KRISHNA STUTI LYRICS

KRISHNA STUTI LYRICS KRISHNA STUTI MANTRA KRISHNA JANAM STUTI krishna quotes in sanskrit

श्री कृष्ण की स्तुति श्री कृष्ण चन्द्र कृपालु भजमन

श्री कृष्ण चन्द्र कृपालु भजमन, नन्द नन्दन सुन्दरम्।

अशरण शरण भव भय हरण, आनन्द घन राधा वरम्॥

सिर मोर मुकुट विचित्र मणिमय, मकर कुण्डल धारिणम्।

मुख चन्द्र द्विति नख चन्द्र द्विति, पुष्पित निकुंजविहारिणम्॥

मुस्कान मुनि मन मोहिनी, चितवन चपल वपु नटवरम्।

वन माल ललित कपोल मृदु, अधरन मधुर मुरली धरम्॥

वृषुभान नंदिनी वामदिशि, शोभित सुभग सिहासनम्।

ललितादि सखी जिन सेवहि, करि चवर छत्र उपासनम्॥

KRISHNA JANAM STUTI LYRICS 

भये प्रगट गोपाला दीनदयाला यशुमति के हितकारी ।

हर्षित महतारी सुर मुनि हारी मोहन मदन मुरारी ॥ 

कंसासुर जाना मन अनुमाना पूतना वेगी पठाई । 

तेहि हर्षित धाई मन मुस्काई गयी जहाँ यदुराई ॥

 तब जाय उठायो हृदय लगायो पयोधर मुख मे दीन्हा।

 तब कृष्ण कन्हाई मन मुस्काई प्राण तासु हर लीन्हा ॥

जब इन्द्र रिसायो मेघ पठायो बस ताहि मुरारी । 

गौन हितकारी सुर मुनि हारी नख पर गिरिवर धारी ॥

 कन्सासुर मारो अति हँकारो बत्सासुर संघारो ।

बकासुर आयो बहुत डरायो ताक़र बदन बिडारो ॥

तेहि अतिथि न जानी प्रभु चक्रपाणि ताहिं दियो निज शोका।

 ब्रह्मा शिव आये अति सुख पाये मगन भये गये लोका ॥

यह छन्द अनूपा है रस रूपा जो नर याको गावै ।

 तेहि सम नहि कोई त्रिभुवन सोयी मन वांछित फल पावै ॥

नंद यशोदा तप कियो, मोहन सो मन लाय ।

 देखन चाहत बाल सुख, रहो कछुक दिन जाय ॥ 

जेहि नक्षत्र मोहन भये, सो नक्षत्र बड़िआय।

 चार बधाई रीति सो, करत यशोदा माय ॥ 

GOPAL STUTI IN SANSKRIT 

 नमो विश्वस्वरूपाय विश्वस्थित्यन्तहेतवे।

विश्वेश्वराय विश्वाय गोविन्दाय नमो नमः॥1॥

नमो विज्ञानरूपाय परमानन्दरूपिणे।

कृष्णाय गोपीनाथाय गोविन्दाय नमो नमः॥2॥

नमः कमलनेत्राय नमः कमलमालिने।

नमः कमलनाभाय कमलापतये नमः॥3॥

बर्हापीडाभिरामाय रामायाकुण्ठमेधसे।

रमामानसहंसाय गोविन्दाय नमो नमः॥4॥

कंसवशविनाशाय केशिचाणूरघातिने।

कालिन्दीकूललीलाय लोलकुण्डलधारिणे॥5॥

वृषभध्वज-वन्द्याय पार्थसारथये नमः।

वेणुवादनशीलाय गोपालायाहिमर्दिने॥6

बल्लवीवदनाम्भोजमालिने नृत्यशालिने।

नमः प्रणतपालाय श्रीकृष्णाय नमो नमः॥7॥

नमः पापप्रणाशाय गोवर्धनधराय च।

पूतनाजीवितान्ताय तृणावर्तासुहारिणे॥8॥

निष्कलाय विमोहाय शुद्धायाशुद्धवैरिणे।

अद्वितीयाय महते श्रीकृष्णाय नमो नमः॥9॥

प्रसीद परमानन्द प्रसीद परमेश्वर।

आधि-व्याधि-भुजंगेन दष्ट मामुद्धर प्रभो॥10॥

श्रीकृष्ण रुक्मिणीकान्त गोपीजनमनोहर।

संसारसागरे मग्नं मामुद्धर जगद्गुरो॥11॥

केशव क्लेशहरण नारायण जनार्दन।

गोविन्द परमानन्द मां समुद्धर माधव॥12॥

॥ इत्याथर्वणे गोपालतापिन्युपनिषदन्तर्गता गोपालस्तुति समाप्त ॥

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