SHIKSHAK KA JEEVAN MEIN MAHATVA IMPORTANCE OF TEACHER IN LIFE IN HINDI

SHIKSHAK KA JEEVAN MEIN MAHATVA IMPORTANCE OF TEACHER IN LIFE IN HINDI कोई भी शिक्षक कभी भी साधारण नहीं होता। प्रलय और निर्माण उसकी गोद में पलते हैं।

शिक्षक का हमारे जीवन में महत्व 

Important of teachers in life

 एक अच्छा टीचर हमेशा अपने विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करता है। अगर विद्यार्थी गलत रास्ते पर चले जाएं तो उन्हें सही रास्ते पर लाने में कोशिश करता है ,विद्यार्थी चाहे अपने आप को जितना भी स्मार्ट समझ ले एक शिक्षक उसकी अच्छाई बुराई को अच्छी तरह जानता है। एक अच्छे गुरु का अनुकरण करते हुए हम अपने जीवन की जटिल मुश्किलों को भी हल कर सकते हैं। शिक्षक एक दीपक की तरह है जो जीवन को प्रकाशित करता हैं।

  • शिक्षक हमें जो ज्ञान और शिक्षा प्रदान करते हैं, वह हमें जीवन में कामयाब होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। अलग-अलग शिक्षकों से हम विभिन्न विषयों को सीखते हैं। जो भी हम शिक्षकों से सीखते हैं उस का प्रभाव जीवन भर हमारे जीवन पर रहता है। 

  • शिक्षक अपने विद्यार्थियों को अकादमिक शिक्षा के साथ नैतिक मूल्यों की शिक्षा भी देते हैं। जिससे वह सही ग़लत की पहचान कर पाते हैं।

  •  शिक्षक विद्यार्थी को कठिन परिस्थितियों में कैसे काम करना है कहानियां किस्सों के माध्यम से बहुत सरलता से समझा देते हैं। जीवन में सही मार्ग पर चलना है उसके लिए प्रेरित करते हैं।

  • एक अच्छा शिक्षक अपने सबसे कमजोर विद्यार्थी के आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान बढ़ाने में मदद करता हैं। वह अपने शिष्य को अपनी क्षमताओं और योग्यताओं को पहचान कर उसको सदैव बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 

  • शिक्षक सदैव अपने शिष्यों को सफल होने के लिए प्रेरित करते हैं। टीचर्स हमेशा स्टूडेंट्स को उनके लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करने और कभी भी हार न मानने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। 

शिक्षक को हमें ईश्वर का दिया हुआ एक अमूल्य उपहार मानना चाहिए क्योंकि वें हमें जीवन में आगे बढ़ने के लिए आवश्यक ज्ञान, कौशल और आत्मविश्वास बढ़ाने में सहायक होते हैं। इसलिए हमें सदैव उनके आभारी होने चाहिए और उन्हें सदैव उनको सम्मान देना चाहिए।

भारतीय संस्कृति में शिक्षक को बहुत ही सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है।‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌हमारे शास्त्रों में गुरु को ब्रह्मा, विष्णु, महेश की संज्ञा दी गई है।  

गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। 
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥

भावार्थ: गुरु ब्रह्मा है, गुरु विष्णु है, गुरु महेश है; गुरु ही साक्षात् परब्रह्म है, ऐसे सद्गुरु को प्रणाम। 

किसी भी बच्चे का पहला शिक्षक उसके माता-पिता होते हैं। वह ही एक बालक को चलना फिरना,खाना पीना, और हर प्रकार का व्यवहारिक ज्ञान सिखाते हैं। माता को शास्त्रों मे सब गुरुओं में सर्वश्रेष्ठ गुरु माना गया है। 

नास्ति मातृसमो गुरुः।

भावार्थ- इस संसार में माँ के समान कोई गुरु नहीं है।

हमारे शास्त्रों में शिक्षक को गुरु की संज्ञा दी गई है। गुरु वह व्यक्ति है जो हमें अज्ञानता के अंधकार से निकाल कर ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाता है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में विभिन्न क्षेत्रों में कुछ भी सिखने के लिए अलग-अलग शिक्षकों की जरूरत होती है। जैसे शिक्षा प्राप्त करने लिए, गाडी चलाना सीखना के लिए अलग शिक्षक होता है, किसी म्यूजिकल यंत्र को चलाना सीखना, किसी खेल में परफेक्ट होना, पेंटिंग या फिर जिस भी चीज़ में दक्षता हासिल करने के लिए उसके अनुरूप उस शिक्षक से हम शिक्षा लेते हैं। हमारे शास्त्रों में तो जहां तक कहा गया है कि किसी से हम कुछ भी सीखते हैं वह गुरु समान है।

प्रेरकः सूचकश्वैव वाचको दर्शकस्तथा ।
शिक्षको बोधकश्चैव षडेते गुरवः स्मृताः ॥

भावार्थ : प्रेरणा देने वाले, सूचना देने वाले, सत्य बताने वाले, मार्ग दर्शन करने वाले, शिक्षा प्रदान करने वाले और ज्ञान का बोध कराने वाले – ये सब गुरु समान है ।

शिक्षक हमारे जीवन को एक दिशा प्रदान करते हैं। शिक्षक हमारे ज्ञान कौशल और आत्मविश्वास को बढ़ावा देते हैं। टीचर्स कच्ची मिट्टी के घड़े की तरह जिस रूप में चाहे अपने स्टूडेंट को ढाल सकते हैं। बच्चे जो स्कूल में अध्यापकों से सीखते हैं उसका प्रभाव जीवन भर उन पर रहता है।
आचार्य चाणक्य ने तो कहा है - 

कोई भी शिक्षक कभी भी साधारण नहीं होता। प्रलय और निर्माण उसकी गोद में पलते हैं।

John. Kemeny का मानना था-

"अगर कोई विद्यार्थी अपने टीचर से आगे निकल जाता है तो यह उसके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है।" 

 

शिक्षकों का हमारे जीवन में दिए गए अकल्पनीय योगदान के लिए भारत के साथ-साथ विश्व के अन्य देशों में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार गुरु को सम्मानित करने के लिए गुरु पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है। 

भारत में शिक्षक दिवस हर साल 5 सितंबर को मनाया जाता है। जबकि अंतरराष्ट्रीय शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर को मनाया जाता है। भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के मौके पर हर साल 5 सितंबर को टीचर्स डे के रूप में बनाया जाता है । वह भारत के राष्ट्रपति और पहले उपराष्ट्रपति थे। वह सारे विश्व को एक विद्यालय मानते थे। एक बार उनके कुछ विद्यार्थियों और दोस्तों  उनका जन्मदिन मनाना चाहते थे। तो उन्होंने कहा था कि अगर मेरा जन्मदि शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जाए तो मुझे ज्यादा अच्छा लगेगा।

शिक्षक दिवस के मौके है जब हम अपने शिक्षकों को उनके योगदान के लिए एक पत्र लिख सकते हैं, उन्हें एक उपहार दे सकते हैं, या उन्हें व्यक्तिगत रूप से धन्यवाद दे सकते हैं। शिक्षक विद्यार्थी से पद, उम्र और अनुभव में बहुत बड़े होते हैं इसलिए शिक्षकों का उचित मान-सम्मान करना चाहिए। 

शिक्षक दिवस शिक्षक को विद्यार्थियों के जीवन में दिए गए योगदान और उनको मान सम्मान देने के लिए मनाया जाता है।शिक्षक दिवस के दिन स्कूलों कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। छात्र शिक्षकों को सम्मानित करने के लिए ग्रिटिंग कार्ड, फूल और उपहार देते हैं। स्कूल कालेजों में उत्साह का माहौल होता है। स्टूडेंट उस दिन अपने शिक्षकों की मिमिक्री करते हैं। 

शिक्षक दिवस का उद्देश्य शिक्षकों के प्रति छात्रों के सहयोग को बढ़ावा देना और आने वाली पीढ़ी की जरूरतों के मध्य नज़र रखते हुए शिक्षा के महत्व के प्रति चेतना उत्पन्न करना है।  

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