LOHRI KATHA LOK GEET IN HINDI

LOHRI KAHA KAB KYUN KAISE MANAYE JATI HAI LOHRI KI MEANING KATHA LOK GEET IN HINDI Lohri wishes in hindi 

 लोहड़ी पर पढ़ें पंजाब में प्रचलित दूल्ला भट्टी की कथा और लोक गीत 

भारत को त्यौहार और पर्वों का देश कहा जाता है। नववर्ष का सबसे पहला त्यौहार लोहड़ी होता है। लोहड़ी पंजाब का प्रसिद्ध त्योहार है। पंजाब के अतिरिक्त हरियाणा और दिल्ली में भी मनाया जाता है। वर्तमान समय में देश के अन्य हिस्सों में भी यह त्योहार धूमधाम से मनाया जाने लगा है। लोहड़ी का त्योहार सुख, समृद्धि और खुशियों का प्रतीक माना जाता है । 

लोहड़ी का अर्थ LOHRI MEANING IN HINDI 

लोहड़ी शब्द ल+ओह+ड़ी से बना है। 'ल' से भाव लकड़ी,'ओह' से भाव उपले और,'ड़ी' से भाव रेवड़ी है। इस तरह लोहड़ी का पर्व लकड़ी, उपले और रेवड़ी का पर्व है। इस दिन लकड़ियां और सूखे उपले इकट्ठे कर रात को उनमें अग्नि लगाई जाती है और गुड़ रेवड़ी का अग्नि में अर्ध्य दिया जाता है। उसके पश्चात सब लोग मिलकर ढोल की थाप पर गिद्दा और भंगडा करते हैं।

लोहड़ी कब मनाई जाती है Lohri kab Manaye jati hai 

लोहड़ी मकर सक्रांति से एक दिन पहले पौष मास के अंतिम दिन मनाई जाती है। लोहड़ी का त्यौहार धूमधाम से मनाया जाता है। लोहड़ी को कई स्थानों पर तिलोरी भी कहते हैं। लोहड़ी शब्द तिल तथा रोड़ी शब्दों से मिलकर बना है जो अब बदल कर लोहड़ी नाम से प्रसिद्ध हो गया। लोहड़ी का त्यौहार मुख्य रूप से पंजाब में मनाया जाता है। 

 लोहड़ी क्यों मनाई जाती है Lohri kyun Manaye jati hai 

पंजाब में किसान लोहड़ी पर सर्दियों के मौसम में ज्यादा फसल पैदा करने के लिए भगवान सूर्य से प्रार्थना करते हैं। यह फसल का त्योहार है किसान लोहड़ी के मौके पर ईश्वर का आभार प्रकट करते हैं लोहड़ी आनंद और खुशियों का प्रतीक है।

लोहड़ी कैसे मनाई जाती है Lohri kaise manaye jati hai 

लोहड़ी की रात को लकड़ियां इकट्ठी करके उस पर उपले रखकर अग्नि लगाई जाती है। आग में गजक ,रेवड़ी, गुड़, तिल मूंगफली डाली जाती है। इस दिन किसान अपनी फसल की कामना के लिए सूर्य देव से प्रार्थना करते हैं।

बच्चे लोहड़ी की तैयारी कुछ दिन पहले से ही शुरु कर देते हैं क्योंकि पंजाब में लोहड़ी के दिन पतंगे खूब उड़ाई जाती हैं।

लोहड़ी वाले दिन शाम को सभी लोग इकट्ठे होते हैं और आग जलाई जाती हैं। इस शुभ अवसर पर मंगल गीत गाकर एक दूसरे को बधाई ई दी जाती है ।अग्नि के चारों ओर चक्कर लगाते हुए उसमें रेवड़ी, मूंगफली, तिल और मक्के के दानों की आहुति दी जाती है । फिर सब लोग आग के चारों ओर बैठ जाते हैं।

जिस घर में बेटे की नई शादी हुई हो जा फिर जिस घर में नवजात शिशु की पहली लोहड़ी होती है। उस घर में लोहड़ी के दिन अपने सभी रिश्तेदारों- संबंधियों को बुलाया जाता है और उन्हें विशेष बधाई दी जाती है। नव विवाहित वर वधू और उनके परिवार वाले सभी मिलकर आग जला उसमें गुड़, मुंगफली,गचक, तिल आदि का अर्ध्य देते हैं और अपने बड़ों का आशीर्वाद लेते हैं। सभी परिवार वाले मिलकर ढोल की थाप पर गिद्दा और भंगडा करते हैं।

LOHRI KI KATHA IN HINDI 

पंजाब में लोहड़ी की प्रचलित दूल्ला भट्टी की कथा

 दूल्ला भट्टी पंजाब का एक प्रसिद्ध नायक था। जिसने मुगल सम्राट अकबर के शासन काल में मुगल शासन के प्रति बगावत की थी। वह अमीरों से धन लूट कर गरीबों में बांट देता था।

 किसी गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। उसकी दो जवान बेटियां थी जिनका नाम सुंदरी और मुंदरी था। दोनों की सगाई हो चुकी थी। लेकिन गरीबी के कारण उनका पिता भी उनकी शादी नहीं कर पाया था। उस क्षेत्र का एक मुसलमान शासक जबरदस्ती लड़कियों को उठाकर ले जाता था।

कहते हैं कि जब सुंदरी और मुंदरी की सुंदरता के बारे में उसको  पता चला तो उसने उन्हें उठाने की योजना बनाई। लेकिन उनके पिता को किसी तरह इस विषय में पता चला तो वह जल्दी से बेटियों के ससुराल गया।

बेटी के ससुराल वालों को इस बारे में बताया। वह भी मुसलमान शासक डरते थे इसलिए वह बिना शादी के लड़कियों को अपने घर नहीं ले जाना चाहते थे।

ब्राह्मण जब निराश होकर लौट रहा था तो रास्ते में जंगल में उसे दुल्ला भट्टी की याद आई। वह गरीबों से बहुत हमदर्दी रखता था और अमीरों का माल लूट कर गरीबों में बांट देता था। ब्राह्मण ढूंढते हुए दुल्ला भट्टी के पास पहुंचा और अपनी सारी व्यथा सुनाई।

 दुल्ला भट्टी ने कहा कि," आप चिंता मत करो, अब आपकी बेटी मेरी बेटी है। मैं अपने हाथों से उनकी शादी करके ससुराल भेजने का प्रबंध करूंगा।"

 लड़कियों की शादी की तय हो गई ।लड़की के ससुराल वाले मुसलमान शासक के डर के कारण कहने लगे कि  हम रात में शादी करने आएंगे ।शादी गांव के बाहर एक जंगल में होनी तय हुई ।

रोशनी के लिए लकड़ियां इकट्ठी कर आग जलाई गई। दुल्ला भट्टी ने आसपास के गांव में उन घरों से चंदा इकट्ठा किया जिनकी नई शादी हुई थी या फिर नवजात बच्चे हुए थे।

 उन्होंने सुंदरी और मुंदरी के विवाह के लिए कुछ दान दिया। दूल्ला भट्टी के पास दुल्हन को देने के लिए एक सेर शक्कर ही थी । इस तरह दूल्ला भट्टी ने दो कन्याओं का विवाह करवा दिया। ऐसा माना जाता है तभी से लोहड़ी मनाने की प्रथा शुरू हुई। 

LOHRI LOK GEET IN HINDI 

सुन्दर-मुंदरिए

सुन्दर-मुंदरिए ..हो 

तेरा कौन विचारा..हो

दुल्ला भट्टी वाला..हो 

दुल्ले ने धी ब्याही..हों

सेर शक्कर आई..हो 

कुड़ी से बोझे पाई..हो

कुड़ी दा लाल पटाका..हो

कुड़ी दा सालू पाटा..हो 

सालू कौन समेटे..हों 

चाचा गाली देसे.. हो

चाचा चूरी कुट्टी..हों

 जमीदारा लूटी..हो

जमींदार सदाओ..हो

गिन गिन पोलें लाओ..हो

इक भोला घट गया..हों 

जमींदार नस गया..हो

सिपाही फड़ के लै गया..हो

सिपाही ने मारी ईट, 

भाँवे रो, ते भाँवे पीट

सानू दे देओ, लोहड़ी 

तेरी जीवे, जोड़ी 

साडे पैरा हेठ रोड़ 

सानूं छेती छेती तोर 

सानूं उत्तो पे गई रात 

दे माई लोहड़ी, तेरी जीवे जोड़ी। 

ALSO READ जनवरी महीने में आने वाले व्रत त्योहार 

• मकर संक्रांति की कथा और महत्व 
• पुत्रदा एकादशी व्रत कथा
• संकट चौथ व्रत कथा और आरती हिन्दी में

About Author : A writer by Hobbie and by profession
Social Media

Message to Author