सकारात्मक सोच की शक्ति की प्रेरणादायक कहानियां
जीवन में सकारात्मक सोच हमें आगे बढ़ने में सदैव सहायक रहती है। सकारात्मक सोच हो तो व्यक्ति हर मुश्किल में कोई ना कोई संभव संभावना निकाल ही लेता है। सकारात्मक सोच वाले व्यक्ति मानसिक रूप से सुदृढ़ होते हैं। वह हर परिस्थिति में सम भाव रह कर उसमें सकारात्मकता ढूंढ ही निकालते हैं। सकारात्मक सोच हमें आशावादी बनाती है।
सकारात्मक सोच की शक्ति की प्रेरणादायक कहानियां जो जीवन में हर परिस्थिति में सकारात्मक दृष्टिकोण रखने को प्रेरित करती है ।
Short story on positive thinking in hindi:एक बार एक राजा के तीन पुत्र थे। राजा यह जानना चाहता था कि उसका कौन सा पुत्र अधिक बुद्धिमान हैं। मुश्किल हालातों में कौन सबसे अधिक सकारात्मक सोच अपनाता है। राजा ने तीनों पुत्रों को एक - एक सिक्का देकर कहा कि," इस सिक्के से कुछ ऐसा खरीदों जिससे तुम्हारे कक्ष का कोना - कोना भर जाए। रात को मैं तुम तीनों के कमरों का निरिक्षण करूंगा।"
बड़े राजकुमार को लगता था कि एक रूपए से ऐसा कुछ नहीं खरीदा जा सकता जिससे कमरे का कोना- कोना भर जाएं। इसलिए वह कुछ भी खरीद नहीं पाया। दूसरे राजकुमार ने थोड़ी बुद्धि लगाई और बाजार से भंगार खरीद कर अपने कमरे के चारों कोनों में फैला दिया।
सबसे छोटा राजकुमार सकारात्मक सोच वाला था। वह सोचने लगा कि," मेरे पिता एक इतने बड़े राज्य के राजा हैं। अगर उन्होंने अगर एक सिक्का दिया है ऐसी चीज खरीदने को जिससे कमरे का कोना-कोना भर जाएं तो जरूर कुछ ना कुछ तो ऐसा वास्तविकता में होगा।"
अपने पिता की बात को ध्यान से समझकर वह बाज़ार से दिये खरीद कर लाया। उसने कमरे के सभी कोनों पर रखे थे जिससे उसके कक्ष का कोना- कोना रोशनी से भर गया। राजा ने रात्रि को तीनों पुत्रों के कक्षों का निरिक्षण किया।
राजा ने तीनों पुत्रों को पास बुलाया। राजा ने कहा कि जब मैंने सिक्का खर्च करने को कहा था तो मैंने उससे क्या खरीद सकते हैं उसका संकेत भी साथ ही दे दिया था। मैंने कहा था कि," मैं रात्रि में तुम्हारे कक्ष में आऊंगा। तुम्हारे कक्ष का कोना - कोना भरा होना चाहिए।"
लेकिन तुम दोनों ने उस और ध्यान नहीं दिया बल्कि तुम दोनों की सोच नकारात्मक थी कि इससे ऐसा कुछ नहीं खरीदा जा सकता। तुम्हारे छोटे भाई की सोच सकारात्मक थी। उसने समाधान पर ध्यान दिया। उसने बाजार से दिये खरीदे और अपने कक्ष का कोना-कोना रोशनी से भर दिया।
शिक्षा - जब हम नकारात्मक सोच रहे होते हैं तो हम समस्या के आने पर समस्या को इतनी बड़ी मान लेते हैं कि समाधान पर ज्यादा ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते।
महात्मा बुद्ध की प्रेरणादाई कहानी जब कोई आपकी निंदा करें तो सकारात्मक कैसे रहें
short story on positive thinking in hindi:एक बार महात्मा बुद्ध एक गांव में प्रवचन करने के लिए पहुंचे। वहां कुछ लोग महात्मा बुद्ध को गालियां देने लगे। महात्मा बुद्ध शांत भाव से उनकी गालियां को सुनते रहे।
महात्मा बुद्ध से कुछ लोगों ने पूछा कि," हमारी बातों का आप पर कोई प्रभाव क्यों नहीं दिख रहा?" महात्मा बुद्ध ने कहा," तुम लोगों ने मुझे गालियां दी, दुर्व्यवहार किया मैंने जब तुम्हारी गलियों को स्वीकार ही नहीं किया।"
इसलिए गालियां तुम्हारे पास ही रही। जो चीज मैंने ली ही नहीं उसके लिए खुश होने या दुःखी होने का कारण ही नहीं बनता है। उन लोगों को महात्मा बुद्ध की बात समझ में नहीं आई।
महात्मा बुद्ध ने उदाहरण देते हुए समझाया कि मानो मुझे किसी ने उपहार दिया और वह मैंने स्वीकार ही नहीं किया तो वह उपहार किसके पास रह जाएगा। सब लोग कहने लगे कि," जिसने उपहार दिया है उसी के पास रह जाएगा।"
इस पर महात्मा बुध कहने लगे कि," अगर मैंने गालियां स्वीकार ही नहीं की तो वह तुम्हारे पास ही रह जाएंगी।" महात्मा बुद्ध की यह कहानी हमें किसी के हमारे बारे में बुरा भला कहने पर भी सकारात्मक सोचने की प्रेरणा देती है।
शिक्षा - महात्मा बुद्ध की यह कहानी हमें सिखाती है कि अगर जीवन में आपके आसपास कोई आपकी निंदा करता है तो भी अपना कार्य ईमानदारी से करते रहे। उनकी नकारात्मक सोच को स्वयं पर प्रभावित मत होने दे।
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जीवन के प्रति दृष्टिकोण बदलो
Short story 0n positive thinking in hindi:एएक बार एक लड़का जंगल में रास्ता भटक गया। जंगल में उसकी नज़र एक लाचार लोमड़ी पर पड़ी जो चलने-फिरने में असमर्थ थी। वह सोचने लगाकि इस लाचार लोमड़ी के खाने पीने का इंतजार कैसे होता होगा? तभी उसे एक शेर आता दिखाई दिया। उसे लगा कि यह शेर लोमड़ी को खा जाएगा। लेकिन शेर ने अपने मुंह में किसी जानवर का मांस दबाकर रखा था। वह मांस लोमड़ी के आगे डाल कर चला गया। वह लड़का सोचने लगा कि भगवान बड़ा दयालु है जो उसने इस लाचार लोमड़ी के भोजन का प्रबंध भी करवा रखा है।
घर आकर उसने निश्चय किया कि जैसे उस लोमड़ी के भोजन का प्रबंध ईश्वर ने कर दिया वैसे ही वह मेरे भोजन का भी प्रबंध करें। इसी ज़िद्द में वह बहुत दिनों तक भूखा रहा। जब उसके गुरु को उसकी इस हरकत का पता चला तो वह उसके घर पहुंचे। उसने सारी बात गुरु को बताई और कहा कि ईश्वर उस लोमड़ी के लिए तो दयालु था फिर मेरे लिए क्रुर क्यों हो गया? उन्होंने मुझे ऐसा दृश्य दिखाया ही क्यों दिखाया?
उसके प्रश्न सुनकर गुरु मुस्कुराते हुए बोले कि बेटा तुम ईश्वर का इशारा नहीं समझे। ईश्वर तुम्हें उस लाचार लोमड़ी की तरह नहीं बल्कि उस बहादुर शेर की तरह बनने की प्रेरणा दी थी। ईश्वर चाहते थे कि यह दृश्य देखकर तुम उस शेर की तरह बनो जो बहादुर भी हो और उसके मन में दूसरों के प्रति मदद की भावना भी हो। गलती ईश्वर की नहीं तुम्हारे दृष्टिकोण की है।
तुमने लोमड़ी की लाचारी में ईश्वर का उस तक भोजन पहुंचाना तो देख लिया। लेकिन तुमने उस दृष्टिकोण को नज़रंदाज़ कर दिया कि उस तक भोजन कैसे पहुंचा। इसलिए ईश्वर के इशारे को समझो ,उठो और भोजन करो। स्वयं को लोमड़ी की तरह लाचार नहीं बल्कि शेर की तरह बहादुर, आत्मनिर्भर बनाओ ताकि समय पड़ने पर दूसरों की मदद कर सको। गुरु के समझाने पर उस लड़के का जीवन के प्रति दृष्टिकोण बदल गया। हमारे साथ भी ऐसा होता है जब हमारे आसपास कई बार परिस्थितियां ऐसी ही जाती है जब हम ईश्वर द्वारा दिखाएं हुए सकारात्मक पहलू को ना देखकर केवल नकारात्मकता पर ही अपना ध्यान केंद्रित कर देते हैं।
शिक्षा - नकारात्मक परिस्थितियों में ही उनके सकारात्मक हल छुपे होते हैं।
जब कोई कहे तुम से नहीं होगा
Short story 0n positive thinking in hindi:एक बार एक पक्षी के बच्चों को समुद्र ने पानी में डुबो दिया। पक्षी चोंच में पानी भरता और उसे बाहर फेंक आता कुछ पक्षियों ने कहा कि," इससे समुद्र नहीं सुखेगा।"
पक्षी ने कहा कि," मुझे तुम्हारी सलाह नहीं चाहिए। अगर मदद कर सकते हो तो ठीक है जहां रूको। अगर नहीं कर सकते हो अपना नकारात्मक ज्ञान मुझे मत दो। पक्षी के आत्मविश्वास को देखकर सभी पक्षी उसकी मदद करने लगे। अब बहुत से पक्षी उसकी मदद करने लगे।
जब भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ जी को बात पता चली तो वह भी पक्षियों की मदद के लिए जाने लगे। भगवान विष्णु ने कहा कि,"तुम पक्षियों से समुद्र नहीं सुखेगा।"
गरुड़ जी ने भी विष्णु भगवान से कहा कि ,"प्रभु सलाह नहीं चाहिए मदद चाहिए।" इतना सुनते ही भगवान विष्णु गरुड़ के साथ आ गए। भगवान विष्णु को उनके साथ देख कर समुद्र डर गया और उसने पक्षी के बच्चों को वापिस कर दिया। उस पक्षी की कोशिश रंग लाई और उसे उसके बच्चे वापिस मिल गए
अगर उस पक्षी ने नकारात्मक सोच कर स्वयं ही हार मान ली होती कि मैं इतना छोटा सा पक्षी क्या कर सकता हूँ तो क्या कोई उसकी मदद के लिए आगे आता।
शिक्षा - इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि अगर आप सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ते हैं तो आपके दृढ़ संकल्प को देखकर ईश्वर में आपका साथ जरूर देते हैं।
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