VISHNU BHAGWAN KI KAHANI

VISHNU BHAGWAN KI KAHANI LORD VISHNU STORIES IN HINDI भगवान विष्णु की कहानी

भगवान विष्णु की कहानी

भगवान विष्णु को सृष्टि के पालनहार कहा जाता है। सृष्टि और अपने भक्तों की रक्षा के लिए भगवान विष्णु समय-समय पर अवतार लेते हैं। 

भगवान विष्णु मोहिनी अवतार कथा 

Bhagwan Vishnu Mohini Avtar katha:भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार देवताओं को अमृत पिलाने के लिए लिया था। मोहिनी अवतार भगवान विष्णु का एक मात्र स्त्री अवतार है। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को लिया था। इसलिए उस एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है।

भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार क्यों लिया 

देवताओं और दैत्यों ने अमृत की प्राप्ति के लिए मिलकर समुद्र मंथन किया। समुद्र मंथन के दौरान 14 रत्न निकले। जिसमें से एक अमृत था। जब धन्वंतरि भगवान अमृत कलश लेकर प्रकट हुए तो देवता ज्यादा शक्तिशाली थे। इसलिए उन्होंने अमृत धन्वंतरि भगवान से छीन लिया। दैत्यों ने अमृत पहले पीने के लिए आपस में झगड़ा हो गया। उधर सभी देवताओं ने भगवान विष्णु की स्तुति की कि प्रभु ऐसे विकट समय में आप ही हमारी रक्षा कर सकते हैं।

भगवान विष्णु देवताओं की स्तुति से प्रसन्न हुए। उन्होंने देवताओं की रक्षा के लिए मोहिनी रूप धारण किया। भगवान विष्णु का यह रूप सबके मन को मोहने वाला था हर कोई उनके उस रूप से सम्मोहित हो गया। 

दैत्य तो झगड़ा छोड़ कर मोहिनी से पूछने लगे कि देवी आप कौन हैं? आपका रूप आलौकिक है। आप यहां पर क्या कर रही है? क्या आप हमारे लिए एक कार्य करेगी। आप यह अमृत हम सब में बांट देंगी। मोहिनी ने अपनी बातों से दैत्यों को अपने मोह जाल में फंसा लिया। भगवान विष्णु ने शर्त रखी कि मैं जैसे भी अमृत का वितरण करूं सभी को स्वीकार करना होगा। 

दैत्य तो पूर्णतया मोहिनी के रूप पर आसक्त हो चुके थे। उन्हें उसकी हर बात मान्य थी। सभी दैत्य और देवता अमृत पीने के लिए आसान पर बैठ गए। 

भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप में सबसे पहले देवताओं को अमृत पिलाना आरंभ कर दिया। दैत्यों के संग मोहिनी प्यार भरी बातें कर रही थी जिससे सभी दैत्य भाव विभोर हो रहे थे। वह मोहिनी के पहले देवताओं को अमृत पिलाने पर कोई प्रश्न ना कर सके। 

भगवान विष्णु ने चुपचाप सारा अमृत देवताओं को पिलाने का निर्णय किया था। लेकिन दैत्यों में से राहू भगवान विष्णु की इस योजना को भांप गया। वह देवताओं का रूप धारण कर उनकी पंक्ति में बैठ गया और भगवान ने उसे अमृत पिला दिया। लेकिन उसी क्षण सूर्य और चंद्रमा ने भगवान विष्णु को सूचित कर दिया जिससे अमृत राहू के गले से उतरने से पहले ही भगवान ने उसका गला काट दिया। लेकिन अमृत राहू के गले तक पहुंच चुका था इसलिए ब्रह्मा जी ने उसके सिर को अमरत्व प्रदान किया। सभी देवताओं को अमृत पिलाने के पश्चात भगवान विष्णु अपने वास्तविक स्वरूप में आ गए। 

भगवान शिव और भगवान विष्णु के मोहिनी रूप की कहानी: जब भगवान शिव को भगवान विष्णु के मोहिनी रूप धारण कर अमृत वितरण करने की बात पता चली तो भगवान शिव माता पार्वती के संग भगवान विष्णु के पास पहुंचे। 

वह कहने लगे कि," प्रभु मुझे भी आपके उस रूप के दर्शन करने है जिस पर आसक्त होकर दैत्यों ने अमृत आपके हाथों में सौंप दिया और कुछ कर भी नहीं पाएं।"

भगवान विष्णु बोले- अगर दैत्य अमृत पी लेते तो अनर्थ हो जाता। चारों तरफ अधर्म का बोलबाला है जाता इसलिए मुझे यह मोहिनी अवतार धारण करना पड़ा।

भगवान शिव की इच्छा पूर्ति के लिए भगवान विष्णु वहां से आलोप हो गए। तभी भगवान शिव को एक सुंदर नवयुवती जोकि बहुत ही आकर्षक और मनमोहक थी वहां पर दिखाई दी। जिसे देखकर भगवान शिव जो कामदेव के शत्रु है वह उसके आकर्षक रूप पर मोहित हो गए।  जिस दिशा में वह युवती गई है भगवान उस दिशा में दौड़े। भगवान शिव को आते देखकर वह युवती छिप गई।

भगवान शिव ने उसे जैसे ही पकड़ना चाहा वह युवती वहां से भाग गई। भगवान शिव भी कामातुर होकर उसके पीछे दौड़े। कामातुर होने के कारण भगवान शिव का वीर्य स्खलित हो गया। ऐसा माना जाता है कि जहां-जहां पर वीर्य गिरा वहां पर सोने चांदी की खाने बन गई। तभी भगवान शिव को स्मरण हो आया कि मैं तो भगवान विष्णु की माया से मोहित हो गया हूं। भगवान शिव उसी स्थान पर ठहर गए तो भगवान विष्णु उसी समय अपने वास्तविक रूप में भगवान शिव के सामने प्रकट हो गए। 

भगवान शिव और मां पार्वती अपने धाम को चले गए। भगवान शिव मार्ग में मां पार्वती कि विष्णु की माया ने मुझे अपने मोह मैं फंसा लिया तो साधारण मनुष्य उनकी माया से छूट सकते हैं। 

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