SELF MOTIVATIONAL STORIES IN HINDI

SELF MOTIVATIONL STORIES IN HINDI MOTIVATIONAL STORY IN HINDI FOR STUDENTS short motivational story in hindi

 स्वयं पर विश्वास करने वाली कहानियां

Gyaan ki pathshala blog पर आपका स्वागत है। जब हम किसी चिंता, परेशानी या फिर किसी दुविधा में होते हैं तब हमें लगता है कि कोई ऐसा सबल मिल जाए जो हमें आगे जाने के लिए प्रेरित करें। बहुत बार लोगों का यह प्रश्न होता है कि स्वयं को मोटिवेट कैसे करें। उसके लिए वह अक्सर मोटिवेशनल कहानियां पढ़ते हैं या फिर मोटिवेशनल विडियोज देखते हैं। 

Motivational stories हमारे अंदर सकारात्मक भाव उत्पन्न करती है कि हम भी जीवन में आने वाले संघर्ष और कठिनाइयों का मुकाबला करके उस पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। 

Motivational stories हमारे अंदर self motivation पैदा करती है कि हां मैं भी कर सकता हूं। 

Motivational stories पढ़कर हम दूसरे की गलतियों और अनुभवों से सीख सकते ताकि हम जीवन में वैसी गलतियां ना करें। 

इस आर्टिकल में हम कहानियां लिखने जा रहे हैं जो आपके Self motivational में जरूर मदद करेंगी।

Self motivational story in Hindi 

जब आप स्वयं को कमजोर महसूस करें यह कहानी आपका आत्मविश्वास बढ़ाएगी 

एक बार एक चरवाहे को जंगल में भेड़-बकरियां चराते समय शेर का छोटा सा बच्चा मिला। नन्हे से बच्चे को देखकर चरवाहे के मन में दया भाव जाग गया। वह शेर के बच्चे को अपने साथ लेकर आ गया। बच्चा भेड़ बकरी का दूध पीकर बड़ा होने लगा। वह बच्चा भेड़-बकरी के बच्चों के साथ खेलता और उनकी ही तरह व्यवहार करता। वह स्वयं को भी भेड़ बकरी समझने लगा। 

एक दिन जंगल में शेरों के झुंड ने भेड़-बकरियों पर आक्रमण कर दिया। सभी भेड़-बकरियां डर के मारे इधर उधर भागने लगे।‌‌ उनको देख शेर का बच्चा भी भय से दौड़ने लगा। यह देखकर हमला करने वाली शेरों को बहुत हैरानी हुई। 

उन्होंने शेर को रोका और कहा- भेड़-बकरियां तो डर कर भाग रही हैं, वह तो समझ में आता है। तू क्यों डर रहा है? तू तो शेर का बच्चा है। शेर तो जंगल का राजा है, उस तो सभी प्राणी डरते हैं। वह शेर का बच्चा विस्मित होकर कहने लगा कि," मैं शेर कैसे हो सकता हूं? मैं तो इन भेड़ों के बीच में पहला बड़ा हूं।" 

एक शेर उसे नदी के तट पर ले गया और कहने लगा कि," देख अपना चेहरा, तेरा चेहरा हम जैसा है, तेरे पंजे हमारे जैसे हैं, तू भेड़ नहीं बल्कि जंगल का राजा शेर है।"

यह सुनते ही शेर का बच्चा बोला यदि मैं आपके जैसा हूं तो मुझ में आप जैसी ताकत क्यों नहीं है, मेरी आवाज़ में वो गर्जना क्यों नहीं है? यह सुनकर शेर बच्चे को अपने साथ ले गया और बोला कि घास तेरा भोजन नहीं है उसमें शेर को मीट खाने के लिए दिया और अपनी संगति में रखकर उसके अंदर हिम्मत भरी। 

अब शेरों की संगति में रहकर उसमें एक नई ऊर्जा का संचार हुआ और धीरे धीरे उसे अपनी शक्तियों का अनुभव होंगे लगा। शेरों की संगति में रहकर शेर के बच्चे ने गर्जना लगाई तो पूरा जंगल उसकी गर्जना से गूंज उठा। उसके मन के संशय दूर हो गए और उसका आत्मविश्वास जग‌ उठा।

जैसे शेर स्वयं को भेड़ों की संगति में कमजोर मान रहा था वैसे ही हम भी जीवन में कई बार ऐसे लोगों की संगति में होते हैं जो हमारे अंदर छुपी काबिलियत को समझ नहीं पाते और हम स्वयं को कमजोर मान लेते हैं और हमारे अंदर आत्मविश्वास की कमी हो जाती है। इसलिए आप जीवन में जैसे बनना चाहते हैं वैसे लोगों की संगति करें।


  जीवन में स्वयं की कीमत कैसे जाने 

Self motivational story in Hindi :एक बार एक धनी व्यापारी के पुत्र ने जब अपनी अकादमिक शिक्षा पूर्ण कर ली, तो उसने अपने पिता से पूछा कि," मैं जानना चाहता हूं कि, हम स्वयं की कीमत कैसे जाने?

उसके पिता ने उसको एक पत्थर दिया और कहा पडोस बाजार में इस पत्थर की कीमत जान कर आओ। कोई भी इस पत्थर के मुल्य को पूछे तो केवल दो उंगली खड़ी कर देना। तुम सामने वाले को इस पत्थर का मूल्य आंकने देना। लेकिन किसी भी कीमत पर इस पत्थर को बेचना मत। 

लड़के ने बाजार में जाकर एक डिब्बी में उस पत्थर को एक टेबल पर रख दिया। बहुत से लोग उस पत्थर को देखकर निकल जाते। एक महिला को वह पत्थर सुंदर लगा। उसने पूछा- इस पत्थर की कीमत क्या है? उस लड़के ने दो उंगली खड़ी कर दी। महिला बोली अच्छा दो सौ रूपए। ठीक है! तुम यह पत्थर दो सौ रूपए में मुझे दे दो। लेकिन लड़के के पिता ने बेचने से मना किया था इसलिए वापस आ गया। 

उसने पिता को बताया कि एक महिला इस छोटे से पत्थर के दौ सौ रूपए दे रही थी। उसने पिता से पूछा- क्या सच में इस छोटे से पत्थर  की कीमत दो सौ रूपए है? 

पिता ने कोई उत्तर नहीं दिया और बेटे को उस पत्थर की कीमत लगवाने के लिए एक जौहरी के पास भेजा। इस बार भी पिता ने कहा- जब वह मुल्य पूछे तो दो उंगली खड़ी कर देना।

लड़का जौहरी के पास पहुंचा और उसे पत्थर का मुल्य पूछा। जौहरी ने पत्थर की जांच की और पूछा कि तुम इस पत्थर की क्या कीमत चाहते हो? पिता के कहे अनुसार लड़के ने दो उंगली खड़ी कर दी। जिसे देखकर जौहरी ने कहा कि," हां! मैं इस पत्थर का तुम को दो लाख रुपए दे सकता हूं।" लड़का जौहरी की बात सुनकर चुपचाप दुकान से बाहर आ गया और पिता को सारी बात बताई।‌‌ 

लड़का अब समझ चुका था कि उसके पिता ने उसे किसी कीमती पत्थर का मुल्य लगवाने के लिए भेजा था। लेकिन दो उंगली से मुल्य बताने की बात उसे समझ नहीं आई थी। उसने अपने पिता से इस बारे में जानना चाहा तो उसके पिता ने कहा कि जरूर बताऊंगा। लेकिन उससे पहले इस पत्थर को जिस शोरूम में एंटीक चीजें बिकती है, वहां से इसका मुल्य लगवा कर आओ । शर्त इस बार भी वही है अगर वह मुल्य पूछे तो दो उंगली खड़ी कर देना। 

लड़का ने वहां पर पहुंच कर पत्थर दिखाया। शोरूम वाले ने बहुत बारीकी से उस पत्थर को देखा। उस को देखकर शोरूम के मालिक की आंखों में एक अलग चमक नज़र आ रही थी। उसने पत्थर का मुल्य पूछा। लड़के ने दो उंगली खड़ी कर दी।

वह व्यक्ति बोला हां इस नाजाब पत्थर के लिए दो करोड़ रूपए भी देने को तैयार हूं। यह एक बेशकीमती रत्न है। लड़का बिना पत्थर को बेचे अपने पिता के पास वापस लौट आया। 

पिता जानते थे कि इसके मन में बहुत से प्रश्न चल रहे हैं। पिता ने कहा कि अब तुम अपने सवालों के जवाब पूछ सकते हो।

लड़के ने कहा कि पिता जी आपने मुझे यह क्यों कहा ? तुम केवल दो उंगली खड़ी करके ही पत्थर की कीमत बताना। 

पिता ने कहा- तुम ने स्वयं ही पूछा था कि,"इस जीवन की कीमत कैसे आंके।" अब तुम को अपने सवाल का जबाब मिल जाएगा। पत्थर तो उस महिला, जौहरी और शोरूम वाले सभी के लिए एक था। लेकिन हर किसी ने अपनी-अपनी समझ से उसका मुल्य बताया। 

 वह महिला पत्थर की कीमत और गुण नहीं जानती थी इसलिए उसने अपने हिसाब से इसका मुल्य दो सौ रूपए आंका, वह जौहरी भी इस पत्थर के बारे में जितना जानता था उस हिसाब से उसने दो उंगली देखकर उसका मुल्य दो लाख बताया। लेकिन उस शोरूम वाले को इसकी खासियत पता थी कि यह एक नायाब पत्थर है। इसलिए उसने इसकी कीमत दो करोड़ आंकी।

यह तुम्हारे लिए सीख है कि जीवन में आप अपनी कीमत जैसी आंकना चाहते हैं वैसे लोगों की संगति करो और वैसे लोगों का ही अनुसरण करो। क्योंकि पत्थर तो दो सौ रूपए कीमत आंकने वाले के लिए वही था और दो करोड़ आंकने वाले के लिए भी। इसलिए जीवन में सफलता प्राप्त करनी है तो खुद के मुल्य को समझें और सफल लोगों की संगति करो। 

मेहनत का कोई विकल्प नहीं है

motivational story in Hindi :पाब्लो पिकासो विश्व के प्रसिद्ध चित्रकार थे। एक बार वह कहीं जा रहे थे। रास्ते में उनको एक महिला प्रशंसक मिली। वह महिला पिकासो से कहने लगी कि, सर मैं आपकी बहुत बड़ी फैन हूं। 
सर प्लीज़ आप मेरे लिए कोई पेंटिंग बना दीजिए। पिकासो ने टालना चाहा क्योंकि उनके पास कोई भी सामान नहीं था। 

लेकिन महिला जिद्द करने लगी तो उन्होंने अपनी जेब से एक कागज निकाला और पेन से उस पर कागज़ पर कुछ बना दिया।
उन्होंने महिला को कागज़ देते समय बताया कि इसकी कीमत मिलियन डॉलर की है। 

महिला को इस बात पर विश्वास नहीं हुआ कि इतनी जल्दी से बनाई हुई पेंटिंग की कीमत इतनी ज्यादा कैसे हो सकती है? 
सच्चाई को परखने के लिए जब वह पेंटिंग की कीमत जानने बाज़ार गई तो आश्चर्यचकित रह गई। उस पेंटिंग की कीमत सच में मिलियन डॉलर में थी।

वह महिला फिर से पिकासो से मिली और कहने लगी कि सर मुझे भी आपसे मिलियन डॉलर की पेंटिंग बनाना सीखना है। ताकि मैं भी दस सेकंड में मिलियन डॉलर की पेंटिंग बना सकूं।

पिकासो मुस्कुराते हुए बोले- इस दस सेकंड की मिलियन डॉलर की पेंटिंग बनाने की पीछे मेरी तीस साल की लगातार की गई मेहनत छिपी है। तीस साल मैंने अपनी इस पेंटिंग की कला को निखारने के लिए दिए हैं। 
जैसे मैंने तीस साल इस कला को दिए हैं आप भी दो आप भी सीख जाओगी। अब महिला को समझ आ चुका था कि उस दस सेकंड में बनाई हुई पेंटिंग के पीछे पिकासो की तीस साल की मेहनत थी जिसे वह पहले अनुभव नहीं कर पाई थी। 

पाब्लो पिकासो की कहानी हमें सिखाती है कि मेहनत का कोई शार्ट कट नहीं होता। सफलता लगातार की गई मेहनत से ही आती है लेकिन सफल व्यक्ति के पीछे उसके लगातार की गई मेहनत को कोई नहीं देख पाता।

कठिन परिस्थितियों में धैर्य नहीं खोना चाहिए

Self motivational story in Hindi :एक बार एक राजा को अपने महल‌ में लगी तीन मूर्तियों से बहुत लगाव था। महल में हर कोई इस बात से परिचित था। लेकिन एक दिन सफाई के दौरान एक सेवक से उन तीन मूर्तियों में से एक मूर्ति गलती से टूट गई। राजा उस समय उन मूर्तियों के आसपास ही खड़ा था। इसलिए उसने क्रोध में आग बबूला हो कर आव देखा ना ताव उस सेवक को मृत्यु दंड दे दिया। 
 
सेवक मृत्यु दंड की खबर सुनकर भी समभाव खड़ा रहा और उसने तुरंत बाकी की दोनों मूर्तियां भी तोड़ दी। यह देखकर राजा का पारा सातवें आसमान पर पहुंच चुका था। राजा ने उससे पूछा कि क्या तुम पागल हो गए हो? क्या तुम जानते नहीं कि यह मूर्तियां मुझे कितनी प्रिय है? 

सेवक बोला - महाराज! मैं जानता हूं कि यह मूर्तियां आपको बहुत प्रिय है। इसीलिए तो मुझे मृत्युदंड मिला है। 

राजा हैरानी से उसकी ओर देखते हुए - फिर तुमने ऐसा कृत्य क्यों किया?

सेवक ने कहा - राजन! यह तीनो मूर्तियां तो मिट्टी से बनी है ओर मिट्टी को तो आज नहीं तो कल मिट्टी में मिलना ही होता है। रही बात इन मूर्तियों को तोड़ने की तो जैसे ग़लती से आज मुझ से एक मूर्ति टूट गई कल बाकी की बच्ची हुई दोनों किसी ओर से टूट सकती थी।‌ राजन! मुझे तो एक मूर्ति को तोड़ने पर मृत्यु दंड मिल ही चुका था इसलिए मैंने बाकी कि दोनों भी तोड़ दी ताकि अन्य कोई मृत्यु दंड से बच जाए। 

राजा उसका उत्तर सुनकर अवाक रह गया। राजा ने उससे पूछा कि तुम मृत्यु दंड मिलने पर भी समभाव कैसे हो? ऐसी विषम परिस्थिति में भी तुम ने धैर्य नहीं खोया बल्कि तुम दूसरों के भले के बारे में सोच रहे हो कि, कहीं किसी ओर को मृत्यु दंड ना मिले। 

सेवक बोला - राजन! ईश्वर ने मुझे यह मनुष्य जीवन दिया। हर एक सुख सुविधा उपलब्ध कराई। जब जीवन और सुख सुविधाएं ईश्वर ने दी है तो अगर उसने कुछ कटु अनुदान दें भी दिया तो उसकी नियति पर शक नहीं करना चाहिए। जीवन और मृत्यु पर केवल उसका अधिकार है। यही सोचकर मैं सदैव समभाव रहता हूं। 

उस सेवक की बात सुनकर राजा को अपने ही दिए हुए निर्णय पर शर्मिन्दगी हो रही थी। राजा समझ चुका था कि उसने अपने पद का अनुचित प्रयोग किया है। उसे अपने निजी लाभ हानि से ऊपर उठकर एक राजा के समान न्याय करना चाहिए था। एक मामूली सी मिट्टी की मूर्ति टूटने पर उसने धैर्य खो दिया और किसी निर्दोष व्यक्ति को मृत्यु दंड दे दिया। दूसरी तरफ यह सेवक मृत्यु दंड मिलने पर भी समभाव था और परहित में सोच रहा था। राजा को अपनी ग़लती का एहसास हुआ और उसने सेवक का मृत्यु दण्ड माफ कर दिया‌।

moral- यह कहानी हमें सिखाती है कि मुश्किल परिस्थितियों में भी हमें धैर्य नहीं खोना चाहिए और कोई भी निर्णय क्रोध में नहीं लेना चाहिए। 

आशा है कि Self motivational Stories जीवन में प्रेरणा देने में आपकी मदद करेंगी। यह सच है कि कई बार हम खुद को बहुत कमजोर समझने लगते है लेकिन अगर हम अपनी कमजोरियों को पहचान कर उससे भागने की बजाए उनको अपनी ताकत बना लेते हैं तो हमें जीवन में सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। हमें अपनी जीवन में धैर्य से काम लेना चाहिए और क्रोध में कोई भी निर्णय नहीं लेना चाहिए।

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