HINDU NAV VARSH VIKRAM SAMVAT HISTORY SIGNIFICANCE

HINDU NAV VARSH VIKRAM SAMVAT HISTORY SIGNIFICANCE HINDI हिन्दू नववर्ष 2024 की हार्दिक शुभकामनाएं विक्रम संवत का हिन्दू धर्म में महत्व 

हिन्दू नववर्ष 2024 की हार्दिक शुभकामनाएं

 VIKRAM SAMVAT 2081 

भारतीय हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा से हिन्दू नववर्ष आरंभ होता है। 2024 में अंग्रेज़ी कैलेंडर के अनुसार 9 अप्रैल मंगलवार के दिन नवसंवत्सर शुरू हो रहा है। इसे विक्रम संवत भी कहा जाता है।  

2024 में हिन्दू नववर्ष 2081 का शुभारंभ दिन मंगलवार चैत्र मास शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से हो रहा है।‌‌ हिन्दू पंचांग अनुसार इस समय संवत्सर 2080 चल रहा है और चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के साथ ही विक्रम संवत 2081 आरंभ हो जाएगा। 9 अप्रैल 2024 दिन मंगलवार  को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से चैत्र नवरात्र भी आरंभ हो रहे हैं।

हिन्दू नवसंवत्सर 2081 के राजा मंगल और मंत्री शनि होंगे। 

विभिन्न समुदायों में नववर्ष का आधार 

पूरे विश्व में स्थानीय रीति रिवाजों और परम्पराओं के आधार पर नववर्ष मनाया जाता है। इसलिए दुनिया भर में सभी समुदाय अलग अलग तिथि और महीने में अपना नववर्ष मनाते हैं।
ईसाई धर्म के लोग ग्रिगोरियन कैंलेंडर के अनुसार 1 जनवरी को अपना नववर्ष मनाते हैं। 
चीन में लूनर कैंलेंडर के अनुसार नववर्ष मनाते हैं।
इस्लाम में हिजरी संवत के अनुसार नववर्ष मनाते हैं।
जैन धर्म में दीवाली के अगले दिन नववर्ष मनाते हैं।
हिन्दू नववर्ष विक्रम संवत के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन आरंभ होता है।

विक्रम संवत सबसे पहले किसने चलाया ? 

विक्रम संवत कैलेंडर की शुरुआत 58 ईस्वी पूर्व राजा विक्रमादित्य के प्रयास से हुई थी,जो अंग्रेजी कैलेंडर से 57 वर्ष आगे है। हिंदू धर्म में सभी व्रत-त्यौहार आज भी हिन्दू कैलेंडर के अनुसार ही मनाएं जाते है।

  2024+57=2081 विक्रम संवत शुरू हो रहा है। 

राजा विक्रमादित्य के समय बहुत बड़े भूभाग पर शकों का सम्राज्य था जो कि बहुत ही क्रूर और अत्याचारी थे। राजा विक्रमादित्य ने अपनी प्रजा को शकों के शासन से मुक्त करवाया था। राजा विक्रमादित्य को न्याय प्रिय और प्रजा के हितों को ध्यान में रखकर शासन करने रूप में जाना जाता है।
विक्रमादित्य के शासन में एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं था जिसके ऊपर एक रुपये का भी कर्जा हो। विक्रमादित्य एकमात्र राजा थे जिन्होंने अपनी प्रजा का कर्ज स्वयं उतारा था।
शास्त्रीय विधि से किसी नये संवत को शुरू करने के लिए जिस भी राजा को अपना संवत शुरू करना होता है उसे संवत आरंभ करने से पहले उसे अपने और अपने राज्य की जितनी भी प्रजा है उनका ऋण चुकाना पड़ता है।

महाराज विक्रमादित्य ने विक्रम संवत शुरू करने से पहले अपने राज्य के उपर जो ऋण था और जहां तक कि प्रत्येक नागरिक का ऋण स्वयं दिया।

 राजा विक्रमादित्य के राज्य में सबसे प्रसिद्ध खगोलशास्त्री वराहमिहिर थे उनकी मदद से विक्रम संवत का प्रसार हुआ।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा जिस वार से विक्रमी संवत शुरू होता है, वही इस संवत का राजा होता है। सूर्य जब मेष राशि में प्रवेश करता है, तो वह संवत का मंत्री होता है। 

विक्रम संवत का हिन्दू धर्म में महत्व 

Significance of Vikram Samvat In Hindu Dhram:विक्रम संवत का हिन्दू धर्म में बहुत महत्व है। विक्रम संवत हिन्दू धर्म में सभी प्रकार के संस्कारों, पर्वों एवं त्योहारों का आधार है। सभी शुभ कार्य इसी पंचांग की तिथि के अनुसार किए जाते हैं। यहां तक की वित्तीय वर्ष भी हिन्दू नववर्ष से प्रारंभ होता है और समाप्त भी इसी के साथ होता है। विक्रम संवत से ही कुछ भी शुभ कार्य करने से पहले वर्ष, माह, तिथि, वार, नक्षत्र आदि की जानकारी ली जाती है। किसी भी शुभ काम जैसे विवाह, मुंडन संस्कार आदि हो या किसी महापुरुष की जन्मतिथि इन सबके लिये विक्रम संवत को देखा जाता है। विक्रम संवत चैत्र मास से शुरू होता है और फाल्गुन मास अंतिम मास होता है। 

राजा विक्रमादित्य ने चैत्र मास को ही नवसंवत्सर के लिए क्यों चुना 

पौराणिक कथा के अनुसार ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन आरंभ की थी। इसलिए इसको सृष्टि के प्रथम दिन के रूप में माना जाता है। सत्ययुग का आरंभ भी इसी तिथि से हुआ माना जाता है। इसलिए पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नव वर्ष शुरू होता है। 

विक्रम संवत् के महीनों के नाम 

चैत्र मास       मार्च - अप्रैल
वैशाख मास  अप्रैल - मई 
ज्येष्ठ मास  मई    -  जून 
आषाढ़ मास  जून     - जुलाई
श्रावण मास        जुलाई  - अगस्त 
भाद्रपद मास  अगस्त  -  सितंबर 
आश्विन मास  सितंबर  -  अक्टूबर 
कार्तिक मास  अक्टूबर -  नवंबर 
मार्गशीर्ष मास  नवंबर  -   दिसंबर 
पौष मास  दिसंबर -  जनवरी 
माघ मास जनवरी  - फरवरी 
फाल्गुन मास    फरवरी  -  मार्च 

  • 12 महीने का एक वर्ष और 7 दिन का सप्ताह रखने की शुरुआत भी विक्रम संवत से हुई। 

  • विक्रम संवत में प्रत्येक तिथि की गणना सूर्योदय को आधार मानकर की जाती है। हर दिन सूर्योदय से शुरू होता है और अगले ही दिन सूर्योदय तक माना जाता है।

  • विक्रम संवत का पहला मास चैत्र और अंतिम मास फाल्गुन होता है।

  • विक्रम संवत की शुरुआत जिस वार से होती है उस के आधार पर उस नववर्ष का राजा निर्धारित किया जाता है।      

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