ईश्वर पर विश्वास की भावपूर्ण कहानियां
ईश्वर पर विश्वास उस बच्चे की तरह होना चाहिए जिसे पिता चाहे जैसे भी उछाले, वह निश्चित होता है कि पिता उसे सुरक्षित पकड़ ही लेगा। इसी तरह जो लोग ईश्वर पर विश्वास करते हैं वह हर परिस्थिति में सकारात्मक रहते हुए अपना कर्म करते हैं और परिणाम ईश्वर पर छोड़ देते है।
एक बार एक व्यक्ति ने एक संत जी से पूछा कि महाराज ईश्वर तो नज़र नहीं आते उन पर विश्वास कैसे करें। कृपया आप मुझे आसान शब्दों में इसका अर्थ समझाएं। संत मुस्कुराते हुए बोले - ईश्वर पर विश्वास wi fi की तरह ही होता है जो नज़र नहीं आता लेकिन जब पासवर्ड सही लग जाता है तो कनेक्ट हो जाता है।
ईश्वर पर विश्वास करने वाले सुख-दुख हर परिस्थिति में उसका स्मरण करते हैं और उसकी शक्ति पर उनका विश्वास अटूट होता है। पढ़ें ईश्वर पर विश्वास की भावपूर्ण कहानियां -
ISHWAR PER VISHWAS KI KAHANI
एक बार एक लडका था दिनभर ईश्वर की भक्ति में लीन रहता था। ना घर का कोई काम करता और ना व्यापार में हाथ बंटाता था। लेकिन साधू-संतों की खूब सेवा करता। साधू-संत हमेशा आशीर्वाद देते कि उसे जीवन में खूब तरक्की करो और ईश्वर के प्रति तुम्हारी आस्था बनी रहे। लेकिन कोई काम धंधा ना करने के कारण उसका परिवार उससे बहुत परेशान था।
जिस राज्य में वह लड़का रहता था। वहां के राजा की कोई संतान नहीं थी। संतान प्राप्ति के लिए उसने बहुत से उपाय किए। एक बार उसे किसी ने बताया कि अगर वह किसी नौजवान की बलि देगा तो उसे अवश्य संतान की प्राप्ति होगी।
अब राजा के लिए समस्या थी कि बलि के लिए नौजवान कहां से लाएं? उसने पूरे नगर में ढिंढोरा पिटवा दिया कि जो भी माता-पिता अपनी अपने नौजवान पुत्र को बलि के लिए भेजेंगे उन्हें भरपूर धन संपदा दी जाएगी।
जब यह बात उस लड़के के परिवार को पता चली तो उन्होंने निश्चय किया कि हम अपने पुत्र को राजा के पास भेज देते हैं। वैसे भी यह हमारे किसी काम का नहीं है। सारा दिन ईश्वर की भक्ति और साधू संतों की सेवा में ही लगा रहता है। इसके जाने से हमारे पास भरपूर धन वैभव आ जाएगा।
लड़के को बलि के लिए राजा के पास भेजा गया। अगले दिन सुबह लड़के की बलि देने से पहले राजा ने उसकी अंतिम इच्छा पूछी। लड़का ने कहा - मुझे थोड़ी सी गीली मिट्टी चाहिए। लड़के को गीली मिट्टी दी गई।
लड़के ने ईश्वर को याद करते हुए उस मिट्टी के चार ढेर बनाए। उसके पश्चात उसने तीन ढेर तोड़ दिए और चौथे ढेर को प्रणाम किया। लड़का बोला कि राजन! अब आप मेरी बलि दे सकते हैं।
राजा कहने लगा कि," तुम मुझे पहले इस बात का भेद बताओ कि तुम ने क्यों पहले चार ढेर बनाए, फिर तीन तोड़ दिए और एक क्यों रहने दिया?
लड़का कहने लगा कि राजन! आप तो बस अब बलि दे। यह मेरी और मेरे ईश्वर के बीच की बात है इसे रहने दें।
राजा बोला - यह मेरा आदेश है कि बताओ तुम ने तीन ढेर क्यों तोड़े और चौथा क्यों नहीं तोड़ा?
लड़का बहुत विनम्रता से बोला कि," राजन! कोई भी मनुष्य अपनी रक्षा के लिए सबसे पहले माता-पिता, राजा और देवता पर विश्वास करता है। लेकिन मेरे माता-पिता ने तो मुझे स्वयं आपके पास बलि के लिए भेजा है। इसलिए मैंने पहली ढेरी तोड़ दी। उसके पश्चात वह राजा से प्राण रक्षा के लिए फरियाद करता है लेकिन यहां पर तो स्वयं राजा ही मेरी बलि दे रहा है इसलिए मैंने दूसरी ढ़ेरी भी तोड़ दी। फिर व्यक्ति देवता की ओर देखता है लेकिन यहां पर तो देवता को ही बलि दी जा रही है। इसलिए मैंने तीसरी ढ़ेरी भी तोड़ दी।
लेकिन अंतिम ढ़ेरी उस ईश्वर पर विश्वास की है। मैंने अपने ईश्वर से कहा- मैं अपनी अंतिम सांस तक आप पर विश्वास करूंगा इसलिए मैंने चौथी ढ़ेरी नहीं तोड़ी।
लड़के की बातें सुनकर राजा को आभास हुआ कि यह लड़का तो बहुत ज्ञानवान है। राजा ने उसकी बलि देने का विचार त्याग दिया । उस लड़के के ईश्वर की प्रति विश्वास ने उसकी आस्था को टूटने नहीं दिया और ईश्वर की कृपा से राजा का मन बदल गया और उसने लड़के को ही अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। इसलिए तो कहते हैं कि ईश्वर की भक्ति में असंभव दिखने वाली चीजें भी संभव हो जाती है।
ISHWAR PER VISHWAS STORY IN HINDI
story on faith in god: एक बार एक गर्भवती हिरणी ने अपने बच्चे को जन्म देने के लिए एक एकांत स्थान को चुना। जैसे ही उसे प्रसव पीड़ा शुरू हुई उसी समय आसमान में बादल घिर आए और बिजली कड़कने लगी।
तभी उसकी दृष्टि अपनी दाईं ओर गई तो एक शिकारी उसकी ओर निशाना साधे खड़ा था जैसे ही उसने बाईं ओर देखा एक भूखा शेर उसका शिकार करने के लिए तत्पर था।
उसने पीछे मुड़कर देखा तो नदी अपने उफान पर थी और सामने जंगल की घास में आग ही लपटें निकल रही थी। इस समय हिरणी दुविधा में फंसकर गई थी उसके मन में कई प्रश्न एक साथ कौंध गए थे।
क्या वह अपने बच्चे को जन्म दे पाएगी? क्या शिकार उसका शिकार कर लेगा या फिर वह शेर का ग्रास बन जाएगी? क्या जंगल की आग उसे जला देगी या फिर कही उफनती नदी उसका काल तो नहीं बन जाएगी?
उस समय परिस्थितियां हिरणी के अनुकूल नहीं लग रही थी? उस समय उसने स्वयं को ईश्वर को सौंप दिया और अपना कर्म करते हुए अपने बच्चे को जन्म देने का निर्णय लिया।
ईश्वर की कृपा से जैसे ही शिकारी ने उस पर निशाना साधा उसी समय तेज बिजली कड़की जिससे शिकारी की आंखें चौंधिया गई और उसका निशाना चूक गया और वह सामने खड़े शेर को लग गया जिससे शेर वहां से भाग गया।
तभी घनघोर बारिश आरंभ हो गई और सामने लगी जंगल की आग शांत हो गई। अब ईश्वर की कृपा से हिरनी और शावक दोनों सुरक्षित थे। हमारे साथ भी बहुत बार ऐसा होता है जब हमें लगता है कि अब कोई समाधान नहीं बचा। तब ईश्वर की कृपा से कुछ ऐसा हो जाता है जो हमारी सोच से परे होता है।
इसलिए ईश्वर पर विश्वास व्यक्ति में उम्मीद की किरण को जगाए रहता है जिससे वह कठिन परिस्थितियों में भी आगे बढ़ने के लिए लगातार प्रयासरत रहता है। व्यक्ति ईश्वर पर विश्वास करते हुए अपना कर्म करता रहता है और नकारात्मकता उस पर हावी नहीं हो पाती क्योंकि वह जानता है कि ईश्वर हर परिस्थिति में उसके साथ है।
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