पंचतंत्र की कौवे और सांप की कहानी
Panchtantra Story in hindi: एक बार एक जंगल में एक बड़े से वृक्ष पर एक कौवा-कौवी रहते थे। उसी पेड़ की खोखर में एक काला सांप भी रहता था। एक बार कौवी ने अंडे दिए तो कुछ दिन बाद सांप उनके अंडे खा गया। कुछ समय कौवा और कौवी घोंसले में नहीं थे। इसलिए उन्हें पता नहीं चला कि, उनके अंडे कौन खा गया है?
कुछ समय पश्चात कौवी ने पुनः अंडे दिए। इस बार उन्होंने सांप को अंडे खाते हुए देख लिया। जिस बात का दोनों को बहुत दुःख हुआ। लेकिन सांप जैसे शक्तिशाली शत्रु से दोनों मुकाबला नहीं कर सकते थे। इसलिए कौवी कौवे से कहने लगी कि," हमें यह पेड़ छोड़कर कहीं और चले जाना चाहिए।
कौवे ने अपनी मित्र लोमड़ी को सारी व्यथा सुनाई और उसे बताया कि कौवी उसे इस पेड़ को छोड़कर कहीं ओर जाने के लिए कह रही है। क्योंकि हमारा शत्रु ज्यादा शक्तिशाली है? हम उसका मुकाबला नहीं कर सकते।
लोमड़ी बोली कि- जब आपका शत्रु आपसे ज्यादा शक्तिशाली हो तो बल से नहीं बल्कि बुद्धि से जीतना उचित है। मैं तुम्हें एक उपाय बताती हूं जिससे तुम इस शक्तिशाली शत्रु से भी विजय प्राप्त कर लोगे और तुम्हें पेड़ छोड़कर भी नहीं जाना पड़ेगा। याद रखो कि बलशाली शत्रु को भी बुद्धि से समाप्त किया जा सकता है।
कौवे ने उत्सुकता से उपाय पूछा।
लोमड़ी ने उसे उपाय बता दिया। अगले दिन जब नगर के राजा की राजकुमारी स्नान के लिए सरोवर में गई तो कौआ उसका स्वर्णहार चोंच में दबाकर उड़ गया। लोमड़ी ने उसे पहले ही सलाह दी थी कि हार तब उठाना जब पहरेदार तुमको देख रहे हैं। जब पहरेदार तुम्हारा पीछा करें तो हार जाकर सीधा सांप की खोखर में गिरा देना।
कौवे ने वैसा ही किया। जैसे ही पहरेदार उसके पीछे दौड़े कौवे ने हार सांप की खोखर में गिरा दिया। स्वयं पेड़ की डाल पर बैठकर सारा तमाशा देखने लगा। जैसे ही पहरेदार राजकुमारी का हार खोखर से निकालने लगे सांप फूंकारने लगा। पहरेदारों को हर कीमत पर राजकुमारी का हार चाहिए था। इसलिए उन्होंने सांप को मार कर हार खोखर से निकाल लिया। इस तरह बुद्धिमानी से कौवे का शत्रु भी मर गया और उसे पेड़ छोड़कर भी कहीं जाना नहीं पड़ा।
Moral - इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि जब शत्रु हमसे बलवान हो तो उसे हम बुद्धिमता के दम पर परास्त कर सकते हैं।
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