SANSKRIT SHLOK ON WOMEN WITH MEANING SANSKRIT TO HINDI

SANSKRIT SHLOK ON WOMEN WITH MEANING नारी के सम्मान में श्लोक नारी शक्ति पर संस्कृत श्लोक Womens day quotes in Sanskrit Nari mahila per Sanskrit quotes shlok with meaning in hindi

नारी के सम्मान में संस्कृत श्लोक हिन्दी अर्थ सहित 

 नारी के बिना समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती।महिलाओं का समाज और किसी भी पुरुष के जीवन में महत्वपूर्ण योगदान होता है। फिर वो मां के रूप में उनके जीवन की सम्पूर्ण ग्रोथ में महत्वपूर्ण योगदान हो या फिर दादी के रूप में उनकी भूमिका, पग पग पर मिलने वाला बहन का साथ या फिर लाइफ पार्टनर के रूप में सम्पूर्ण समर्पण हर क्षेत्र में महिलाओं का योगदान अकल्पनीय है। 

हमारे वेदों शास्त्रों में मां को ईश्वर से भी बढ़कर संज्ञा दी गई है। पुत्री के लिए तो यहां तक कहा गया है कि दस पुत्रों के पालन-पोषण में जो पुण्य फल प्राप्त होता है वह एक पुत्री के पालन-पोषण से ही प्राप्त हो जाता है। महिलाओं की समाज में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक समानता के लिए हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। इस आर्टिकल में पढ़ें नारी शक्ति पर संस्कृत श्लोक हिन्दी अर्थ सहित 

SANSKRIT SHLOK ON WOMEN(NARI)

पूजनीया महाभागाः पुण्याश्च गृहदीप्तयः।
स्त्रियः श्रियो गृहस्योक्ताः तस्माद्रक्ष्या विशेषतः॥ 

भावार्थ-  स्त्री को घर की लक्ष्मी, परम भाग्यशालिनी, पुण्यमयी और घर को शोभायमान करने वाली माना गया है। इसलिए इनकी विशेष रक्षा करनी चाहिए अर्थात स्त्री विशेष रूप से पुजनीय और रक्षणीय है। 

 न स्त्रीरत्नसमं रत्नम ।

भावार्थ- स्त्री रत्न के समान और कोई रत्न नहीं है।

नारी राष्ट्रस्य अक्शि अस्ति।

 भावार्थ-  नारी देश की आंख होती हैं।

दशपुत्रसमा कन्या दशपुत्रान्प्रवर्धयन्।
यत्फलं लभते मर्त्यस्तल्लभ्यं कन्ययैकया ॥

भावार्थ - अकेली पुत्री ही दस पुत्रों के समान है। दस पुत्रों के पालन-पोषण से जो पुण्य फल प्राप्त होता है यह अकेले एक कन्या के पालन-पोषण से ही प्राप्त हो जाता है। 

नार्यस्तु राष्ट्रस्य श्वः। 

भावार्थ- नारी राष्ट्र का भविष्य है। 

नारीशक्ति शक्तिशाली समाजस्य निर्माणं करोति।

भावार्थ- नारी सशक्तिकरण ही समाज को शक्तिशाली बना सकता । 

नारी अस्य समाजस्य कुशलवास्तुकारा अस्ति। 

भावार्थ-  नारी समाज की कुशल शिल्पकार है। 

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफला क्रियाः 

भावार्थ- जिस स्थान पर स्त्रियों का सम्मान होता है, वहाँ देवता निवास करते हैं लेकिन जहाँ स्त्रियों का सम्मान नही होता, अपितु तिरस्कार होता है  वहाँ किए गए समस्त अच्छे कर्म भी निष्फल हो जाते हैं ।

तस्मादेताः सदा पूज्या भूषणाच्छादनाशनैः। 
भूतिकामैर्नरैर्नित्यं सत्कारेषुत्सवेषु च।। 

भावार्थ- इसलिए ऐश्वर्य और प्रगति चाहने वाले मनुष्यों को चाहिए कि वें शुभ अवसरों और शुभ उत्सवों पर परिवार की स्त्रियों को आभूषण, वस्त्र तथा सुस्वादु भोजन आदि देकर उचित सत्कार व्यक्त करें । 

​​​​​​प्रशस्ता धार्मिकी विदुषी माता विद्यते यस्य समा तृमान ।

 भावार्थ - वह मां बहुत महान है जो अपने बच्चे को अपने गर्भधान से लेकर उसकी शिक्षा पूर्ण होने तक उसके उचित आचरण का पूर्ण ध्यान देती है।

मातृदेवीम नमस्तुभ्यं मम जन्मदात्रिम त्वम् नमो नमः।
बाल्यकाले मां पालन कृत्वा मातृकाभ्यो त्वम्न माम्यहम।।

भावार्थ-  मैं अपनी माँ को मैं प्रणाम करता हूँ जिसने मुझे जन्म दिया। मैं अपनी अन्य माताओं को भी प्रणाम करता हूँ ;जिन्होंने मुझे एक अच्छा इंसान बनाने के लिए अपने कार्यों और जीवन में ज्ञान और बुद्धि को जोड़ा। 

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