राधा कृष्ण के अलौकिक प्रेम की कहानियां
श्री राधा रानी श्री कृष्ण की सखी और उपासिका थी। राधा रानी को कृष्ण वल्लभा कहा गया है। वह श्री कृष्ण की अधिष्ठात्री देवी है। श्री राधा नाम जपने से श्री कृष्ण शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। श्री राधा और कृष्ण निस्वार्थ और अटूट प्रेम के प्रतीक हैं। पढ़ें श्री राधा कृष्ण के अमर प्रेम की कहानियां
श्री कृष्ण के राधा रानी से मिलने के लिए ज्योतिषी बनने की कथा
RADHA KRISHNA STORY:श्री कृष्ण कई स्त्री का भेष धारण कर बरसाना आ जाते थे। राधा रानी की ललिता सखी इस बात को जानती थी। वह श्री कृष्ण से कहने लगी कि," तुम कभी मालिन बन कर और मनिहारिन बन कर राधा रानी से मिलने आते हो और घुंघट के कारण तुम को कोई पहचान भी नहीं पाता। अगर हिम्मत है तो तुम पुरूष के भेष में श्री राधा रानी से मिलने आ कर दिखाओ।
ललिता सखी ने श्री कृष्ण को चुनौती दी कि अगर तुम कल पुरूष के वेश में राधा रानी से मिल कर दिखा दिया तो मैं राधा रानी की बजाय तुम्हारी दासी बन जाऊंगी और अगर तुम राधा रानी के महल तक ना पहुंच पाए तो तुम को मेरा दास बनना पड़ेगा। श्री कृष्ण ने ललिता सखी की चुनौती स्वीकार कर ली।
श्री कृष्ण वृन्दावन वापस आ कर अपने सखाओं संग मंत्रणा करने लगे कि कोई ऐसा उपाय बताओं कि जिससे मैं पुरुष भेष धारण कर राधा से बरसाना जा कर मिल सकूं और ललिता सखी की थी हुई चुनौती जीत जाऊं।
श्री कृष्ण के मित्र जो कि ब्राह्मण पुत्र थे कहने लगे कि कृष्ण तुम ज्योतिष बन जाओ क्योंकि स्त्रियों की कमज़ोरी होती है कि वह अपना हाथ दिखाने पंडित के सामने बैठ जाती है। ज्योतिष को कोई बरसाने में आने से रोकेगा भी नहीं। श्री कृष्ण को अपने सखाओंका यह विचार उत्तम लगा
अगले दिन श्री कृष्ण एक ज्योतिष का रूप धारण कर बरसाना पहुंच गए। माथे पर चंदन तिलक,गले में तुलसी की माला और अपने अंगों पर इस तरह से श्रृंगार किया की कोई भी उनको पहचान ना पाएं।
श्री कृष्ण बरसाने पहुंचे और वहां की औरतों का बिना उनका हाथ देखे उनका नाम और परिवार के बारे में सब कुछ बताने लगे। सभी औरते बहुत प्रसन्न थी कि ज्योतिषी सब कुछ सच बता रहा है। अब श्री कृष्ण से कहां कोई कुछ छिपा सकता है।
यह बात बरसाने महल तक पहुंची तो एक औरत ने ललिता सखी को बताया कि बरसाने में एक ज्योतिष आया है जो सबके बारे में सब कुछ सच सच बताता है।
ललिता सखी भी अपना हाथ दिखाने श्री कृष्ण के पास पहुंची तो श्री कृष्ण ने उसका नाम, गांव का नाम सब कुछ बताया तो ललिता सखी कहने लगी कि यह सब तो तुम गांव में किसी से भी पुछ कर बता सकते हो। बताना ही है तो ऐसा बताओ कि इस समय मेरे दिमाग में क्या चल रहा है।
श्री कृष्ण मुस्कुराते हुए बोले कि इस समय तुम्हारा दिमाग किसी को यहां आने से रोकने के बारे में सोच रहा है। ललिता सखी ने पूरे महल में सख्त पहरा लगवाया था कि किसी भी सुरत में श्री कृष्ण महल तक ना पहुंच पाएं।
ललिता सखी उत्सुकता से श्री कृष्ण रूपी ज्योतिष से पूछने लगी कि क्या जिसे मैं रोकने के बारे में सोच रही हूं वह कब तक महल में आएंगा।
श्री कृष्ण कहने लगे कि दोपहर तक पहुंच जाएंगा। ललिता सखी ने पहरा दे रही सखियों को सचेत कर दिया।
ललिता सखी श्री कृष्ण से कहने लगी कि, पंडित जी मेरी सखी राधा का भी हाथ देख लो।
इतना सुनते ही श्री कृष्ण मुस्कुराने लगे। ललिता सखी ने पूछा कि पंडित जी आप मुस्कुरा क्यों रहे हैं तो श्री कृष्ण कहने लगे कि, महल में तो पुरुषों के जाने पर पाबंदी है इसलिए।
ललिता सखी कहने लगी कि मैं स्वयं आपको महल में ले जाऊंगी आप केवल एक बार चल कर मेरी राधा सखी का हाथ देख लो। आप ज्योतिषी हो आपके वहां जाने पर किसी को कोई आपत्ती नही होगी।
ललिता सखी के बार बार आग्रह करने पर श्री कृष्ण उनके पीछे पीछे चल पड़े। जैसे ही श्री कृष्ण राधा रानी के कक्ष के समीप पहुंचे तो श्री कृष्ण ने ललिता सखी को स्मरण कराया कि जिस को तुम आने से रोक रही थी कहीं वो आ ना जाएं।
ललिता सखी कहने लगी कि ठीक है महाराज आप कक्ष में चले मैं एक बार बाहर देखकर आती हूं।
श्री कृष्ण कक्ष में पहुंचे तो ललिता सखी राधा रानी से कहने लगी कि यह बहुत माने हुएं ज्योतिषी है। गांव की औरतों ने इनको अपना हाथ दिखाया है आप भी दिखा दो।
श्री कृष्ण ने राधा रानी के समीप बैठ कर उनका हाथ अपने हाथ में ले लिया और अपने बारे में इशारे से बताने के लिए उनके हाथ को थोड़ा सा दबा दिया।
ललिता सखी कहने लगी कि," महाराज यह क्या कर रहे हैं?" श्री कृष्ण कहने लगे कि मैं तो राधा रानी के कोमल हाथ की लकीरों को अच्छे से देख रहा हूं। फिर श्री कृष्ण जब राधा रानी के साथ को अपनी आंखों के समीप ले गए तो ललिता सखी कहने लगी कि यह क्या कर रहे हो।
श्री कृष्ण कहने लगे कि मैं तो हाथों की लकीरों का निरीक्षण कर रहा हूं।
उसी समय श्री कृष्ण ने ललिता सखी से पूछा कि समय क्या हुआ है ललिता सखी कहने लगी कि पंडित जी 12.00 बजे है।
उसी समय श्री कृष्ण ललिता सखी से कहने लगे कि देख लो मैं पुरुष भेष में राधा रानी के पास पहुंच ही गया।
ललिता सखी भी तपाक से बोली कि इतना मत इतराओ क्योंकि तुम को इस महल में लाने वाली मैं ही हूं। अगर मैं तुम को स्वयं इस महल में ना लाती तो तुम राधा रानी से कैसे मिल पाते।
श्री राधाकृष्ण और मोर की कथा
RADHA KRISHNA STORY IN HINDI: बार एक मोर नंद गांव में श्री कृष्ण को रिझाने के लिए प्रतिदिन भजन गाता था। लेकिन श्रीकृष्ण उसकी तरफ ज्यादा ध्यान नहीं देते थे। श्री कृष्ण के इस व्यवहार से मोर एक दिन रो पडा़। उसी समय एक मैना उधर से गुजरी। वह मोर से पूछने लगी यह तो श्रीकृष्ण का द्वार है यहां क्यों रो रहे हो?
मोर मैना को बताता है श्री कृष्ण को रिझाने के लिए एक साल से प्रतिदिन यहां भजन गाता हूं। लेकिन श्री कृष्ण मेरी ओर ध्यान ही नहीं देते। मैना कहती है कि ,"अगर श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त करनी है तो मेरे साथ राधा रानी के द्वार बरसाने चलो।"
मोर ने जैसे ही बरसाने जाकर श्री कृष्ण का भजन गाना शुरू किया राधा रानी दौड़ी आई और उसे गले लगा लिया। मोर ने सारा प्रसंग राधा रानी से सुनाया। राधा रानी कहने लगी तुमने जो एक साल से श्रीकृष्ण को रिझाने की कोशिश की है उसी का फल अब तुम्हें मिलेगा।
अब तुम जाकर श्रीकृष्ण को कुछ और सुनाना। मोर ने कहा मैंने अपनी करुणा के बारे में बहुत कुछ सुना था आज देख भी लिया।
अगले दिन मोर नंद गांव में जाकर राधा रानी की महिमा के गीत गाने लगा। श्री कृष्ण उसी समय दौड़ कर आए और उसे गले से लगा लिया। मोर कहने लगा अरे छलिया एक साल से तुझे रिझाने की कोशिश कर रहा हूं लेकिन तूने कभी ध्यान नहीं दिया।
अब जब श्री राधा रानी की कृपा प्राप्त हुई तो आकर मुझे गले से लगा लिया। श्री कृष्ण कहते हैं कि किसी के मुख से "रा" अक्षर सुनते ही मैं उसे भक्ति प्रदान करता हूं और "धा" अक्षर सुनते ही राधा रानी का नाम सुनने के लालसा में उसके पीछे-पीछे चला जाता हूं.
श्री कृष्ण ने उस दिन मोर को वचन दिया कि मैं आज से तेरे मोर पंख को अपने सिर पर धारण करूंगा।
श्री राधा रानी के श्री कृष्ण के प्रति निस्वार्थ प्रेम की कथा
RADHA KRISHNA DIVINE LOVE STORY: एक बार नारद जी ने धरती पर राधा नाम की महिमा सुनी कि वह भगवान श्री कृष्ण की सबसे बड़ी भक्त हैं। नारद जी विचार करने लगे हैं कि उन्हें तो लगता था कि वह श्री हरि के सबसे बड़े भक्त हैं।
अपने मन की शंका का निवारण करने के लिए नारद जी श्री कृष्ण के पास गए। श्री कृष्ण तो अंतर्यामी समझ गए कि नारद जी के मन में क्या शंका चल रही है? श्री कृष्ण ने सोचा नारद जी को राधा रानी के प्रेम और भक्ति का अनुभव करवाना ही पड़ेगा।
जब नारद जी श्री कृष्ण के पास आए तो श्री कृष्ण अपना सिर पकड़ कर बैठे थे। नारद जी ने श्री कृष्ण से पूछा कि, "प्रभु आपको क्या हुआ है"? श्री कृष्ण कहने लगे कि नारद जी ,"मेरे सर में बहुत दर्द है।" नारद जी ने पूछा कि ,"प्रभु आपकी इस दर्द का निवारण कैसे होगा?"
श्री कृष्ण कहा कि, "अगर कोई मेरा सच्चा भक्त अपने चरणों को धोकर उसका चरणामृत मुझे पिलाए तो मेरा सिर दर्द ठीक हो जाएगा" नारद जी सोचने लगे कि मैं श्रीहरि का सबसे सच्चा भक्त हूँ। लेकिन श्री कृष्ण को अपने चरणों का चरणामृत पिलाने से मुझे नरक तुल्य पाप लगेगा। इस लिए ऐसा पाप मैं अपने सिर पर नहीं ले सकता।
नारद जी ने रुक्मणी जी से और बाकी रानियों से इस समस्या को सुनाया लेकिन कोई भी इस पाप को अपने सर पर लेने को तैयार ना हुआ। नारद जी को राधा रानी की याद आई कि वह भी तो श्री कृष्ण की सच्ची भक्त है।
नारद जी ने जाकर सारा प्रसंग राधा रानी को सुनाया। राधा रानी ने उसी समय एक बर्तन में जल लेकर अपने चरणों को धो कर वह जल नारद जी को दिया और कहा कि जल्दी से जाकर इसे श्री कृष्ण को दे दो।
राधा रानी नारदजी कहने लगी, मैं जानती हूं कि है इस बात के लिए मुझे नर्क तुल्य पाप लगेगा।". राधा रानी आगे नारद जी कहा कि , "श्री कृष्ण के दर्द के निवारण के लिए मैं कोई भी पाप अपने सिर पर लेने को तैयार हूं।"
नारद जी श्री कृष्ण के पास गए तो श्री कृष्ण मंद - मंद मुसकुरा रहे थे। अब तक नारद जी समझ गए कि राधा रानी श्री कृष्ण से निश्चल प्रेम करती हैं और उनकी सबसे बड़ी भक्त है और श्री कृष्ण ने यह सारी लीला मुझे यह अहसास कराने के लिए रची है।
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