्म है, ऐसे सद्गुरु को प्रणाम। 

गुरु पूर्णिमा के दिन हमारे जीवन की प्रगति में जिस भी व्यक्ति ने योगदान दिया है उसे सम्मानित किया जाता है।

Guru purnima kab manaye jati hai गुरु पूर्णिमा कब मनाई जाती है

गुरु पूर्णिमा आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह पर्व जुलाई या अगस्त महीने में आता है। 2023 में गुरु पूर्णिमा 3 जुलाई को मनाई जाएगी।

Guru purnima kyun manaye jati hai गुरु पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है

गुरु पूर्णिमा गुरु के हमारे जीवन में दिए गए मार्ग दर्शन और ज्ञान के लिए उनको सम्मानित करने के लिए मनाई जाती है। चारों वेदों के ज्ञाता महर्षि वेदव्यास जी का जन्म भी आषाढ़ पूर्णिमा के दिन ही हुआ था। उन्होंने ही वेदों को ऋग्वेद,यजुर्वेद, सामवेद,अथर्ववेद नाम दिया था। इसलिए उन्हें वेद व्यास कहा जाता है। उनके नाम पर ही आषाढ़ पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु को व्यास जी का अंश‌‌ मान को उनको सम्मानित किया जाता है और पूजन किया जाता है।

Guru purnima ka mahatva गुरु पूर्णिमा कि महत्व

हिन्दू सनातन धर्म में गुरु का स्थान ईश्वर से भी ऊंचा माना गया है। तभी तो कबीर जी कहते हैं-

गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागू पाँय।

बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो मिलाय।।

 गुरु पूर्णिमा के दिन जिस भी व्यक्ति ने हमारे जीवन के उत्थान के लिए किसी भी तरह का योगदान दिया है उसको सम्मानित किया जाता है। किसी भी व्यक्ति के पहले गुरु उसके माता-पिता होते हैं। शिक्षक उन्हें स्कूल में शिक्षा देते हैं और आध्यात्मिक गुरु हमारे जीवन के उत्थान में सहायक होते हैं। इसलिए गुरु पूर्णिमा के दिन जिस भी व्यक्ति ने आपके जीवन के विकास में योगदान दिया है उनको सम्मानित किया जाता है। इस दिन धर्म ग्रंथों की भी पूजा का विधान है क्योंकि धर्म ग्रंथों से भी हमें ज्ञान प्राप्त होता है।

Guru purnima kaise manaye jati hai गुरु पूर्णिमा कैसे मनाई जाती है

गुरु पूर्णिमा के दिन जिस भी व्यक्ति से अपने ज्ञान अर्जित किया है चाहे वह कुछ भी आध्यात्मिक या फिर अकादमिक हो उनका सम्मान करें।

गुरु पूर्णिमा के किसी पवित्र नदी, तालाब में स्नान करना चाहिए। अगर ऐसा संभव ना हो तो घर पर ही स्नान करते समय जल में गंगा जल मिला लें।

इस दिन गुरु के समक्ष जाकर उनका उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेना चाहिए।

जो लोग किसी कारण वश गुरु के पास नहीं जा सकते वह अपने गुरु के चित्र के समक्ष बैठकर गुरु मंत्र का जाप करते हैं। गुरु या फिर अपने अध्यापक या फिर जिन से भी उन्होंने जीवन में ज्ञान प्राप्त किया है उनको शुभकामनाएं भेजते हैं।

इसदिन शिष्य अपने गुरु के नाम पर भंडारा लगाते हैं।

गुरु पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा अर्चना करना विशेष फलदाई माना गया है। भगवान शिव को आदि गुरु माना गया है।

 

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