दिवाली पर पढ़ें श्री लक्ष्मी गणेश जी की आरती
दीवाली का त्यौहार भारत में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन रात के समय मां लक्ष्मी के साथ-साथ गणेश जी की पूजा अर्चना की जाती है। क्योंकि मां लक्ष्मी धन की देवी है और वैभव प्रदान करती है इसलिए मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है कि वह पूरा वर्ष भक्तों पर अपनी कृपा बनाए रखे। माना जाता है कि मां लक्ष्मी चंचला है वह एक जगह पर टिक कर नहीं रहती इसलिए उन्हें संभालने के लिए बुद्धि और विवेक की आवश्यकता होती है ।
गणेश जी बुद्धि के देवता हैं और विध्न हर्ता है इसके दीवाली पर लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी की पूजा की जाती है। पूजा के समय श्री लक्ष्मी और गणेश जी की आरती अवश्य करनी चाहिए।
श्री गणेश की आरती हिन्दी में Ganesh ji ki Aarti lyrics
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।।
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।।
एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।
मस्तक सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी।।
जय गणेश, जय गणेश,
जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।।
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा।
लड्डूअन का भोग लगे, संत करें सेवा।।
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।।
अन्धन को आंँख देत कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया।।
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।।
सूर श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा।
भक्तजन तोरे शरण कृपा राखों देवा।।
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।।
दीनन की लाज राखो शम्भु सुतकारी।
कामना को पूरा करो जाऊं बलिहारी।।
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।।
श्री लक्ष्मी जी की आरती हिन्दी में Laxmi ji ki Aarti lyrics
ऊँ जय लक्ष्मी माता,मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुम को निसदिन सेवत ,हर विष्णु धाता ।।
ऊँ जय लक्ष्मी माता।।
उमा रमा ब्रह्माणि, तुम ही जग-माता ।
सूर्य चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
दुर्गा रूप निरंजनि, सुख सम्पत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि-धन पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
तुम पाताल निवासिनि, तुम ही शुभ दाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनि, भवनिधि की त्राता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
जिस घर तुम रहतीं, तह सब सद्गुण आता ।
सब संभव हो जाता, मन नहिं घबराता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता ।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
शुभ-गुण-मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहिं पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई नर गाता ।
उर आनन्द समाता, पाप उतर हो जाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
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