तुलसीदास जी के श्री राम भक्ति पर दोहे
तुलसीदास जी श्री राम के परम भक्त माने जाते हैं। उन्होंने श्री रामचरितमानस की थी। तुलसीदास जी के प्रसिद्ध दोहे
1.राम नाम मनीदीप धरु, जीह देहरीं द्वार।
तुलसी भीतर बाहेरहुँ, जौं चाहसि उजियार।
2. तुलसी मेरे राम को, रीझ भजो या खीज।
भौम पड़ा जामे सभी, उल्टा सीधा बीज॥
3.श्री रघुवीर प्रताप ते सिंधु तरे पाषान।
ते मतिमंद जे तजि भजहिं जाइ प्रभु आन।।
4. राम नाम अवलंब बिनु, परमारथ की आस।
बरषत् वारिद-बूंद गहि , चाहत चढ़न अकास।
5. नाम राम को अंक हैं सब साधन हैं सून।
अंक गएँ कछु हाथ नहिं अंक रहें दस गून॥
6.राम भरोसो राम बल राम नाम बिस्वास।
सुमिरत सुभ मंगल कुसल माँगत तुलसीदास॥
7 तुलसी भरोसे राम के, निर्भय हो के सोए।
अनहोनी होनी नही, होनी हो सो होए।
8. सकल सुगमंल दायक रघुनायक गुन गान।
सादर सुनहिं ते तरहिं भव सिंधु बिना जलजान।
9. नामु राम को कलपतरु कलि कल्यान निवासु।
जो सिमरत भयो भाँग ते तुलसी तुलसीदास।
10. सिय राम मय सब जग जानी।
करहु प्रणाम जोरी जुग पानी॥
तुलसीदास जी के प्रेरणादायक दोहे
1. मुखिआ मुखु सो चाहिऐ, खान पान कहुँ एक।
पालइ पोषइ सकल अँग तुलसी सहित बिबेक॥
2. काम क्रोध मद लोभ सब नाथ नरक के पंथ।
सब परहरी रघुबीरहि भजहु भजहिं जेहि संत।।
3. दया धर्म का मूल है,पाप मूल अभिमान।
तुलसी दया न छोड़िये,जब तक घट में प्राण।।
4. तुलसी मीठे बचन ते, सुख उपजत चहुँ ओर।
बसीकरन इक मंत्र है, परिहरू बचन कठोर ।।
5. सचिव बैद गुरु तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस।
राज धर्म तन तीनि कर होइ बेगिहीं नास।।
6. तुलसी साथी विपत्ति के, विद्या विनय विवेक।
साहस सुकृति सुसत्यव्रत राम भरोसे एक।।
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