ईश्वर के प्रति कृतज्ञता की नैतिक कहानी
GRATITUDE STORY IN HINDI WITH MORAL:एक बार एक बहुत बड़े राज्य का राजा था। राज कार्य संभालते हुए उसे बहुत सी मुसीबतों का सामना करना पड़ता था। उसे ऐसा लगता था कि जैसे ईश्वर ने सारी मुसीबतें उसे ही दे दी है। इसलिए वह हर मुसीबत के आने पर ईश्वर को कोई ना कोई उलाहना देते रहना उसका स्वभाव बन गया था। एक दिन वह किसी कारण से परेशान था इसलिए वह महल की छत पर टहल रहा था। तभी उसने एक भिखारी गाते हुए सुना कि ईश्वर तेरा शुक्रिया। राजा का माथा ठनक गया कि यह भिखारी हर रोज भीख मांग कर गुजारा करता है दिन भर में कितनी कठिनाईयों का सामना करता होगा फिर यह ईश्वर का शुक्रिया क्यों कर रहा है?
उसने सिपाहियों को भेजा कि इस भिखारी को बुलाकर लाओ। सिपाही उसे पकड़ कर राजा के पास ले गए।
राजा ने उससे पूछा कि," तुम भिक्षा मांगकर गुजारा करते हो फिर तुम ईश्वर का शुक्रिया अदा क्यों कर रहे हो? भिखारी बहुत शांत भाव से बोला - महाराज! भिक्षा मांगकर खाना मेरा कर्म है इसमें मुझे कोई परेशानी नहीं है और रही बात ईश्वर का शुक्रिया करने की वह मैं इसलिए करता हूं कि ईश्वर ने मुझे स्वस्थ शरीर दिया है। मंदिर के बाहर बैठने वाले अपाहिज की तरह नहीं बनाया।
महाराज आप मेरे ईश्वर का शुक्रिया अदा करने पर हैरत कर रहे हैं लेकिन मैं आपको बता दूं कि मंदिर के बाहर जो अपाहिज बैठता है वह भी हर रोज़ ईश्वर का धन्यवाद करता है। राजा ने पूछा - वह किस लिए?
भिखारी बोला - यह तो आपको उससे ही पूछना पड़ेगा। राजा ने सिपाहियों को उसे लाने के लिए कहा। वह बोला कि महाराज मैं ईश्वर का शुक्रिया इसलिए करता हूं कि शुक्र है उसने मुझे अपाहिज ही बनाया है मंदिर के पास घूमने वाले मानसिक रोगी नहीं बनाया। जिसे ना दिन का पता है ना रात का।
उस दिन राजा को दोनों से बहुत बड़ी सीख मिली कि वह दोनों इतने अभाव में भी अपने जीवन से संतुष्ट होकर ईश्वर का धन्यवाद कर रहे थे। उसके उल्टा राजा हजारों सुख सुविधाओं के बावजूद भी बजाय ईश्वर का धन्यवाद करने के उन्हें उलाहना ही देता रहता है।
हमारे साथ भी ऐसा ही होता है कि ईश्वर ने जो हमें सहज ही प्रदान किया है उसके लिए हम उसका शुक्रिया अदा करना भूल जाते हैं। राजा को समझ आ चुका था कि शुक्रिया अदा करने में कितनी ताकत है। क्योंकि इससे हमारी जीवन के प्रति दृष्टिकोण बदल जाता है और हम नकारात्मकता में भी सकारात्मकता ढूंढ लेते हैं। जीवन में सफल होने के लिए यह बहुत आवश्यक है।
Moral- इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि ईश्वर के आभार व्यक्त करने से हमारे भीतर सकारात्मकता बढ़ती है।
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