BACHON KE GUSSE KO CONTROL KARNE KE TIPS

BACHON KE GUSSE KO CONTROL KARNE KE TIPS ziddhi bachon ko kaise handle kareमाता-पिता बच्चों का गुस्सा शांत कैसे शांत करें टिप्स

माता-पिता बच्चों का गुस्सा शांत कैसे शांत करें टिप्स 

गुस्सा एक सामान्य emotion है जिससे हम सामने वाले को अपनी नाराज़गी जता सकते हैं।  लेकिन आज के समय में बहुत से पेरेंट्स की समस्या है कि उनका बच्चा गुस्सैल और जिद्दी होता जा रहा है। गुस्सा होने पर जोर-जोर से चिल्लाना, चीजों को इधर उधर फैंकना, भाई-बहनों और दोस्तों के साथ मारपीट करने पर पेरेंट्स परेशान हो जाते हैं।

 बच्चे के गुस्सा करने के कई कारण हो सकते हैं-

  • अक्सर बच्चे अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाते। जब वह स्वयं को उपेक्षित महसूस करते हैं कि उनसे ज्यादा दूसरे भाई बहन को ज्यादा तवज्जो मिल रही है तब भी वह पेरेंट्स का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए गुस्सा करते हैं।

  • अगर बच्चे से जबरदस्ती कोई बात मनवाई जाएं तब भी बच्चे गुस्सैल हो जाते हैं।

  • शारीरिक या मानसिक रूप से परेशान होने पर भी बच्चे गुस्सैल हो जाते है।

  • पेरेंट्स का गुस्से वाला व्यवहार और उनके द्वारा बच्चों की पिटाई के कारण भी बच्चे में गुस्से वाला व्यवहार आ जाता है।

माता-पिता अपने Stress Management पर काम करें

बच्चों पर की गई रिसर्च के अनुसार ज्यादातर पेरेंट्स अपनी stress को अनजाने में बच्चों को pass-on कर देते हैं। लेकिन मानसिक तनाव किसी को भी ज़्यादा रिएक्टिव बना देता है। आप अनजाने में ही अपना गुस्सा बच्चों पर निकाल देते हैं या फिर परेशानी में उन पर चिल्ला कर बोलते हैं या फिर उनकी किसी गलती पर पिटाई कर देते हैं। इसका नकारात्मक प्रभाव बच्चों पर पड़ता है। बच्चों अपनी भावनाओं को कैसे व्यक्त करना है यह नहीं जान पाते।
 बच्चे आपसे इस बारे में आपसे खुलकर बात नहीं कर पाते। इसलिए पेरेंट्स अपने stress management पर काम करें। अपने लिए समय निकाल कर मेडिटेशन करें और बच्चों के सामने गुस्सा करने में संयम बरतें।

बच्चों के रोल मॉडल बने

पेरेंट्स के तौर पर आप अपने बच्चे के रोल मॉडल होते हैं। आप परिवार के अन्य सदस्यों से कैसे बात करते हैं, काम करते हैं, बच्चे उसको देखते हैं और अक्सर वैसा व्यवहार भी करते हैं। बच्चे किसी भी चीज़ को समझने में बहुत एक्टिव होते हैं। इसलिए आप अपने बच्चे के रोल मॉडल बनें। आप बच्चे में कौन से गुण देखना चाहते हैं। वैसा ही व्यवहार उनके सामने करें। जैसे दूसरों की मदद करना, किसी के साथ चीज शेयर करना, दूसरे से अच्छे से पेश आना।

 बच्चों को विनम्रता और धैर्य के गुणों वाली कहानियां सुनाएं और ज्यादा गुस्सा करने वाले कैसे मुसीबत में फंस सकते हैं किसी कहानी के माध्यम से समझाएं क्योंकि कहानियां सुनना भी रोल मॉडलिंग का ही एक हिस्सा है। ऐसा माना गया है कि कहानियां बच्चों की मानसिकता पर गहरी छाप छोड़ती है। इसलिए अगर हम बच्चों को अच्छे संस्कार चाहते हैं तो हमें उन्हें अच्छा व्यवहार कैसे करना है यह सिखना बहुत ज़रूरी है।
  
अगर कभी आपने बच्चे के सामने किसी से गुस्से से बात की है तो गुस्सा शांत होने पर बाद में बच्चे के सामने माफ़ी मांगे। 

निर्धारित करें आपको उनका कौन सा व्यवहार बदलना है 

माता-पिता सबसे पहले एक निर्धारित करें कि वह अपने बच्चे में किस व्यवहार को पहले बदलना चाहते हैं। जैसे वह गुस्से में जोर-जोर से चिल्लाता है, चीजें इधर-उधर फैंकता है, आपने भाई बहनों और दोस्तों को मारता है, आपकी कोई बात नहीं सुनता केवल अपनी मनमानी करता है, दूसरों के सामने ज्यादा जिद्द या गुस्सा करता है। 

आप सबसे पहले किसी एक व्यवहार को फोकस करें या फिर सभी पर एक साथ यह आप पर निर्भर करता है। दोनों पेरेंट्स उस व्यवहार को कैसे नियंत्रित करना है, उस पर बैठ कर बात करें। इसका फायदा यह होगा कि आपको पता होगा कि बच्चे के दोबारा वैसा व्यवहार करने पर, हमें इस पर क्या और कैसे रिएक्ट करना है? 

बच्चों के सामने नकारात्मक शब्दों का प्रयोग ना करें।

बच्चों को कभी भी दुत्कारना नहीं चाहिए और ना ही उनके सामने नकारात्मक शब्दों का प्रयोग करना चाहिए। ऐसा देखा गया है कि जिद्दी और गुस्से वाले बच्चों को अगर आप किसी चीज के लिए मना करते हैं तो वह और ज्यादा frustrated हो जाते हैं। ऐसे बच्चों के सामने कभी भी नकारात्मक शब्दों का प्रयोग ना करें जैसे- यह काम मत करो, शरारत न करों। 
क्योंकि अब आपको पता है कि आपको उसके व्यवहार को बदलना है इसलिए उसके किसी भी गुस्से में किए काम पर भी सकारात्मक शब्दों का प्रयोग करें।
अगर चीजें पटक रहा है तो यह मत बोले कि ऐसा मत कर बल्कि बोले बेटा ध्यान से आपको या किसी और को चोट लग सकती है। अगर जोर जोर से चिल्ला रहा है तो बोल सकते हैं बेटा आराम से बोलो आपका गला खराब हो सकता है।
हां कुछ परिस्थितियां ऐसी होती हैं जब आपके उसे रोकना पड़ सकता है जैसे वह अपने भाई बहन को पीट रहा हो या फिर किसी चीज़ से उसे स्वयं चोट लग सकती हो। अन्यथा बाकी की परिस्थितियों में शांत रहे और उसके व्यवहार को बदलने के लिए केवल सकारात्मक शब्दों का ही प्रयोग करें क्योंकि आप जानते हैं कि आप उसके गुस्से वाले व्यवहार को बदलने पर काम कर रहे हैं। इसलिए कहते हैं कि किसी के गुस्से को प्यार से ही जिता जा सकता है।

उनके गुस्से वाले व्यवहार को इग्नोर करें

बच्चे के किसी बात पर गुस्सा करने पर उसे इग्नोर करें क्योंकि ज्यादातर बच्चे गुस्सा आपका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए ही करते हैं। उसके गुस्सा करने पर स्वयं को संयमित रखने का प्रयास करें। ऐसे व्यवहार करे कि जैसे सब कुछ सामान्य है क्योंकि अब आप जानते हैं कि आपको समस्या पर नहीं समाधान पर फोकस करना है ‌‌। जब उसका गुस्सा शांत हो जाएं तो उसे समझाएं कि गुस्सा करने पर तुम्हारी धड़कन कैसे बढ़ गई है। तुम्हारा रंग गुस्से में लाल हो गया है। आपको उसे यह समझाना होगा कि गुस्सा करना उसके लिए नुकसानदायक हो सकता है।  

बच्चों की ज्यादा से ज्यादा तारीफ़ करें 

बच्चों के गुस्से वाले व्यवहार को बदलने में सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली स्टैंप यही है। यह व्यवहार गेम चेंजर कहा जा सकता है। अब अपने बच्चे के कौन से व्यवहार को बदलना है, कौन से व्यवहार को उनमें विकसित करना है। यह सब निश्चय कर लिया है। बच्चे के रोल मॉडल आप स्वयं है।

आपका बच्चा जैसे ही कोई अच्छा काम करें उसकी खुले मन से तारीफ करें। जैसे उसने अपना होमवर्क समय पर खत्म कर दिया, आपके किसी काम में आपकी मदद की, उसकी तारीफ करें उसके सिर पर प्यार भरा हाथ फेरे। खेलते हुए कुछ अच्छा किया है तो उसे hi-fi दे। उसके किसी विषय में अच्छे मार्क्स आए हैं उसे प्यार से गले लगाएं। क्योंकि माता पिता का यह प्यार और दुलार बच्चों पर गहरा प्रभाव छोड़ता है। 

उसकी बुराई भुलकर भी किसी के सामने ना करें। लेकिन अगर वह कुछ अच्छा करता है तो दूसरों के सामने उनकी अच्छी बातों के बारे में जरूर प्रशंसा करें। कहते हैं कि प्रशंसा सुनकर हमें अंदर से एक अच्छी फीलिंग आती है जो हमें किसी काम को अधिक अच्छा करने के लिए प्रोत्साहित करती है। अगर आपने बच्चे की प्रशंसा करके उसके मन में अच्छी फिलिंग जगा दी तो समझें अब गेंद आपके पाले में है। धीरे -धीरे बच्चे के व्यवहार में बदलाव होता जाएगा। 

बच्चों के साथ समय बिताएं

बच्चे के साथ समय बिताएं। अगर बच्चा छोटा है तो उसके लिए क्रिएटिव खिलौने लाएं। जैसे बिल्डिंग ब्लाक होते हैं। उसे प्लेफूल चैलेंज दे कि तुम मुझ से अच्छा बिल्डिंग नहीं बना सकते। अगर उसने आपसे अच्छा किया तो उसकी तारीफ करें।
आप उसकी रूचि के अनुसार पेंटिंग, drawing कुछ भी कर सकते हैं। बच्चे बड़े हैं तो उनके साथ क्रिकेट, टेबल टेनिस, साइकिलिंग आदि कर सकते हैं। इससे बच्चे का आपसे भावनात्मक जुड़ाव बढ़ेगा और वह आपकी बात को सुनेगा और मानेगा भी। समय के साथ उसके गुस्से वाले व्यवहार में भी कमी आती जाएगी। बच्चे को उसकी रूचि के अनुसार किसी ना किसी एक्टिविटी में बिजी रखें जिससे वह अपनी एनर्जी सही दिशा में लगा पाएंगे।

बच्चों का गुस्सा कंट्रोल करने के लिए कुछ एक्टिविटी 

  • बच्चों को कुछ समय मेडिटेशन जरूर करवाएं।

  • बच्चा जब शांत हो तब उसे समझाएं कि गुस्सा आने पर उल्टी गिनती गिनें। 

  • बच्चों में पसंद का संगीत सुनने की रूचि जरूर पैदा करे क्योंकि संगीत में बहुत ताकत होती है।

  • बच्चों को शांति मंत्र  सिखाएं।

  • घर में ऐसा माहौल बनाएं कि बच्चा बेझिझक माता-पिता से अपने मन की बात कह सके।

अगर बच्चे सामान्य से ज्यादा गुस्सा करते हैं तो माता-पिता को चाहिए कि वह एक एक चाइल्ड स्पेशलिस्ट से इस विषय में जरूर परामर्श लें। क्योंकि हो सकता है बच्चा किसी ऐसे कारण से परेशान हो जिसके बारे में वह आपसे खुलकर बात ना कर पा रहा हो या फिर अपनी फिलिंग को गुस्से के जरिए व्यक्त कर रहा हो। ऐसा भी हो सकता है कि उसे शारीरिक रूप से कोई कमी हो जिसके symptoms आपको नजर नहीं आ रहे हो।

आशा करती हूं कि यह आर्टिकल आपके लिए मददगार साबित होगा। 

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