भगत सिंह की कहानी
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भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 में लायलपुर पंजाब में हुआ था। उनके पिता का नाम किशन सिंह और माता का नाम विद्यापति कौर था। उनके चाचा और पिता दोनों स्वतंत्रता सेनानी थे। कहते हैं कि जब भगत सिंह का जन्म हुआ तो उनके चाचा जेल से रिहा होकर घर लौटे भगत सिंह की दादी ने उनका नाम भागा वाला(अच्छे भाग्य वाला) रखा, बाद में उन्हें भगत सिंह नाम से जाना जाने लगा। जब जलियांवाला वाला बाग का हत्याकांड हुआ उसमें भगत सिंह की आयु 12 साल थी । वह वहाँ से खून से सनी मिट्टी एक बोतल में भर कर घर ले आए थे।
14 वर्ष की आयु में वह नेशनल कालेज लाहौर गए। 16 वर्ष की आयु में इटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की।
वह गांधीजी से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने गांधीजी द्वारा चलाए गए असहयोग आंदोलन में भाग लिया। लेकिन चौरा-चौरी के घटना के पश्चात गांधीजी ने आंदोलन वापस ले लिया। जिससे भगत सिंह खुश नहीं थे।
तब भगत सिंह को अहसास हो चुका था कि अहिंसा से देश को स्वतंत्रता प्राप्त नहीं हो सकती। इसलिए देश को आजाद करवाने के लिए हथियार उठाना अवश्य है। भगत सिंह की पढ़ाई छोड़कर देश की आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए।
जब उनके विवाह लिए रिश्ता आया तो उन्होंने साफ इंकार कर दिया। उनका मानना था कि," अगर देश की स्वतंत्रता से पहले मैं शादी करूं, तो मेरी दुल्हन मेरी मौत होगी"
भगत सिंह द्वारा लाला लाजपत के हत्यारे को मारने का प्रण लेना
30 अक्टूबर 1928 को जब साइमन कमीशन भारत आया तो उसका विरोध किया गया। लाला लाजपत इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे थे। उस समय अंग्रेज अधिकारी ने साइमन कमीशन का विरोध करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों पर लाठीचार्ज करवा दिया। इस लाठीचार्ज में लाला लाजपत भी गंभीर रूप से घायल हो गए। 18 दिन के पश्चात 17 नवंबर को वह शहीद हो गए। दोनों में वैचारिक मतभेद थे लेकिन उनकी मृत्यु से भगत सिंह बहुत आहत हुए। उस समय उन्होंने प्रण लिया कि वह इसका बदला जरूर लेंगे। भगत सिंह ने सुखदेव, राजगुरु और चंद्रशेखर के साथ मिलकर लाला लाजपतराय की हत्या के लिए जिम्मेदार की अफसर स्कॉट की हत्या करने की योजना बनाई।
17 नवंबर 1928 को स्कॉट को मारने का दिन निर्धारित किया गया। लेकिन भूल से उन्होंने जब असिस्टेंट पुलिस साडर्स अपनी मोटर साइकिल पर बाहर निकला तो उस समय भगत सिंह और राजगुरु ने उस पर गोलियां चला दी। चंद्रशेखर पीछे से दोनों को बेकअप दे रहे थे। जब सिपाही चानन सिंह उन दोनों की तरफ जाने लगा तो चंद्रशेखर ने उसको गोली मारकर उनका रास्ता साफ कर दिया। साडर्स को मारने के पश्चात भगत सिंह और उनके साथी भागने में सफल रहे। अपनी पहचान छुपाते के लिए उन्होंने अपने बाल कटवा दिए।
भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने मिलकर 8 अप्रैल 1928 को सेंट्रल असेंबली में बम फैंका। उसके पश्चात वहाँ से भागने की कोशिश नहीं की ओर अपनी गिरफ्तारी करवा दी। भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव पर मुकदमा चला। उन को फांसी की सजा सुनाई गई।
शहीद भगत सिंह की मृत्यु
भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी की तारीख 24 मार्च 1931 निर्धारित की गई थी। लेकिन भगत सिंह की प्रसिद्धी पूरे भारत में फ़ैल चुकी थी जिससे ब्रिटिश सरकार भयभीत थी। इसलिए इन तीनों को एक दिन पहले ही फांसी दे दी गई और आनन-फानन में शवों का अन्तिम संस्कार भी कर दिया गया।
शहीद दिवस
देश भक्तों के इस बलिदान को सदैव स्मरण रखने के लिए इस दिन को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन देश के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।
BHAGAT SINGH QUOTES IN HINDI
1. मैं एक ऐसा पागल हूं,जो जेल में भी आजाद है।
2. जीवन अपने दम पर चलता हैं ,दूसरों का कन्धा अंतिम यात्रा में ही साथ देता हैं।
3.देशभक्तों को अक्सर लोग पागल कहते हैं, हमें पागल ही रहने दो हम, पागल ही अच्छे हैं।।
4.पागल, प्रेमी और कवि एक ही थाली के चट्टे-बट्टे है, अर्थात् सभी सामान होते हैं।
5. अहिंसा को आत्मविश्वास का बल प्राप्त है और इसमें जीत की आशा से कष्ट वहन किया जाता है, पर यदि यह प्रयत्न विफल हो जाए तब हमें अपनी आत्मशक्ति के साथ शारीरिक शक्ति को जोड़ना होगा तभी हम अत्याचारी दुश्मन की दया पर नहीं रहेंगे।
6. मैं एक इंसान हूं और जो भी चीजें इंसानियत पर प्रभाव डालती हैं, मुझे उनसे फर्क पड़ता है।
7. क्रांतिकारी सोच में दो आवश्यक लक्षण है एक बेरहम निंदा और दूसरी स्वतंत्र सोच।
8. हर मनुष्य का कर्तव्य है कि वह कर्म और प्रयास भरपूर करें, क्योंकि सफलता वातावरण और मौके पर निर्भर करती है।
9. वे मुझे मार सकते हैं,लेकिन वे मेरे विचारों को नहीं मार सकते। वे मेरे शरीर को कुचल सकते हैं,मेरी आत्मा को नहीं।
10. जो भी व्यक्ति विकास के लिए खड़ा है,उसे हर एक रुढ़िवादी चीज की आलोचना करनी होगी,उसमें अविश्वास करना होगा, तथा उसे चुनौती देनी होगी।।
11. बम और पिस्तौल क्रांति नहीं करते। क्रांति की तलवार विचारों के पत्थर पर तेज होती है।
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