काठगढ़ मंदिर में तीन दिवसीय महाशिवरात्रि पर्व मनाया जा रहा है।
Friday,17 February 2023 - Sunday, 19 February 2023काठगढ़ मंदिर देवभूमि हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के इंदोरा उपमंडल से 6 किमी. की दूरी पर है। प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि पर्व पर जहां तीन दिवसीय मेला आयोजित किया जाता है। शिवरात्रि पर्व पर हिमाचल प्रदेश के साथ साथ पंजाब, हरियाणा से भी भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
देवभूमि हिमाचल के कांगडा जिले मे भगवान शिव का एक रहस्मयी मंदिर है। यहां पर शिवलिंग दो भागों मे विभाजित है।गर्मियो मे यह स्वरुप दो भागों मे विभाजित हो जाता है और महाशिवरात्रि को एक रुप धारण कर लेता है। इस मंदिर में भक्तों को भगवान शिव और माता पार्वती का मिलन देखने का सौभाग्य मिलता है। इस मंदिर में विराजमान शिवलिंग देश का इकलौता ऐसा शिवलिंग है जो दो भागों में विभाजित है। छोटे भागों को मां पार्वती और बड़े भाग को शिव के रुप में पूजा जाता है।
काठगढ़ मंदिर की कथा
शिव पुराण के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी और विष्णु जी के बीच में सबसे श्रेष्ठ कौन है इस बात को लेकर युद्ध हो गया। दोनों देश जब दिव्य अस्त्र चलाने के लिए प्रयासरत थे जिससे सृष्टि के नष्ट होने का ख़तरा पैदा हो गया। उसी समय भगवान शिव महाअग्नि तुल्य स्तंभ के रुप में प्रकट हुए और दोनो के बीच युद्ध समाप्त हो गया।
दोनो उस स्तंभ के मूल को ढूंढने लग गए। भगवान विष्णु शुक्र के रुप में पाताल लोक चले गए और ब्रह्मा जी उस स्तंभ की चोटी की और चले गए। लेकिन दोनो ही उस के अंत को ना ढूंढ सके। परंन्तु ब्रह्मा जी अपनी श्रेष्टा सिद्ध करने के लिए एक केतकी का फूल ले आए कि यह मुझे चोटी से प्राप्त हुआ है। उसी समय भगवान शिव उस स्तंभ से प्रकट हुए। दोनो ने फिर अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी। भगवान शिव ने उन्हे कहा कि आप दोनो ही एक समान हो.। यही महाअग्नि तुल्य स्तंभ काठगढ़ के रुप मे प्रसिद्ध हुआ।
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