बेडटाइम स्टोरी फॉर किड्स इन हिंदी
कहानियां सुनने से बच्चों को एकाग्रता बढ़ती है, उनके ज्ञान में वृद्धि होती है और वह नए शब्द और मुहावरे सुनकर बहुत कुछ सीखते हैं। बचपन में सुनी हुई कहानियों की स्मृति बच्चों के मन में लंबे समय तक रहती है। ऐसा माना गया है कि जो बच्चे अपने माता पिता से कहानियां सुनकर बड़े होते हैं उनका भावनात्मक जुड़ाव अपने पेरेंट्स के साथ अधिक होता है। सोने से पहले बच्चों को कहानियां सुनाने की परम्परा हज़ारों साल से चली आ रही है जो अभी तक जारी है। इस लेख में बच्चों के लिए ज्ञानवर्धक Bedtime stories in hindi दी गई है जिसे आप बच्चों को सुनाकर उनके ज्ञान में वृद्धि कर सकते हैं।
ऋषि और चूहे की कहानी
Bedtime Story In Hindi :एक बार एक सिद्ध ऋषि अपनी कुटिया में ध्यान लगाकर बैठे थे। तभी उन्हें किसी के कराहने की आवाज आई। उन्होंने जब बाहर जाकर देखा तो एक पक्षी अपनी चोंच में एक चूहे को दबा कर ले जा रहा था। ऋषि को उस पर दया आई।
ऋषि ने अपनी संकल्प शक्ति से उस चूहे को बिल्ली बना दिया ताकि कोई भी पक्षी उसको तंग ना करें। ऋषि उस बिल्ली से कहने लगे कि तुम निश्चित होकर मेरे आश्रम में रह सकती हो। बिल्ली खुशी-खुशी आश्रम में रहने लगी।
लेकिन कुछ दिनों के बाद उस बिल्ली पर एक कुत्ता झपट पड़ा जिससे बिल्ली फिर से बहुत डर गई। उसको डरी देखकर ऋषि ने उसको कुत्ता बना दिया। चूहा अब बिल्ली से कुत्ता बनकर बहुत प्रसन्न था। उसका जीवन कुछ दिन आराम से गुजरा। लेकिन अब उसे उससे बड़े जानवरों से भय लगता था।
एक दिन उसने ऋषि से प्रार्थना की कि गुरूदेव मुझे कृपया कर शेर बना दें। एक कुत्ते के रूप में भी मुझे बहुत से जीवों से डर लगता है। मैं शेर बनकर किसी को भी तंग नहीं करूंगा। लेकिन मैं सभी जानवरों से निर्भय हो जाऊंगा।
ऋषि ने उसकी विनती सुनकर उसे शेर बना दिया। लेकिन अब वह लोगों को डराने-धमकाने लगा। सभी प्राणी उससे भयभीत रहते। लेकिन ऋषि की दृष्टि में वह अब भी एक चूहे के समान था।
एक दिन उसके मन में विचार आया कि मैं चूहे से बिल्ली बना, बिल्ली से कुत्ता और कुत्ते से शेर यह बात तो केवल यह ऋषि ही जानते हैं।
कहीं ऐसा न हो कि यह मेरा राज किसी के सामने खोल दे। इसलिए ऐसा करता हूं कि मैं ऋषि को ही खा जाता हूं। एक दिन जब ऋषि ध्यान में बैठे थे तो वह उन्हें खाने के लिए आक्रमण करने ही वाला था। ऋषि को उसकी हरकत का आभास हो गया और उन्होंने शेर को फिर से चूहा बना कर अपने आश्रम से भगा दिया। चूहे के प्राण अब एक बार फिर से खतरे में आ गए। अब चूहा अपने किए पर पछतावा कर रहा था।
Moral - इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है जिन्होंने कठिन परिस्थितियों में हमारी मदद की हो उनके साथ धोखा नहीं करना चाहिए।
पंचतंत्र की यक्ष और दो सिर वाले जुलाहे की कहानी
BedTime Stories In Hindi Panchtantra: एक बार एक नगर में मन्थर नाम का जुलाहा रहता था। जुलाहा बहुत ही मेहनती था। वह दिन भर कपड़ा बुनकर अपना और अपने परिवार का पालन पोषण करता था।
एक दिन मन्थर के उपकरण जो कपड़े बुनने के काम आते थे वह टूट गए। वह उपकरण लकड़ी से बने थे। वह उनको फिर से बनाने के लिए जंगल में लकड़ी काटने के लिए गया। उसने लकड़ी काटने के लिए जैसे ही पेड़ पर कुल्हाड़ी से बार करने लगा उसी समय एक यक्ष प्रकट हो गया।
वह यक्ष जुलाहे से कहने लगा कि," यह पेड़ मेरा निवास स्थान है। तुम इस पेड़ को मत काटो। तुम इसके बदले मुझ से मनवांछित वरदान मांग सकते हो।"
जुलाहा कहने लगा कि मैं पहले अपने शुभचिंतकों से विचार विमर्श करने के पश्चात ही वर मांगना चाहता हूं। यक्ष ने उसकी बात मान ली। वह जुलाहा प्रसन्न होकर अपने घर की तरफ चल पड़ा। रास्ते में उसकी मुलाकात अपने मित्र नकुल नाई से हुई। जुलाहे ने पूरी बात बता कर उसकी सलाह मांगी। उसका मित्र कहने लगा कि," तुम को यक्ष से राजपाट मांग लेना चाहिए।" जुलाहे ने कहा - मुझे तुम्हारी सलाह उत्तम लगी लेकिन एक बार में अपनी पत्नी से सलाह करना चाहता हूं।
इतना कहकर जुहारा खुशी-खुशी अपने घर पहुंचा। उसने यक्ष के वर मांगने की बात और अपने मित्र नकुल नाई की सलाह दोनों अपनी पत्नी को बताई।
पति की बात सुनकर जुलाहे की पत्नी कहने लगी कि," राजपाट चलाना बहुत ही झंझट का काम है। राजपाट के कारण भाई-भाई आपस में शत्रु हो जाते हैं। एक दूसरी के विरुद्ध षड्यंत्र करते हैं यहां तक कि एक दूसरे की हत्या तक कर देते हैं। इसी राजपाट के कारण श्री राम को वनवास मिला, कौरवों - पांडवों में युद्ध हुआ और भाई-भाई एक दूसरे के खून के प्यासे हो जातें हैं। "
जुलाहे ने पूछा कि फिर तुम्हारे हिसाब से मुझे यक्ष से क्या मांगना चाहिए?
पत्नी उत्सुकता से बोली - तुम यक्ष से एक सिर और दो हाथ और मांग लो। ऐसा करने पर तुम दोनों हाथों से कपड़ा बुनने का काम कर सकते हो। जिससे एक से हमारा खर्च चलेगा और दूसरे से धन संचय कर सकते हैं। इस तरह हम बहुत जल्दी धनी बन जाएंगे।
जुलाहे को अपनी पत्नी की सलाह अपने मित्र की अपेक्षा अधिक अच्छी लगी। वह जल्दी से जंगल गया और उसने यक्ष से एक सिर और दो हाथ और मांग लिए। यक्ष ने उसकी मनोकामना पूरी कर दी और उसी समय उसके दो सिर और दो हाथ और प्रकट हो गए। जुलाहा खुशी-खुशी अपने गांव की तरह चल पड़ा। लेकिन जैसे ही उसने गांव में प्रवेश किया तो लोगों ने उसकी विचित्र आकृति देखकर उसे राक्षस समझ लिया और उस पर पत्थरों से प्रहार करना आरंभ करना शुरू कर दिया। जिसके कारण उसकी मृत्यु हो गई।
Moral - इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि किसी का भी परामर्श मानने से पहले उसके परिणाम के बारे में अच्छे से विचार-विमर्श कर लेना चाहिए। यक्ष ने उसे उसका मनवांछित वर मांगने को कहा था लेकिन उसने स्वयं पर विश्वास ना कर दूसरे की सलाह को प्राथमिकता दी।
तेनालीराम राम और सोने के आम की कहानी
Bedtime story for kids in hindi: एक बार राजा कृष्णदेव राय की माता जी बहुत बीमार हो गई। वह ब्राह्मणों को आम दान करना चाहती थी। लेकिन आम दान करने से पहले ही उनकी मृत्यु हो गई।
राजा ने अपनी मां की अंतिम इच्छा ब्राह्मणों को बताई। राजा की बात सुनकर ब्राह्मणों के मन में लालच आ गया। ब्राह्मण राजा से कहने लगे कि,"अगर आपकी माता जी की अंतिम इच्छा की पूर्ति ना हुई तो उनकी आत्मा को मुक्ति नहीं मिलेगी। इसलिए आप उनकी आत्मा की शांति के लिए ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और सोने से बने आम दान करें।"
राजा ने ब्राह्मणों की बात मानकर उनको भोजन करवाया और सोने के आम दान में दिये। ब्राह्मण राजा से धोखे से सोने के आम दान में लेकर बहुत खुश थे। यह सब देखकर तेनालीराम को समझ गए कि ब्राह्मणों ने राजा की अपनी माता के प्रति प्रेम भावना का फायदा उठा कर लालच में सोने के आम दान में मांगे थे। तेनालीराम राम ने उन सब ब्राह्मणों को सबक सिखाने की सोची।
उन्होंने उन्हीं ब्राह्मणों को अपने घर पर भोजन के लिए निमंत्रण दिया। वह कहने लगे कि," मैं भी अपनी मां की अंतिम इच्छा पूर्ण करने के लिए दान देना चाहता हूं।"
लालची ब्राह्मण बहुत खुश हुए कि तेनालीराम के घर से भी बहुत सा दान मिलेगा। तेनालीराम उन सब ब्राह्मणों को भोजन करवा कर सलाखें गर्म करने लगे। यह देखकर सभी ब्राह्मण हैरान हो गए कि तेनालीराम यह क्या कर रहे हैं? उन्होंने तेनालीराम से पूछा यह सब क्या चल रहा है?
तेनालीराम ने कहा - मरने से पहले मेरी मां के शरीर पर एक फोड़ा था। उसमें उन्हें बहुत दर्द होता था। वह फोड़े पर गर्म सलाखों से सिकाई करवाना चाहती थी। लेकिन सिकाई करने से पहले ही उनकी माता जी की मृत्यु हो गई। उनकी उसी अंतिम इच्छा को मैं आप सब ब्राह्मणों की गर्म सलाखों से सिकाई करके पूरा चाहता हूं।
इतना सुनते ही सभी ब्राह्मण एक साथ बोल उठे कि इस तरीके से आप की माता जी की अंतिम इच्छा पूरी कैसे हो सकती है ? तेनालीराम ने झट से बोल पड़े कि अगर राजा की माता जी की अंतिम इच्छा ब्राह्मणों को सोने के आम दान करने से पूरी हो सकती है तो मेरी मां की अंतिम इच्छा ब्राह्मणों की गर्म सलाखों की सिकाई से पूर्ण क्यों नहीं हो सकती?
सभी ब्राह्मणों को बात समझ गई । हमने जो लालच में आकर राजा से सोने के आम दान में लिए हैं उसकी चतुराई तेनालीराम समझ गए हैं। अब जान बचाने के लिए सभी ब्राह्मण बोले कि हम आपको सोने के आम दे देते हैं। उसके बदले में आप हमें जाने दे। इस तरह तेनालीराम सभी लालची ब्राह्मणों से सोने के आम वापस ले लिए।
ब्राह्मणों ने तेनालीराम की शिकायत राजा कृष्णदेव राय से कर दी कि तेनालीराम ने उनके सोने आम धोखे से छीन लिए हैं। राजा ने तेनालीराम से इसका कारण पूछा कि तुम ने किस लालच में आकर मेरे दिए हुए सोने के आम लिए है।
तेनालीराम बोले- महाराज मैंने लालच में आकर आप के दिये हुए आम इन ब्राह्मणों से नहीं लिये बल्कि इनको लालच की आदत से बचने केलिए लिए है।
राजा कृष्णदेव राय हैरानी से तेनालीराम से पूछा कि वह कैसे? तेनालीराम कहने लगे कि," महाराज अगर यह ब्राह्मण आप की मरी हुई मां की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए और उनकी आत्मा की शांति के लिए सोने के आम दान में मांग कर, उसे दक्षिणा में स्वीकार कर सकते हैं। मेरी मेरी हुई मां की अंतिम इच्छा पूरी करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए सलाखों से सिकाई क्यों नहीं करवा सकते?
यह सुनते ही राजा कृष्णदेव राय समझ गए कि ब्राह्मणों ने लालच में आकर सोने के आम मांगे थे। तेनालीराम ने उन सबको सबक सिखाने के लिए ही यह सब कुछ किया है। सारा भेद खुलने पर ब्राह्मणों ने राजा से माफी मांगी। अब ब्राह्मणों को समझ आ चुका था कि लालच बुरी बला है। राजा तेनालीराम की बुद्धिमत्ता से बहुत प्रसन्न हुए।
Moral - इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि बुद्धिमत्ता के बल पर दूसरों की चालाकी को समझा जा सकता है और लालच बुरी बला है।
एक लड़के की बुद्धिमत्ता की कहानी
राजा ने उसे दरबार में हाजिर होने के लिए कहा। राजा कहने लगा कि," मैंने तुम्हारे बारे में सुना है कि तुम अपनी चतुराई से किसी भी काम को कर सकते हो।"
एक बार लड़का था जो बातों से सब का मन जीत लेता था। उसकी बातें करने का ढंग ऐसा था कि सामने वाला उसकी झूठी बातों को सच मान लेता था। एक बार उसकी मां ने कहा- बेटा अब तुम बड़े हो गए हो तुम को कुछ काम धंधा करना चाहिए। उसके पश्चात मैं कोई अच्छी लड़की ढूंढ कर तुम्हारी शादी कर करवा दूंगी।
मां की बात सुनकर वह कहने लगा कि ," मां मेरा सपना है कि मैं एक दिन इस राज्य की राजकुमारी से विवाह करुंगा। इसलिए मैं राजमहल के आसपास ही नौकरी ढूंढूंगा। "
लड़का अपने गांव से शहर चला जाता है। जब वह राजमहल के पास पहुंचता है तो वहां एक जगह पर लोग झुंड बनाकर खड़े थे। वहां उसने पूछा कि," क्या मुझे कोई नौकरी मिलेगी? लोगों ने पूछा कि तुम्हारी योग्यता क्या है?
वह लड़का कहने लगा कि,"मैंने अपने गांव में वीरता के बहुत से काम किए हैं। जहां तक कि मैंने शेर को भी अपनी बहादुरी से भगा दिया था।"
उसकी बातें राजमहल का दरबारी सुन रहा था। उसने राजा को जाकर उसकी बहादुरी की बातें सुनाई।
लड़के ने हां में हामी भर दी।
राजा कहने लगा कि, मैं तुमको राजमहल में नौकरी पर रख लूंगा। लेकिन मेरी एक शर्त है।
लड़का ने पूछा कि," महाराज क्या शर्त है?"
राजा बोला- इस राज्य की राजकुमारी बहुत समय से अवसाद में है। वह ना ही वो हंसती और ना ही किसी से बात करती है। अगर तुम ने उसे हंसा दिया और उसकी चुप्पी तोड़वा दी तो तुम्हारी नौकरी पक्की।
लड़के ने चुनौती स्वीकार कर ली। उसने कहा कि राजन! मैं राजकुमारी को अपने साथ सैर पर ले जाना चाहता हूं। राजा ने हांमी भर दी।
लड़का राजकुमारी को पूरे रास्ते अपनी बहादुरी के झूठे किस्से सुनाता रहा। लेकिन राजकुमारी एक शब्द न बोली।
राजा ने दरबार में लड़के से पूछा कि," क्या राजकुमारी ने तुम से कोई बात की?"
लड़का कहने लगा कि,"हां हां महाराज राजकुमारी तो मुझ से इतनी प्रभावित हुई कि वो अब मुझ से ही शादी करना चाहती है।"
लड़के की अपने बारे में की गई झूठी तारीफें सुनकर राजकुमारी ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगी और कहने लगी कि पिता जी यह पूरे रास्ते मुझसे अपनी बहादुरी की डींगे हांक रहा था। मैंने तो इससे शादी की कोई बात की ही नहीं। यह बिल्कुल झूठ बोल रहा है।
लड़के ने स्वीकार किया कि मैंने जो भी बोला है वह झूठ है। राजन् आपने मुझे चुनौती दी थी कि राजकुमारी को हंसा कर उनकी चुप्पी तुड़वानी है। वह कार्य मैंने कर दिया आगे फैसला आपका है।
राजा लड़के की चतुराई से प्रसन्न हुआ और उसे अपने राज्य में दरबारी बना लिया। उसकी बहादुरी के किस्से पूरे राज्य में फ़ैल गए।
एक दिन उसके राज्य पर पड़ोसी राज्य ने आक्रमण कर दिया। राजा ने लड़के से कहा- अगर तुमने उस राज्य से हमारे राज्य को विजय दिलावा दी तो मैं अपनी पुत्री का विवाह तुम से कर दूंगा। लड़का अब फंस गया क्योंकि उसे युद्ध का कोई अनुभव नहीं था। लेकिन उसने हार नहीं मानने का निश्चय किया।
वह हाथी पर सवार होकर सेना का नेतृत्व करने के लिए निकल पड़ा। उसने सैनिक से अजीब सा मुखौटा और व्रज मंगवाया।
दुश्मन पक्ष का सेनापति उसकी इस अजीब सी वेशभूषा को देखकर आश्चर्यचकित था। उसने अपने सैनिकों से पूछा कि सामने वाले राज्य का सेनापति कौन है? वह कहने लगे कि," सेनापति इसकी बहादुरी के किस्से पूरे राज्य में प्रसिद्ध है। यह अपनी चतुराई से कोई भी कार्य कर सकता है। जब सेनापति अपने सैनिकों से बात कर रहा था, तभी उस लड़के ने उस पर अपना व्रज फैंक दिया। अचानक हुए हमले के कारण सेनापति संभल नहीं पाया और बेहोश होकर नीचे गिर पड़ा।
यह देखकर शत्रु सेना में खलबली मच गई और उनकी सेना युद्ध हार गई और यह लड़का विजय का जयघोष करता हुआ राजा के पास चला गया।
राजा ने अपने वचन के अनुसार अपनी पुत्री का विवाह लड़के से कर दिया। अब वह अपनी मां और राजकुमारी के साथ राजमहल में ही रहने लगा।
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