गणेश जी के 12 नाम मंत्र स्तुति हिन्दी अर्थ सहित
हिन्दू धर्म में गणेश जी का विशेष स्थान है। गणेश जी भगवान शिव और मां पार्वती के पुत्र हैं। गणेश जी सब देवों मे प्रथम पूज्य है। हम कोई भी शुभ कार्य करने से पहले गणेश जी का पूजन करते हैं ताकि वह सभी विघ्नों को दूर कर दे। गणेश जी का पूजन करने से मन वांछित फल मिलता है। बुधवार का दिन गणेश जी को अति प्रिय है। गणेश को मोदक,मिठाई और दूर्वा अर्पित करनी चाहिए। विघ्नहर्ता गणेश जी अपने भक्तों के जीवन के विघ्न हरते हैं और उनकी मनोकामना पूर्ण करते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार गणेश जी 12 नामों का जाप विशेष फलदाई माना गया है।
Ganesh Ji Ke 12 Naam Mantar
1. ऊँ सुमुखाय नम:
2. ऊँ एकदंताय नम:
3. ऊँ कपिलाय नम:
4. ऊँ गजकर्णकाय नम:
5. ऊँ लंबोदराय नम:
6. ऊँ विकटाय नम:
7. ऊँ विध्ननाशाय नम:
8. ऊँ विनायकाय नम :
9. ऊँ धूम्रकेतवे नम:
10. ऊँ गणाध्यक्षाय नम:
11. ऊँ भालचंद्रराय नम:
12. ऊँ गजाननाय नम
गणेश जी के12 की नाम स्तुति मंत्र अर्थ सहित
सुमुखश्चैकदन्तश्च कपिलो गजकर्णकः।
लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशो विनायकः॥
धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजाननः।
द्वादशैतानि नामानि यः पठेच्छृणुयादपि॥
विद्यारम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा।
संग्रामे संकटे चैव विघ्नस्तस्य न जायते॥
गणेश स्तुति मंत्र का अर्थ
भाव- सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्ण, लम्बोदर,विकट, विध्न नाश,विनायक, धूम्रकेतु,गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन गणेश जी के इन 12 नामों को विद्यारंभ काल, विवाह काल, प्रवेश काल, निर्गम(यात्रा के) , संग्राम (युद्ध) ,संकट के समय पढ़ने और सुनने से सभी विध्नों का नाश हो जाता है।
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