गणेश जी सभी देवताओं में प्रथम पुजय कैसे बने
Why Ganesh ji is prayerd first story in hindi;एक बार समस्त देवताओं में इस बात पर विवाद उत्पन्न हो गया कि पृथ्वी पर पर किस देवता की पूजा समस्त देवगणों से पहले होनी चाहिए। सभी देवता स्वयं को ही सर्वश्रेष्ठ बताने लगे। तब नारद जी ने विकट स्थिति को भांपते हुए सभी देवगणों को भगवान शिव की शरण में जाने व उनसे इस समस्या का समाधान बताने का परामर्श दिया।
सभी देवता भगवान शिव के पास गए और उनकी स्तुति करने लगे। भगवान शिव ने सभी देवताओं के आने का प्रयोजन पूछा तो देवताओं ने अपने झगड़े का कारण बता दिया। भगवान शिव ने उनके झगड़े सुलझाने की एक योजना बनाई।
भगवान शिव कहने लगे कि सभी देवताओं की एक प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। सभी देवता देवगण को अपने-अपने वाहनों पर बैठकर इस पूरे ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाना होगा। जो भी देवता सर्वप्रथम ब्रह्माण्ड की परिक्रमा पूर्ण कर मेरे समक्ष वापिस आएंगा वह प्रतियोगिता में विजयी होगा और उसी को सभी देवताओं मे सर्वप्रथम पूजनीय माना जाएगा।
भगवान शिव की बात सुनकर सभी देवता अपने-अपने वाहनों को लेकर ब्रह्माण्ड की परिक्रमा के लिए निकल पड़े। भगवान गणेश भी अपने वाहन मूषक पर निकल पड़े। लेकिन मार्ग में गणपति ने सोचा कि अगर वे अपने वाहन मूषक पर बैठकर ब्रह्माण्ड के चक्कर लगाएंगे तो उन्हें बहुत समय लग जाएगा।
इसलिए उन्होंने मूषक पर बैठकर अपने माता-पिता शिव और माता पार्वती की सात परिक्रमा लगाईं और उनके सामने हाथ जोड़कर खड़े हो गए.
ये देखकर माता गौरी और महादेव अत्यंत प्रसन्न हुए. जब सभी देवी-देवता ब्रह्माण्ड की परिक्रमा करके वहां लौटे तो भगवान शिव ने गणपति को प्रथम पूज्य घोषित कर दिया।
सभी देवताओं ने भगवान से इसकी वजह जाननी चाही तो शिवजी ने कहा कि माता-पिता को समस्त ब्रह्माण्ड ही नहीं बल्कि सभी लोकों में सर्वोच्च स्थान दिया गया है।
गणेश ने अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय देते हुए उन माता-पिता की परिक्रमा की और आप सबसे पहले उनके समक्ष उपस्थित हुएं कि इसलिए उन्होंने गणेश जी को प्रथम पूज्य बना दिया। सभी देवतागण शिवजी के निर्णय से सहमत हो गए और तभी गणेश जी सभी देवताओं में प्रथम पूज्य जाने लगे।
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