विद्यार्थियों के लिए प्रेरणादायक नैतिक कहानियां
Inspirational moral stories for students में विद्यार्थियों के लिए प्रेरणादायक कहानियां दी गई है जो उनके सोचने और समझने का नजरिया बदल देगी। वें इन कहानियों में दिये गए तर्क से समझ सकते हैं कि जीवन में सफल होने के लिए हमें अपनी तुलना किसी से नहीं करनी चाहिए क्योंकि ईश्वर ने आपको सर्वश्रेष्ठ बनाया है। दूसरों के बारे में बिना उनका दृष्टिकोण जाने कोई भी धारणा नहीं बनानी चाहिए। किसी भी प्रथा को बिना उसकी सच्चाई जाने blindly follow नहीं करना चाहिए क्योंकि समय के साथ परिस्थितियां बदल सकती है।
अपनी तुलना किसी से मत करना
Motivational story in hindi for students:एक बार एक जंगल में एक कौवा रहता था। वह अपने जीवन से संतुष्ट था जब तक उसने हंस को नहीं देखा था। लेकिन जब उसने हंस को देखा तो उसके मन में विचार आया कि आज तक मैंने जितने भी जीवों को देखा है। यह उन सब में से सबसे ज्यादा सुंदर दिखने वाला प्राणी है। यह कितना सुंदर और सफेद है? इतनी सुंदरता पाकर यह सदैव प्रसन्न रहता होगा।
कौवा हंस के समीप गया और उसकी प्रशंसा करने लगा। कौवा बोला कि," ईश्वर से इतनी सुन्दरता पाकर आप सदा प्रसन्न रहते होंगे।"
हंस कहने लगा कि," पहले मुझे अपने सफेद रंग पर बहुत अभिमान था। लेकिन जिस दिन से मैंने तोते को देखा तो मुझे लगा कि पृथ्वी पर सबसे सुंदर जीव तोता है। मुझे तो ईश्वर ने केवल एक रंग सफेद का बनाया है । लेकिन तोते के शरीर के दो रंग उसकी सुंदरता को बढ़ाते है। उसके गले का घेरा लाल रंग का है और उसका शरीर हरे रंग का है। वह मुझे देखने में अपने से ज्यादा आकर्षक और खूबसूरत लगता है।"
यह सुनकर कौवा को तोते को देखने की इच्छा हुई। कौवा तोते के पास गया। उसे देखकर कौवा कहने लगा कि," तुम कितनी सुंदर हो दो रंग पाकर तुम बहुत प्रसन्न रहते होगे। तोता कहने लगा कि," पहले तो मैं इस बात से बहुत खुश रहता था। परंतु जब से मैंने मोर को देखा है तब से मुझे अपनी सुंदरता फिकी लगती है। क्योंकि उसके शरीर पर ईश्वर ने बहुत से रंग दिए हैं?"
यह जानकर कौवे की उत्सुकता बढ़ी और वह मोर को ढूंढने निकल पड़ा। जंगल में उसे कहीं भी उसे मोर नहीं मिला। मोर को ढूंढते-ढूंढते वह चिड़ियाघर में पहुंच गया। वहां लोग मोर को देखने के लिए पिंजरे के बाहर खड़े थे। यह देखकर कौवे के मन में विचार आया कि यह प्राणी ही दुनिया का सबसे खुश प्राणी होगा। क्योंकि एक तो इसके शरीर पर रंग-बिरंगे पंख है और दूसरे लोगों की भीड़ इस देखने के लिए उमड़ रही है।
कौवे ने मोर से पूछा कि," भाई तुमको तो ईश्वर ने रंग-बिरंगे पंख दिए हैं, इतना सुंदर बनाया है। इतने लोग तुम्हारे आसपास घूम रहे हैं। तुम मुझे दुनिया के सबसे खुश प्राणी लग रहे हो।"
मोर कहने लगा कि,"मेरी सुंदरता के कारण मुझे कैद करके पिंजरे में बंद करके रखा है। मैं अपनी इच्छा से कहीं घूमने नहीं जा सकता। बिना आजादी के इस सुंदरता का क्या महत्व?लेकिन तुम कहीं भी आ जा सकते हो घूम फिर सकते हो। मेरी दृष्टि में सबसे खुशनसीब प्राणी है।"
मोर की बात सुनकर अब कौवे को समझ आ चुका था कि ईश्वर ने मुझे जैसा बनाया है। मुझे उसमें ही संतुष्ट रहना चाहिए। अपनी खुशी और गुण की तुलना किसी अन्य से नहीं करनी चाहिए। क्योंकि जिस आजादी की उसकी दृष्टि में कोई अहमियत ही नहीं थी। वही आजादी मोर के लिए दुश्वार थी। मोर की खूबसूरती उसकी परेशानी का सबब थी। इसलिए ईश्वर ने हमें जो दिया है उसके महत्त्व को समझना चाहिए।
Moral - इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें अपनी तुलना किसी से नहीं करनी चाहिए हर किसी की परिस्थिति और माहौल दूसरे से भिन्न होता है।
अभ्यास का जीवन में महत्व
inspirational stories in hindi for students:बोपदेव एक महान कवि, विद्वान और कथाकार थे। उन्होंने मुग्ध बोध नामक संस्कृत ग्रंथ की रचना की। लेकिन बचपन में उन्हें जड़ बुद्धि, मुर्ख कहा जाता था। लेकिन परिश्रम और निरंतर अभ्यास करने के उनके सुत्र ने उन्हें संस्कृत का महान विद्वान बना दिया।
बोपदेव संस्कृत के महान विद्वान माने जाते हैं। लेकिन वह जब वह बचपन में संस्कृत व्याकरण सिखने के लिए अपने गुरु के पास गए तो उन्हें गुरु जी का समझाया कुछ भी समझ में नहीं आता था। गुरु देव बहुत प्रयास करते लेकिन कोई भी लाभ नहीं होता।
अब तो उनके सहपाठी भी उनका मजाक उड़ाया करते कि यह तो बरद राज है अर्थात बैलों का राजा है। उन्हें और गुरु दोनों को लगने लगा कि पढ़ाई लिखाई उनके बस की बात नहीं है।
एक दिन वह दौड़कर अपने घर कि ओर जा रहे थे तो उनको बहुत प्यास लगी। रास्ते में एक कुआं दिखाई दिया जहां पर स्त्रियां पानी भर रही थी। जब बोपदेव कुएं पर पानी पीने लगे तो उनकी दृष्टि कि जहां पर घड़ा रखा जाता है,, वहां पर पड़ी। उस स्थान पर एक गड्ढा बन गया था। कुएं की दीवारों पर भी बार- बार रस्सी की रगड़ से निशान बन गए थे।
यह देखकर बोपदेव सोचने लगे कि," क्या मेरी बुद्धि इस पत्थर से भी कड़ी है?" अगर एक पत्थर पर बार-बार रगड़ से निशान पड़ सकते हैं तो मैं भी बार- बार अभ्यास से संस्कृत व्याकरण जैसे कठिन विषय को भेद ही सकता हूं। अपने मन में दृढ़ निश्चय करके बोपदेव अपने गुरु के पास लौट गए। अब उनकी बुद्धि चैतन्य हो गई थी। इसलिए कहा जाता है-
रसरी आवत जात ते सिल पर पड़त निशान।
समय के साथ उन्होंने 26 ग्रंथों की रचना की। मुग्धबोध, परमहंस प्रिया, हरि लीला आदि उनके प्रसिद्ध ग्रंथ है। इसलिए कहा जाता है कि लगातार अभ्यास व्यक्ति को सफलता की ओर अग्रसर करता है।
किसी के बारे में बिना सच्चाई जाने कोई धारणा ना बनाएं
motivational story for students in hindi:कई बार हम किसी के बारे में बहुत जल्दी धारणा बना लेते हैं कि वह व्यक्ति बहुत अच्छा है या बुरा है। बिना उसकी जिंदगी के सभी पहलुओं को जाने, कि वह कौन से दौर से गुजर रहा है।उसने फैसला कौन से हालात में लिया है। इस लिए हमारा दृष्टिकोण उसके दृष्टिकोण से अलग हो सकता है। इस तर्क को सार्थक करती एक कहानी
एक बार एक गुरु अपने शिष्यों को कहानी सुना रहे थे कि एक बार एक पति- पत्नी समुंद्री जहाज से कहीं जा रहे थे। रास्ते में जहाज के कैप्टन ने सूचना दी कि जहाज में बहुत बड़ा छेद हो गया है इसलिए जहाज डूबने वाला है ।
पति को तैरना आता था।पत्नी को तैरना नहीं आता था। पति जहाज डूबने से पहले पत्नी को अलविदा कहकर तैरकर किनारे पर आ गया। पत्नी ने आखिरी समय में पति को कुछ कहा।
गुरुजी सभी शिष्यों से पूछते हैं ,"पत्नी ने आखिरी समय में पति से क्या कहा होगा" सभी एक साथ बोलते हैं 'धोखेबाज'। उन में से एक शिष्य चुप रहा। गुरुजी ने पूछा, "तुमने कुछ क्यों नहीं बोला ? क्या तुम कुछ कहना चाहते हो? शिष्य ने कहा, "पत्नी ने मरने से पहले अपने पति से कहा होगा कि मेरे बच्चों का ध्यान रखना । मेरी मां ने भी मरते समय मेरे पिता को यही कहा था। गुरुजी ने कहा हां उसकी पत्नी ने यही कहा था। लेकिन क्या वह पति सच में धोखे बाज था?
उस आदमी की एक प्यारी सी बेटी थी। उसने वापस आ कर अपनी बेटी को अच्छे से पढ़ाया- लिखाया और उसकी अच्छे घर में शादी कर दी। उसके बेटी के मन में भी हमेशा यही बात खटकती थी कि उसके पिता ने उसकी मां को मरने के लिए अकेले क्यों छोड़ दिया? खुद अकेले तैर कर बाहर क्यों आ गए? उसके मन में भी यह शंका थी कि उसके पिता ने उसकी माँ को धोखा दिया है।
पिता के मरने के बाद उसकी बेटी को एक डायरी मिली। उसमें घटना का भी वर्णन था, जिसमें उसकी मां मरी थी। उसके पिता ने लिखा था कि, जब जहाज डूब रहा था तो उसका अपनी पत्नी को छोड़कर आने का मन नहीं था। लेकिन उसे अपनी प्यारी बेटी का ध्यान आया कि उसका हम दोनों के बिना कोई नहीं होगा । उस दिन तो भगवान की दया से वह अपने स्कूल के साथ घूमने गई थी।
मेरी पत्नी यह चाहती थी कि उसकी बेटी की अच्छे से परवरिश हो। इसलिए मुझे अपनी बेटी को पालने के लिए अपनी पत्नी को छोड़कर आना पड़ा क्योंकि यह फैसला हम दोनों पति-पत्नी का था।
मैं उससे बहुत प्यार करता था इसलिए मैंने कभी दूसरी शादी भी नहीं की। यह डायरी पढ़कर उसकी बेटी का अपने पिता के प्रति दृष्टिकोण बदल गया कि मेरे पिता ने मेरी माँ को धोखा नहीं दिया।
हमारी जिंदगी में भी कई बार ऐसा होता है कि हम किसी के बारे में एक पहलू को जानकर उसके बारे में अच्छी या बुरी राय बना लेते हैं। लेकिन कई बार सच्चाई कुछ और ही होती है।जो हम जानते नहीं होते।
Moral - हमें बिना पूरी सच्चाई जाने किसी के बारे में धारणा नहीं बनानी चाहिए।
किसी प्रथा को मानने से पहले उसकी सच्चाई जाने
मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी फॉर स्टूडेंट्स: एक बार बंदरों की टोली पर एक एक्सपेरिमेंट किया गया। सभी बंदरों को एक बड़े से पिंजरे में कैद कर दिया गया और पिंजरे के ऊपर केलों के गुच्छे बांध दिये गए। जैसे ही कोई बंदर केले पकड़ने के लिए ऊपर चढ़ता तो उस बंदर के साथ सभी बंदरों पर ठंडा पानी डाला जाता।
लगभग सभी बंदरों ने चढ़ने की कोशिश की लेकिन हर बार सभी बंदरों पर ठंडा पानी डाला गया। अब कोई भी बंदर चढ़ने की कोशिश करता तो बाकी बंदर मिल कर उसकी पिटाई कर देते।
अब एक एक कर अंदर पिंजरे के बंदरों को बाहर निकाला गया और नए बंदरों को पिंजरे में डाला गया।
जैसे ही नया आया बंदर केले खाने ऊपर चढ़ता बाकी के सारे बंदर उसकी पिटाई कर देते उसे समझ नहीं आता कि मुझे मारा क्यों गया। क्योंकि उसे तो पता ही नहीं था कि केले खाने के लिए ऊपर जाने वाले पर ठंडा पानी डाला जाता है।
अब एक - एक कर सभी बंदर पिंजरे के अन्दर नए थे। कोई भी सच्चाई नहीं जानता था कि ऊपर चढ़ने पर बाकी बंदर दूसरों पिटाई क्यों करते थे? लेकिन फिर भी सभी बंदर ऊपर चढ़ने वाले बंदर को पीट देते थे। अब ना पिटने वाले को कारण पता था और ना मार खाने वाले को पता था कि उसकी पिटाई हो क्यों रही है?
लेकिन हो सकता है कि अब इन बंदरों पर पानी डाला ही ना जाता और वह आसानी से केले खाने में सफल हो सकते थे।
हमारे साथ भी ऐसा ही होता है हम दूसरों की देखा-देखी कर रीति रिवाज अपना लेते हैं जबकि हमें उनके पीछे के तथ्य पता ही नहीं होते। इसी तरह हमारे आसपास अगर कोई किसी क्षेत्र में असफल हो जाता है तो पीढ़ी दर पीढ़ी यह धारणा बन जाती है कि इस क्षेत्र में तो सफल होना नामुमकिन है। इसलिए माता पिता अपने बच्चों की रूचि होने के बावजूद भी उस क्षेत्र में जाने नहीं देते।
Moral - हमें बिना पूरी सच्चाई जाने भेंड़चाल में नहीं फंसना चाहिए। क्योंकि की हम नहीं जानते कि किन परिस्थितियों के कारण हम से पहले किसी को सफलता नहीं मिली अब वो परिस्थितियां ही बदल चुकी हो और आप अपने परिश्रम से सफलता के मुकाम तक पहुंच जाएं।
Inspirational moral stories for students में दी गई कहानियों से विद्यार्थियों को जीवन में आगे बढ़ने के लिए भरपूर प्रेरणा मिली होगी। कहानियां हमारे आसपास के माहौल में क्या और कैसे चीजें काम करती है। वह समझाने में सार्थक भूमिका निभाती है। कहानियां हमारे समाज का आइना होती है जो हमें उसकी अच्छाई बुराई से रूबरू करवाती है। आशा है कि यह कहानियां आपको जरूर पसंद आई होगी।
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